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राजनीति सुधारने से पहले चरित्र सुधारना जरूरी – भरत गांधी

पक्षपाती व्यक्ति हमेशा राजनीति को गंदी करेगा, सुधार नहीं सकता। यदि राजनीतिक व्यक्ति अपने परिवार के प्रति पक्षपाती होगा तो बेईमान जरूर निकलेगा। यदि वह अपने गांव या अपने क्षेत्र या अपने जाति या अपने धर्म के प्रति पक्षपाती होगा तो वह भ्रष्ट जरूर निकलेगा। क्योंकि वह दूसरे गांवों, दूसरे क्षेत्रों, दूसरी जातियों और दूसरे धर्मों के धन संपदा को और उसके हिस्से को हड़प कर अपने क्षेत्र में लाना चाहेगा। दूसरे के संस्कारों को तहस-नहस करेगा और अपने संस्कारों की वकालत करेगा। दूसरे क्षेत्रों दूसरे जातियों और दूसरे धर्म के लोगों का हिस्सा हड़पने के लिए उसे जितने भी अपराध करने हों, सभी अपराधों को वह जायज मानेगा।

इसी प्रकार जो व्यक्ति अपने देश के प्रति पक्षपाती होगा, वह दूसरे देशों के धन संपदा को छल बल से अपराध और भ्रष्टाचार से अपने देश में लाना चाहेगा। ऐसे अपराधियों के हाथों में राजनीति रहेगी तो भ्रष्टाचार व अपराध रोक पाना निश्चित रुप से असंभव है। इसलिए जो लोग राजनीतिक क्षेत्र में जाएं, यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि वह पक्षपाती ना हों।

राजनीति सुधारकों की जो ट्रेनिंग देशभर में चलाई जा रही है उससे निष्पक्ष और समदर्शी राजनीति कर्मियों को पैदा किया जा रहा है। उन्होंने आम जनता को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत बताया। जो लोग यह समझते हैं कि उनका नेता बेईमानी करके और भ्रष्टाचार करके दूसरे देशों का हिस्सा हड़प के अपने देश में लाए, दूसरे प्रदेशों का हिस्सा हड़प कर अपने प्रदेश में लाए, दूसरे लोकसभा क्षेत्र का पैसा हड़प कर अपने लोकसभा में लाए, दूसरी विधानसभा का हिस्सा हड़पकर अपनी विधानसभा में लाए, दूसरे गांव का हिस्सा हड़प कर अपने गांव में लाए…… ऐसे बेईमान और भ्रष्ट लोगों को यदि नेता बनाया जाएगा, उनको वोट दिया जाएगा तो वह दूसरे क्षेत्रों का हिस्सा हड़पकर अपने क्षेत्र में लाएं या ना लाएं, लेकिन दूसरों का है पैसा और सरकार का पैसा हड़प कर अपने घर में जरुर लाएंगे।

अपनों के प्रति पक्षपाती व्यक्ति समाज सेवा करने में भले नाकाम रहे लेकिन अपनी परिवार सेवा जरूर करेगा। ऐसी परिवार सेवकों का राजनीति में वर्चस्व कायम हो गया है। इसमें नियम-कानून दोषी तो हैं ही, आम जनता की मानसिकता भी कम दोषी नहीं है।

आज नेताओं के ही नहीं, आम जनता के चरित्र की में सुधार की जरूरत है। अंतर्जातीय, अंतरधार्मिक, और अंतर्राष्ट्रीय शादियां समदर्शी समाज और समदर्शी नेताओं को पैदा करने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।  इस तरह की शादियों से पैदा होने वाले बच्चे भी अपेक्षाकृत अधिक कुशल और बुद्धिमान होते हैं। यह बात यूजेनिक्स और जेनेटिक्स के शोध से प्रमाणित हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सीमा से ज्यादा अमीर लोग अपने पैसे को धार्मिक हिंसा भड़काने में खर्च कर रहे हैं। आने वाले समय में धार्मिक उन्माद और धार्मिक हिंसा से पैदा होने वाले विश्वव्यापी खून खूनखराबे के प्रति लोगों को आगाह करते हुए कहा कि सभी धर्मों के लोग अपने बच्चों के नाम इस तरह रखें जिससे यह न पता चले कि वह बच्चा किस धर्म का है, इसलिएबच्चों का नाम रखने के लिए धार्मिक पुस्तकों को देखने के बजाए विज्ञान गणित और भूगोल के पुस्तकों को देखा जाए। इससे बच्चों के नाम का अनुवाद हो सकेगा और दुनिया के किसी भी कोने में धार्मिक हिंसा से वह सुरक्षित रहेंगे। नाम का अनुवाद हो जाने के नाते वह अपने शैक्षिक जीवन में अधिक सफल हो सकेंगे क्योंकि उनको प्रशिक्षित करने वाले शिक्षकगण अनुवाद योग्य नाम होने के नाते उनके नाम का अर्थ अपनी भाषा में समझ सकेंगे।

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