वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल चुनाव आयोग में पंजीकृत एक नई पार्टी है। इस पार्टी की मान्यता यह है कि राजनीतिक पार्टियां देश के बहुसंख्यक लोगों से वोट तो लेती हैं। लेकिन उनके लिए काम नहीं करती हैं। कारण यह है कि ये लोग अपनी मन पसंद पार्टी को चंदा नहीं देते। सत्ता तक पहुंचने के लिए पार्टियों को कारपोरेट घरानों से पैसा लेना पड़ता है। इसलिए धनवान कारपोरेट को और अधिक धनवान बनाने के लिए सरकारी मशीनरी को उनके सामने परोस देती हैं। इसीलिए पार्टियां सत्ता में पहुंचने के बाद जनता के आर्थिक हितों के विरुद्ध फैसले लेती हैं। इन फैसलों के कारण देश के बहुसंख्यक लोगों के परिवार में आर्थिक तंगी का आरक्षण पीढी दर पीढी बना रहता है. जनता की आकांक्षाओं से विधायिका और शासन प्रशासन का संचालन सुनिश्चित करने के लिए वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल ने एक नई तरकीब का इजाद किया है। इस तरकीब का कानूनी परीक्षण करना ही इस लेख का उद्देश्य है।
इस पार्टी ने अपने सदस्यों को यह प्रशिक्षण दिया कि वकील को फीस नहीं मिलेगी तो वकील वफादारी से मुकदमा नहीं लड़ेगा। वकील सरकार से फीस लेगा तो सरकार के लिए ही काम करेगा। अगर कारपोरेट घरानों से फीस लेगा, तो उनके लिए काम करेगा। चूकि पार्टियाँ वोटरों की राजनीतिक, आर्थिक और विधायी हितों की पूर्ती के लिए विधायिका में लड़ने वाले वकील हैं, इसलिए जिस पार्टी को वोट दिया जाए. उस पार्टी को नियमित हर महीना चंदा भी दिया जाये।
सिद्धांत रूप में वोटर्स पार्टी के सदस्यों ने उक्त निष्कर्ष मान लिया। किंतु व्यावहारिक कुछ समस्याएं खड़ी हो गईं। पार्टी के अधिकांश सदस्य आर्थिक रूप से इतने अधिक कमजोर होते हैं कि उनके पास उनके परिवार की न्यूनतम जरूरतें ही पूरी नहीं होती। ऐसी दशा में अपनी मनपसंद पार्टी को नियमित चंदा देना उनके लिए संभव नहीं होता। इस हर परिस्थिति को देखते हुए पार्टी ने कुछ अन्य पार्टियों के साथ मिलकर भारतीय महागठबंधन बनाया। सभी पार्टियों ने अपने अपने सदस्यों को आश्वासन दिया कि पार्टी के सदस्य जो पैसा चंदे के रूप में देंगे, उस पैसे को क्षतिपूर्ति के साथ सरकारी खजाने से वापस दिलाने के लिए पार्टी काम करेगी। चूंकि गरीबों को सरकारी वकील की सुविधा देने के कानून पहले से प्रचलन में है। सरकारी वकीलों का खर्च पहले से सरकार उठाती रही है। इसलिए देश के बहुसंख्यक गरीबों के राजनीतिक वकालत करने वाली राजनीतिक पार्टी को जो पैसा गरीब लोग दें, उस पैसे को वापस करना सरकार की जिम्मेदारी बनती है। पैसा जितनी विलंब से वापस हो उतनी अधिक मात्रा में क्षतिपूर्ति के साथ वापस होना चाहिए। चंदा देने वालों को चंदे के रिकॉर्ड और प्रमाण पत्र के रूप में महागठबंधन ने प्रमाण पत्र छापने का निवेदन एक कल्याणकारी ट्रस्ट से किया। ट्रस्ट से यह निवेदन इसलिए किया गया जिससे कि आरडीआर के नोटनुमा प्रमाण पत्रों को प्राप्त करना सभी पार्टियों के लिए संभव हो जाये. पार्टी ने आरडीआर के नोटनुमा प्रमाण पत्रों को ट्रस्ट से छपी लागत पर खरीदकर अपने चंदा देने वालों को जारी करने का फैसला किया। इस प्रमाण पत्र / डिवाइस को “आरडीआर” नाम दिया गया। प्रमाण पत्र का कागज टिकाऊ हो, पानी में पड़ जाने के बाद भी सुरक्षित रहे और उत्पादन खर्च कम से कम आए, इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए इस प्रमाण पत्र को नोटनुमा और छोटे आकार का बनाने का निवेदन ट्रस्ट से किया गया। नोटनुमा इस प्रमाण पत्र पर विधिवत लिखा गया कि पार्टी और पार्टी और गठबंधन धन “आरडीआर” धारक को सरकारी खजाने से धन वापसी कराने के लिए शर्तों के साथ कानूनी और संवैधानिक प्रयास करेगा।
प्रमाण पत्र पर लिखा गया कि प्रमाण पत्र जारी करने वाला संगठन यानी पार्टी और गठबंधन चंदा देने वालों को सरकारी खजाने से वित्त विधेयकों को पारित कराके इस प्रकार रकम वापस दिलाने की कोशिश करेगा, जैसे उन्होंने भारतीय मुद्रा के बजाय अमेरिकी मुद्रा यानी डालर चन्दे में दिया हो। जिससे केवल दिया गये गए चंदे की रकम ही वापस न मिले अपितु वह रकम क्षतिपूर्ति के साथ वापस मिले. आरडीआर के उत्पादन से पहले सं 2010 में आरडीआर का नमूना और इसके पीछे के मंतव्य को सरकार के लगभग सभी बड़ी एजेंसियों को पत्र लिखकर इस पर कानूनी राय प्रेषित करने का निवेदन किया गया। किंतु किसी भी एजेंसी ने पत्र का कोई जवाब नहीं दिया। रिजर्व बैंक ने केवल इतना लिखा कि “अधिक विस्तृत जानकारी दें”। पार्टी को चंदा देने वालों को आरडीआर को जारी करने के लिए वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल ने विधिवत नियमावली निर्मित की। पार्टी ने चंदे के दो रूपों को मान्यता दी। पहला “नकद” में दिया जाने वाला चंदा और दूसरा “काम” के रूप में दिया जाने वाला चंदा। इस प्रकार आरडीआर का प्रमाण पत्र उन लोगों को भी जारी करने का फैसला किया गया, जो लोग आर्थिक तंगी के कारण पार्टी को अपना श्रम तो देते हैं, किंतु नकद रकम नहीं दे पाते। आरडीआर के नमूने की नकली छपाई रोकने के लिए आरडीआर निर्गत करने वाले ट्रस्ट द्वारा आरडीआर के नमूने को ट्रेडमार्क अधिनियम के तहत पंजीकृत कराने का फैसला किया गया। आरडीआर के विषय में पूरी जानकारी नीचे दिए गए दो वीडियो से प्राप्त की जा सकती है।
किस पैसे से हो राजनीती (भाग -1)
किस पैसे से हो राजनीती (भाग -2)
कानूनी परीक्षण का पहला विषय-
क्या इस प्रकार आरडीआर जारी करना और आरडीआर देने संबंधी पार्टी द्वारा निर्मित नियमावली में कोई गैर कानूनी तथ्य अंतर्निहित हैं?
कानूनी परीक्षण का दूसरा विषय-
आरडीआर का प्रमाण पत्र का नमूना पाने के बाद लोगों में पार्टी को चंदा देने का उत्साह बढ़ा। पार्टी कार्यकर्ता लोगों के घर-घर जाकर पार्टी की नीतियों को समझाने लगे। लोगों से चंदा लेने लगे। चंदे को पार्टी के पास भेजने लगे। पार्टी ने प्राप्त चंदे का कुछ प्रतिशत चंदा इकट्ठा करने वाले कार्यकर्ताओं को देने का फैसला किया, जिससे कि गरीब कार्यकर्ता जो आर्थिक तंगी के शिकार हैं, वह भी पार्टी के नीतियों के प्रचार-प्रसार में काम कर सकें। काम करने के प्रयास में जो डीजल पेट्रोल, यात्रा, भोजन और रात्रि निवास के लिए होटल के मदों पर खर्च होता है, वह खर्च पार्टी से हासिल कर सकें। किंतु इस प्रकार पार्टी कार्यकर्ताओं को चंदे की रकम देना मुश्किल दिखाई पड़ा. कारण यह है कि पार्टी के कार्यकर्ता पार्टी से प्राप्त आर्थिक सहयोग के बदले पार्टी को पक्की रसीदें देने में असमर्थ हो गए। हिसाब किताब रखना मुश्किल हो गया।
ऐसी परिस्थिति में पार्टी ने एक कंपनी से एग्रीमेंट किया। पार्टी ने कंपनी को कहा कि कंपनी कुछ कर्मचारियों की भर्ती करें और उनको ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करने का प्रशिक्षण दें. यह भी कहा कि कंपनी प्रशिक्षित कर्मचारियों को गांव-गांव, घर-घर और मोहल्ले-मोहल्ले भेजें। कर्मचारी पार्टी को खाते में चंदे को ऑनलाइन विधि से दिलाएं. पार्टी ने कंपनी से कहा कि उस चंदे का कुछ प्रतिशत पार्टी को कंपनी को सर्विस चार्ज के तौर पर देगी। कंपनी सर्विस के चार्ज के तौर पर जो धनराशि प्राप्त करें, उसको पार्टी द्वारा विकसित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपने प्रशिक्षित कर्मचारी के खातों में भेज दें। इस प्रकार जमीन पर काम करने वालों को कंपनी से पैसा प्राप्त हो जाएगा। हिसाब किताब रखना कानूनन संभव हो जाएगा।
इस लिंक के माध्यम से कोई भी व्यक्ति, जो ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करना जानता हो, कंपनी के फैसिलिटेटर के रूप में जुड़ सकता है। फैसिलिटेटर के रूप में जुड़कर वह वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल को चंदा दिलाने का काम कर सकता है। इस काम के दिलाये गए चंदे की रकम का कुछ प्रतिशत सर्विस चार्ज के रूप में प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार एक नए तरीके का रोजगार सामाजिक क्षेत्र में पैदा हो सकता है. एक वीडियो उन लोगों के लिए जारी किया जो कंपनी के इस काम को समझना चाहते हैं। कंपनी की ओर से एक वीडियो उन लोगों के लिए जारी किया जो कंपनी के इस काम को समझना चाहते हैं। कंपनी की ओर से दूसरा वीडियो उन लोगों के लिए जारी किया, जो कंपनी का ऑनलाइन फैसिलिटेटर बनना चाहते हैं.
विचारणीय विषय
क्या कंपनी और पार्टी के बीच हुए समझौते में कोई इस तरह का तथ्य अंतर्निहित है जो गैरकानूनी हो या प्रवर्तन निदेशालय के अंतर्गत पार्टी या कंपनी के लिए दंडनीय हो?