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गठबंधन की विधि निर्मात्री- संविधान सभा

सविधान सभा का गठन

1 देश भर के उन राजनीतिक- सामाजिक कार्यकताओं की सभा को संविधान सभा कहा जाएगा-

  • जो देश में समाजवाद, धर्म निरपेक्षता और साम्प्रदायिक सद्भाव की रक्षा करना चाहते हैं;
  • जो आर्थिक विषमता घटाने के लिये लोगों को वोटरशिप जैसे उनके जन्मजात आर्थिक अधिकार व उनके वैष्विक अधिकारों को दिलाना चाहते हैं;
  • जो उक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये इन मुद्दों पर काम करने वाले देश भर के समस्त राजनीतिक दलों को मिलाकर दीर्घकाल में एक पार्टी बनाना आवश्यक समझते हैं;
  • जो मंहगे चुनाव प्रणाली के कारण स्वयं चुनाव जीत नहीं पा रहे हैं; इसीलिये देश के लिये उचित कानून बनाने के काम में सहयोग नही कर पा रहे हैं और चाहते है कि उनके जैसे विवेकशील किन्तु चुनाव का खर्च उठाने में अक्षम लोगों का लाभ देश और प्रदेशों की विधायिका को मिले;
  • जो नियमानुसार इस गठबंधन के संविधान सभा की सदस्यता प्राप्त करते हैं।

2.       संविधान बन जाने और आत्मार्पित कर लिये जाने के बाद संविधान सभा ही गठबंधन के लिये नियम बनाने वाली सर्वोच्च इकाई में रूपांतरित हो जायेगी, जिसको ‘‘सेलेक्टेड जन संसद’’ या ‘‘राष्ट्र सभा’’ या ‘‘हाउस आफ नेशन’’ कहा जाएगा।

3.       सभी सामाजिक आंदोलनों, आंदोलनों के गठबंधनों, राजनीतिक दलों, दलों के गठबन्धनों के प्रमुख या स्थाई प्रतिनिधि गठबंधन की संविधान सभा के पदेन सदस्य होंगे।

4.       गठबंधन अखिल भारतीय स्तर, प्रादेषिक स्तर जिला स्तर पर अपनी अपनी संविधान सभा होगी और अपने-अपने स्तर की अनुपालन समिति और अन्य अंग हांेगे।

5.       अखिल भारतीय स्तर की संविधान सभा में कम से कम 51 और अधिक से अधिक उतने सदस्य होगे, पूरे देष में जितने विधान सभा क्षेत्र होंगे। सन 2023 के आधारों पर अखिल भारतीय स्तर की संविधान सभा में अधिक से अधिक राजनीति कार्यों का अनुभव रखने वाले 4123 सदस्य होंगे।

6.       प्रदेश स्तर की संविधान सभा में अधिक से अधिक उतने सदस्य होगे, पूरे प्रदेष में जितनी ब्लाक होंगे।

7.       अपने दिन प्रतिदिन के कार्यों को सम्पादित करने के लिए संविधान सभा के सदस्य अपने बीच से किसी व्यक्ति को अपना एक सभापति या स्पीकर निर्वाचित करेंगे।

8.       स्पीकर संविधान सभा की बैठकों का स्थाई अध्यक्ष होगा। उसकी अनुपस्थिति में या उसके द्वारा अधिकृत किये जाने पर उप सभापति बैठकों की अध्यक्षता करेंगे।

9.       संविधान सभा की बैठकें ऑन लाइन भी हो सकेगी और बैठकों की कार्यवाही की मंजूरी भी ऑन लाइन प्रक्रिया से भी हो सकेगी।

10.       विविध जातियों व सम्प्रदायों को संविधान सभा में प्रतिनिधित्व देने के लिये नियम बनाये जायेंगे।

11.    संविधान सभा अपनी बैठकों को संचालित करने के लिये व अपने कार्यों को संम्पादित करने के लिये नियम बनायेगी।

 

सविधान सभा के पदाधिकारी 

  1. सविधान सभा में सभी स्तरों पर निम्नलिखित पदाधिकारी होंगे-

1. स्पीकर

2. प्रथम डिप्टी स्पीकर

3. द्वितीय डिप्टी स्पीकर

2.  संविधान सभा के स्पीकर यानी सभापति का चुनाव संविधान सभा के सदस्य सर्वसम्मति से या दो तिहाई बहुमत से करेंगे।


सविधान सभा के कार्य

1.       देष और प्रदेशों की विधायिका को इलेक्शन की बजाय सेलेक्शन के आधार पर गठित ‘‘सेलेक्टेड संसद’’ के लाभ सुलभ कराना।

2.       समाजवाद और धर्म निरपेक्षता की नीतियों पर काम करने वाले देष भर के समस्त राजनीतिक दलों को मिलाकर एक एक देशव्यापी राजनीतिक पार्टी बनाने का मार्ग प्रशस्त करना।

3.       सीट आवंटन और ग्रेडिंग परिषद की सिफारिशों के आधार पर संविधान सभा के सदस्यों का मंजिलेदार /विभिन्न स्तरों के बीच कार्य विभाजन होगा।

4.       संविधान सभा के सदस्य अंतिम संविधान बनने तक गठबंधन के लिए नियम बनाने का कार्य करते रहेंगे।

5.       संविधान सभा की सभी बैठकों की अध्यक्षता स्पीकर अनिवार्य रूप से करेगा। उसकी अनुपस्थिति में या उसके द्वारा अधिकृत किये जाने पर संविधान सभा की बैठकों की अध्यक्षता प्रथम या द्वितीय डिप्टी स्पीकर करेगा।

6.       संविधान सभा में कुछ विषयों पर साधारण बहुमत से और कुछ अन्य विषयों पर दो तिहाई बहुमत से निर्णय लिया जाना। विषयांे के वर्गीकरण का अधिकार संविधान सभा को होगा।

7.       संविधान सभा गठबंधन के लिये विधियों के पारित होने संबंधी नियम बनायेगी और नियमानुसार विधियों को मंजूरी प्रदान करेगी।

8.       संविधान सभा के बाहर लिया गया कोई भी फैसला विधि का दर्जा प्राप्त नहीं कर सकेगा।

 संविधान सभा के सदस्यों के अधिकार-

1.      ‘‘प्रत्येक घटक दल और प्रत्येक गठबंधन द्वारा प्रदत्त सभी उद्देश्यों में से यथा संभव अधिकांश उद्देश्यों को गठबंधन के साझा घोषणापत्र में शामिल किया जायेगा।’’

2. राज्य सभा और लोकसभा की तरह ही ‘‘राष्ट्र सभा’’ या ‘‘हाउस आफ नेशन’’ की तरह काम करना।

3.       गठबंधन की सरकार बनने पर संसद को और सरकार को विधेयक बनाकर देना और गठबंधन के उद्देष्यों को पूरा करने के लिये कानून बनाने के लिये नीति निर्देषन करना।


संविधान सभा के सदस्यों के कर्तव्य

1.       संविधान सभा की कम से कम 6 माह में एक बार बैठक होगी, जिसमें 6 माह में अनुपालन समिति द्वारा किये के कामों की समीक्षा व आगामी कार्यक्रमों के प्रस्तावों पर विचार विमर्श होगा।

2.       गठबंधन की संविधान सभा के सदस्यों के कर्तव्य निम्न होंगे-

  1. गठबंधन के संविधान में निष्ठा रखना।
  2.  गठबंधन के संविधान और विविध नियमों के अनुसार अनुशासन का पालन करना।
  3.  संविधान सभा द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार प्रत्येक घटक दल और प्रत्येक घटक गठबंधन द्वारा अपने हिस्से की रकम को निर्धारित तिथि तक निर्धारित खाते में जमा करना।
  4.  घटकों के पदाधिकारियों द्वारा आपस में मित्रवत संबंध बनाना तथा गुटबाजी पर अंकुश लगाने के लिए सतत चौकन्ना रहना और कार्य करते रहना।
  5.  किसी भी घटक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में यथासंभव सभी घटको के संयोजकों, राष्ट्रीय अध्यक्षों और स्थाई प्रतिनिधियों को अपने खर्चे से पहुंचना। कार्यक्रम में पहुंचने की सूचना स्थाई प्रतिनिधि के माध्यम से सम्बंधित आयोजक को और गठबंधन कार्यालय को कम से कम 4 दिन पूर्व उपलब्ध कराना।
  6.  किसी भी घटक दल या उसके पदाधिकारियों द्वारा किसी के अन्य दल के पदाधिकारी के विरुद्ध किसी तरह की अशोभनीय टिप्पणी न करना, जिससे लक्षित व्यक्ति का अपमान होता हो।
  7.  संविधान सभा द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार प्रदत्त दायित्वों को समय से सभी घटकों द्वारा पूरा किया जाना।
  8.  गठबंधन से जुडे़ गठबंधनों का कर्तव्य होगा कि वह अपने अपने गठबंधन से जुड़े राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों को गठबंधन की सूचनाएं पंहुचाते रहना, गठबंधन की संविधान सभा की बैठकों में व गठबंधन के जनजागरण तथा शक्ति प्रदर्शन कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करना, अपने सदस्य दलों व सामाजिक संगठनों के हिस्से में समय समय पर आने वाले आर्थिक योगदान को गठबंधन के पास जमा कराना सुनिश्चित कराना।

................. नोट- संविधान प्रारूप समिति को संशोधन आमंत्रित


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