वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल

देश को बचाने का आखिरी मौका

2024 का चुनाव देश के अमन चैन को और देश की जनता की रोजी-रोटी को बचाने का आखिरी मौका है। इस बार चूक गए तो चुनाव 2029 में होंगे। यदि नरेंद्र मोदी जी को लगा कि वह 2029 का चुनाव नहीं जीत पाएंगे तो वह देश में तानाशाही कायम कर सकते हैं और चुनावो के दुष्प्रभावों को गिना कर चुनाव होने ही नहीं देंगे। धर्म और संकीर्ण राष्ट्रवाद की बातें करने वाले तमाम नेता कई देशों में ऐसा कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी जी को हटाने की जिम्मेदारी देश के आम जनता, बुद्धिजीवी, उद्योगपति, व्यापारी, पत्रकार गण, किसान और मजदूर उन नेताओं पर नहीं छोड़ सकते, जो प्रधानमंत्री बनने के रेस में हैं। क्योंकि जो प्रधानमंत्री की रेस में है, जनता की नजर में वह लोग दूध के धुले नहीं हैं। ये लोग सही और गलत तरीके से इतना धन दौलत जमा कर लिए हैं कि वह हमेशा नरेंद्र मोदी की सीबीआई और ईडी से डरे रहते हैं। वह नरेंद्र मोदी जी का विरोध भी उनसे अनुमति लेकर करते हैं।

देश की जनता इन पर भरोसा नहीं कर सकती। यदि यह सब लोग मिलकर किसी तरह नरेंद्र मोदी को चुनाव में हरा भी दिए तब भी पैसे की ताकत से तिकड़म करके नरेंद्र मोदी अपनी सरकार बना लेंगे। कुर्सी और पैसे के लालची चरित्रहीन नेता उनका सहयोग निश्चित रूप से करेंगे। फिर भी यदि प्रधानमंत्री की रेस में दौड़ रहे लोग मिलकर भानुमति के कुनबे की सरकार बना लिए तो वह सरकार 5 साल नहीं चल पाएगी। स्वार्थ के टकराव में सरकार बीच में गिर जाएगी। चुनाव होगा भाजपा दोबारा सरकार बना लेगी। फिर भाजपा को एक नया मुद्दा मिल जाएगा।‌‌ यह कि "देश में राजनीतिक स्थायित्व के लिए केवल भाजपा को वोट दो"। विपक्ष की सरकार इसलिए नहीं चल पाएगी। क्योंकि विपक्ष वैकल्पिक राजनीति के किसी कार्यक्रम, राष्ट्र निर्माण के किसी वैकल्पिक योजना, किसी नीति, सिद्धांत, गठबंधन के लिखित संविधान, लिखित आचार संहिता पर एकजुट नहीं हो रहा है। वह केवल मोदी को हटाने के लिए एकजुट हो रहा है.

जबकि श्री विश्वात्मा के पास यह सब कुछ है। शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक वोटरशिप अधिकार और दक्षिण एशिया यूनियन जैसे काम न तो नरेंद्र मोदी जी को पसंद हैं और न तो उनको हटाने की कोशिश कर रहे विपक्षी नेताओं को। भाजपा से प्रधानमंत्री का चेहरा नरेंद्र मोदी होंगे, यह बात अडानी अपने पैसे की और मीडिया की ताकत से तय करेंगे। मोदी के विरोध की रस्म निभा रहे विपक्षी नेताओं में से प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा यह केवल 8-10 लोग तय करेंगे। विपक्ष के प्रधानमंत्री का चेहरा तय करने में देश की आम जनता, बुद्धिजीवियों, उद्योगपतियों, व्यापारियों, पत्रकारों, किसानों और मजदूरों की कोई भूमिका नहीं होगी। यानी नरेंद्र मोदी कुंआ है तो विपक्ष का गिरोह खाईं है। देश की जनता के लिए कुंआ भी खतरनाक है और खाईं भी खतरनाक है। देश को शांति और समृद्धि के रास्ते पर ले जाने का जो खाका श्री विश्वात्मा ने अपनी 25 साल की तपस्या से तैयार किया है, उसको रोकने के लिए नरेंद्र मोदी और लगभग सभी विपक्षी नेता कमर कसे हुए हैं। इसलिए अब देश को सही रास्ते पर ले जाने के लिए श्री विश्वात्मा की मदद केवल देश के वोटर ही कर सकते हैं। आप से अपील है कि वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के संस्थापक और नीति निर्देशक श्री विश्वात्मा के विचारों के बारे में जानने के लिए गूगल सर्च का और यूट्यूब का इस्तेमाल करें और चुनावों में सत्य का साथ दें

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