वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल
संविधान
विषय – सूची
अनुच्छेद-1 | पार्टी का परिचय |
अनुच्छेद-2 | पार्टी का प्रतीक चिह्न |
अनुच्छेद-3 | भारत के संविधान के प्रति पार्टी की निष्ठा और विश्वास |
अनुच्छेद-4 | पार्टी के अंग, उपांग, नीति निर्देशक और अन्य पार्टियो से गठबंधन |
अनुच्छेद-5 | पार्टी की सदस्यता |
अनुच्छेद-6 | पार्टी की विभिन्न इकाइयों के अधिकारों और कर्तव्यों से संबन्धित प्रावधान |
अनुच्छेद-7 | साधारण सभा |
अनुच्छेद-8 | कार्यसमितियाँ |
अनुच्छेद-9 | संसदीय समितियां |
अनुच्छेद-10 | निर्वाचन प्राधिकरण |
अनुच्छेद-11 | चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद |
अनुच्छेद-12 | न्यायिक परिषद |
अनुच्छेद-13 | लोक सेवा भर्ती परिषद |
अनुच्छेद-14 | समन्वय परिषदें |
अनुच्छेद-15 | पार्टी कोष |
अनुच्छेद-16 | सुरक्षा परिषद |
अनुच्छेद-17 | जन संचार परिषद |
अनुच्छेद-18 | पार्टी के उपांग |
अनुच्छेद-19 | पार्टी के सहयोगी संगठन |
अनुच्छेद-20 | पार्टी से सम्बद्ध संगठन |
अनुच्छेद-21 | पार्टी द्वारा अधिकृत संगठन |
अनुच्छेद-22 | पार्टी के किसी अन्य पार्टी/गठबंधनों से पार्टी करने संबंधी प्रावधान |
अनुच्छेद-23 | दूसरी पार्टियों और दूसरे पार्टी द्वारा मान्यताप्राप्त या सहयोगी या सम्बद्ध या अधिकृत गांठबंधनों के रूप में कार्य करने संबंधी प्रावधान |
अनुच्छेद-24 | पार्टी के नीति निर्देशक |
अनुच्छेद-25 | सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आनुवांशिक और जहनिक आधारों पर वर्गीकृत समाज के विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए समवेशी उपबंध |
अनुच्छेद-26 | नियमों का पालन करने के उद्देश्य से अनुशासनात्मक कार्यवाही करने संबंधी प्रावधान |
अनुच्छेद-27 | पार्टी के संविधान में संशोधन और व्याख्या संबंधी उपबंध |
अनुच्छेद-28 | पार्टी का विखंडन या विलयन |
अनुच्छेद-29 | संविधान का अनुवाद |
अनुच्छेद-30 | संविधान की अनुसूचियाँ |
अनुच्छेद-31 | फॉर्मों के प्रारूप |
अनुच्छेद-32 | पार्टी के रजिस्टर |
अनुच्छेद-33 | पार्टी में नए अनुच्छेदों, प्रावधानों, उप-प्रावधानों के जोड़े जाने संबंधी उपबंध |
अनुसूची – 1 | तकनीकी शब्दावली – संविधान में प्रयुक्त शब्दों की व्याख्या |
अनुसूची – 2 | पार्टी की विभिन्न इकाइयों की कार्यसूची |
अनुसूची – 3 | पार्टी की विभिन्न इकाइयों में कोष के वितरण संबंधी प्रावधान |
अनुसूची – 4 | प्रकोष्ठों की सूची |
अनुसूची – 5 | मोर्चों की सूची |
अनुसूची – 6 | कार्यवाही की सूची |
अनुसूची – 7 | पार्टी की समावेशी नीति के तहत अपने गए नियम, विनियम, प्रावधान और उपनियम |
अनुसूची – 8 | पार्टी के संशोधनों की सूची |
अनुसूची – 9 | आवेदन पत्रों के प्रारूप |
अनुसूची – 10 | पार्टी के रजिस्टर |
अध्याय 1
- अनुच्छेद 1
पार्टी का नाम – पार्टी का नाम होगा वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल, जिसे आगे से ‘पार्टी’ या वीपीआई कहा जाएगा।
- गैप संविधान की प्रस्तावना –
आवश्यक राजनैतिक, कानूनी व संवैधानिक सुधारों को लागू कर,
केवल देश ही नहीं पूरे विश्व पर लोकतांत्रिक कानून का शासन लागू करने;
जनमानस व राज्य की प्रभुसत्ता के क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर घटकों को पहचानने व उनको मान्यता दिलाने और उन घटकों को राज्य की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी दिलाने;
भ्रातृत्व, लोकतंत्र और राजनीतिक तथा आर्थिक अवसरों की क्षमता विश्व के सभी देशों के सभी लोगों को सुलभ कराने;
पूरे विश्व में हिंसा, आर्थिक गुलामी, गरीबी और पर्यावरणीय असंतुलन पैदा करने वाली परिस्थितियों को समाप्त करने में सक्षम संपूर्ण विश्व के सभी लोगों को न्याय आधारित राजनीति व आर्थिक विश्व व्यवस्था विकसित करना
- पार्टी की नीति –
विश्व के नागरिकों द्वारा पूरे विश्व के सभी नागरिकों की समस्याओं का समाधान पूरे विश्व के सभी नागरिकों के लिए किया जाएगा।
- पार्टी के सिद्धांत, दर्शन और मान्यताएं –
पार्टी के सदस्य निम्नलिखित मान्यताओं को समझने और उन पर विश्वास करने का प्रयत्न करेंगे –
- समकालीन राजनीतिक सुधारक श्री विश्वात्मा द्वारा लिखित पुस्तकों यथा-‘जनोपनिषद’, ‘लोकतंत्र की पुनर्खोज’ और ‘लोकनीति व राजनीति का पासवर्ड’ में अतीत के महापुरुषों व दार्शनिकों के निष्कर्षों का और राज्य की मशीनरी द्वारा समाधान की जा सकने वाली समस्त समस्याओं और उनके समाधान के उपायों का समावेश है। इन पुस्तकों की विषय वस्तु में भविष्य में पैदा होने वाली समस्याओं और चुनौतियों के समाधान के लिए वर्तमान में किए जाने वाले उपायों की जानकारी दी गई है।
- मानव जाति के समस्त लोग एक साझे शरीर की कोशिका की तरह बर्ताव करते हैं। जिस प्रकार किसी शरीर के किसी बीमार अंग को काट कर शरीर से अलग करके दूर ले जाकर उसका इलाज करना संभव नहीं है, उसी प्रकार संसार के किसी एक देश की समस्या को विश्व से अलग करके खत्म नहीं किया जा सकता।
- मानव और धरती दोनों प्रकृति के नियमों से बने हैं। इसलिए प्रत्येक मानव का यह मूल अधिकार व जन्म सिद्ध अधिकार है कि वह धरती के किसी भी कोने में आने व जाने के लिए स्वतंत्र हो। उसके इस अधिकार का उल्लंघन उसके मूल अधिकार का भी उल्लंघन है। किसी मकान में रहने वाला वाला उस मकान में घुसने से किसी व्यक्ति को मना कर सकता है। ठीक इसी प्रकार पूरी धरती पर घूमने से मना करने का अधिकार सिर्फ धरती के निर्माता को ही हो सकता है, देशों के निर्माताओं को नहीं। इस निष्कर्ष की समझ न होने के कारण हिंसा और आतंकवाद रोकने के लिए बने वीजा और पासपोर्ट के परंपरा व कानून ही आज युद्ध, हिंसा और आतंकवाद के प्रमुख कारण बन गए हैं। विश्व से युद्ध हिंसा और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए राजनीतिक अंधविश्वास पर बने वीजा और पासपोर्ट की परंपराओं और कानूनों को खत्म किया जाना अपरिहार्य है।
- जिस प्रकार मानव शरीर की उम्र तय होती है, उसी प्रकार मानव समाज की भी एक तयशुदा उम्र है। जिस प्रकार मानव शरीर में उम्र के साथ उसके स्वभाव में परिवर्तन आता रहता है, उसी प्रकार मानव समाज का स्वभाव भी उम्र के साथ बदलता रहता है। इसीलिए किसी भी समुदाय के मूल्य, विश्वास और नियमों की उम्र भी अनंत कालिक नहीं होती। समय बीतने पर उसमें परिवर्तन आता रहता है।
- अतींद्रिय परमसुख और जीवन आनंद ना तो पैदा किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है। इनका केवल परस्पर चेतना से शरीर में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में; एक समुदाय से दूसरे समुदाय में; एक देश से दूसरे देश में और एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में स्थानांतरण भर हो सकता है।
- प्रकृति के नियमों के अनुसार किसी व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति से अधिक मजबूत इसीलिए नहीं बनाया गया है कि वह अपने से कमजोर को सताए या क्षति पहुंचाए। अपितु इसी लिए बनाया गया है कि वह अपने से कमजोर की सुरक्षा करे।
- किसी एक वस्तु के विकेंद्रीकरण के लिए किसी दूसरी वस्तु का केंद्रीकरण करना आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए अधिक दूर के खेत की सिंचाई के लिए अधिक पावर के मोटर की आवश्यकता होती है। यानी विकेंद्रीकरण के साध्य के लिए केंद्रीकरण के साधन की आवश्यकता होती है।अतः पार्टी की ऊर्जा को विकेंद्रीकरण में लगाने की बजाय केंद्रीकरण के लाभों को जन-जन तक विकेंद्रित करने में लगाया जाएगा।
- विनिमय माध्यम यानी मुद्रा सामूहिक उद्यम व प्रयासों की पैदावार होती है। इसीलिए मुद्रा के मूल्य को पाने के लिए जीवन के मूल्यों से समझौता करना आवश्यक होता है।
- व्यक्ति की निजी आमदनी में करेंसी नोट पैदा करने वाले राजनीतिक तंत्र का, कानूनों का और प्राकृतिक संसाधनों का हिस्सा भी होता है। यह हिस्सा किसी व्यक्ति की आय में उतना ही अधिक होता है, जितना अधिक उसकी आमदनी होती है।
- दो समुदायों, जिनके बीच ऐतिहासिक शत्रुता दिखाई देती है और जो राजनीतिक विचारधाराएं आपस में परस्पर शत्रु दिखाई देती हैं, वे बिजली के गर्म और ठंडे तारों की तरह होती हैं। यदि इन को आपस में सीधे स्पर्श करा दिया जाए, तो चिंगारी पैदा होती है और आग लग जाती है। यदि इनको बीच में फिलामेंट लगाकर स्पर्श कराया जाए, तो प्रकाश पैदा हो जाता है। अतः परस्पर विरोधी समुदाय और विचारधाराएं एक दूसरे के लिए घातक किंतु संपूर्ण समाज के लिए उपयोगी हैं।
- पार्टी की कार्यप्रणाली सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक होगी। पार्टी का निर्णय प्रत्येक इकाई और प्रत्येक स्तर पर बहुमत से लिया जाएगा।
- अपने गठन के पाँच वर्ष के अंदर चुनाव आयोग द्वारा संचालित चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेगी और इसके बाद चुनाव लड़ना जारी रखेगी।
- पार्टी का उद्देश्य
पार्टी निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करेगी-
- इस संविधान की अनुसूची – 2 में दिए गए कार्यों को संपादित करना।
- राज्य और बाजार दोनों में संतुलन और दोनों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- इष्टतम उत्पादक हाथों में सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के स्वामित्व को स्थानांतरित करने के लिए उनका पारदर्शी मूल्यांकन करना।
- समवेशी विकास के उपाय के रूप में भारत की संसद में लंबित वोटरशिप प्रस्ताव को लागू करना।
- परस्पर विरोधी विचारधाराओं के सह-अस्तित्व के लिए कार्य करना।
- सनियम विश्व नागरिकता के लिए कार्य करना।
- मतकर्ताओं के राजनैतिक और जन्मजात अधिकारों को पहचान दिलाना और उनको अमल में लाना।
- वोटरों के आर्थिक हितों की समृद्धि के लिए आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने वाले व्यक्तियों और संगठनों को उनके कार्यों के बदले भुगतान के उद्देश्य से आवश्यक राजनीतिक, कानूनी और संवैधानिक सुधारों को कार्यान्वित करना।
- पार्टी की गतिविधियां
शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से पार्टी के उद्देश्यों और सिद्धांतों को हासिल करने के लिए पार्टी की गतिविधियां निम्नलिखित होंगी-
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण के लिए काम करना;
- वैयक्तिक, विभिन्न राजनैतिक नेताओं और आध्यात्मिक गुरुओं के अनुयाइयों, गैर राजनीतिक संगठनों, कल्याणकारी अभियानों, स्कूल-कॉलेज व विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केन्द्रों, ट्रस्ट आदि की नेटवर्किंग करना;
- पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए विभिन्न दलों, संगठनों, संस्थानों, न्यासों, फर्मों व कंपनियों को सम्बद्ध और अधिकृत करना;
- पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए विश्व भर के राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, कल्याणकारी न्यासों व कंपनियों को सम्बद्ध और अधिकृत करना।
- पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, कल्याणकारी न्यासों व कंपनियों का गठबंधन बनाना।
- वोटर के जन्मजात राजनैतिक और आर्थिक अधिकारों के प्रसार के लिए पार्टी की सदस्यता व हस्ताक्षर अभियान चलाना; जागरूकता के लिए रैलियां, प्रदर्शन, भूख हड़ताल, जनसभाएं, प्रशिक्षण व कार्यशाला आयोजित करना; पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन करना; रेडियो, टीवी चैनल संचालित करना।
अध्याय 2
अनुच्छेद 2
पार्टी का प्रतीक चिन्ह और मोनोग्राम
पार्टी के पंजीकरण के बाद पार्टी की केन्द्रीय कार्यकारिणी द्वारा पार्टी के चुनाव निशान का निर्धारण किया जाएगा।
अनुच्छेद 3
पार्टी की निष्ठा और विश्वास
पार्टी भारत के संविधान और संविधान के अनुरूप समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतन्त्र के प्रति पूर्ण निष्ठा और विश्वास रखेगी और भारत की प्रभुसत्ता, एकता और अखंडता बनाए रखेगी।
अध्याय 3
अनुच्छेद 4
पार्टी के अंग, उपांग, नीति निर्देशक और गठबंधन
पार्टी के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए पार्टी के कुछ अंग, उपांग, नीति निर्देशक, पार्टी और नेता होंगे। पार्टी की केंद्रीय कमेटी की अनुमति से पार्टी की शासकीय स्तरों की कार्यकारिणियाँ पार्टी की निम्नलिखित इकाइयों (अंगों) का गठन करेंगी-
-
- पार्टी के अंग
- कार्यसमिति
- साधारण सभा
- संसदीय परिषद
- निर्वाचन प्राधिकरण
- निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद
- न्यायिक परिषद
- लोक सेवा नियुक्ति परिषद
- समवर्ती समन्वय परिषद
- समदर्शी समन्वय परिषद
- वीपीआई कोष
- सुरक्षा परिषद
- शून्य सदस्य
- शून्य सदस्यों की सभा
- पार्टी के अंग
- पार्टी के उपांगों के नाम
- पार्टी के प्रकोष्ठ
- पार्टी के मोर्चे
- पार्टी के ऑपरेशन
- पार्टी के सहयोगी
- संचालित संगठन
- संबद्ध संगठन
- अधिकृत संगठन
- नीति निर्देशक
- पार्टी की संस्थापक केंद्रीय कमेटी ने श्री विश्वात्मा को पार्टी का प्रेरणा स्रोत (मेंटर) चुना है। इसलिए श्री विश्वात्मा या उनके द्वारा अधिकृत पार्टी नीति निर्देशक मनोनीत होने के लिए एक व्यक्ति का नाम का प्रस्ताव रखेंगे। पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति उन नामों पर विचार करेगी, जिनमें से एक को पार्टी का नीति निर्देशक चुना जाना है।
- गठबंधनों
- पार्टी पार्टियों के गठबंधन के नियमों का पालन करेगी।
- पार्टी के विभिन्न इकाईयों के ऊर्ध्वाधर स्तर
- पार्टी की इकाइयों के सभी स्तरों को 5 वर्गों में वर्गीकृत किया जाएगा। ये पांचो वर्ग निम्नलिखित हैं-
- शून्य स्तर
- प्रबंधकीय स्तर
- शासकीय स्तर
- निर्वाचन क्षेत्रीय स्तर
- एक्शन स्तर
- शून्य स्तर का नाम
- केंद्रीय स्तर
- प्रबंधकीय (Managerial) स्तरों के नाम
- क्षेत्रीय स्तर (प्रथम ‘एम’ स्तर)
- जनपद स्तर (द्वितीय ‘एम’ स्तर)
- शासकीय (Governing)स्तरों के नाम
- प्रादेशिक स्तर (प्रथम ‘जी’ स्तर)
- देशिक स्तर (द्वितीय ‘जी’ स्तर)
- वतन स्तर (तृतीय ‘जी’ स्तर)
- प्रराष्ट्रीय स्तर (चतुर्थ ‘जी’ स्तर)
- राष्ट्रीय स्तर (पंचम ‘जी’ स्तर)
- निर्वाचन (Constituency) क्षेत्रीय स्तरों के नाम
- विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर (प्रथम ‘सी’ स्तर)
- लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर (द्वितीय ‘सी’ स्तर)
- ग्राम/वार्ड संसदीय क्षेत्र स्तर (तृतीय ‘सी’ स्तर)
- परिवार संसदीय क्षेत्र स्तर (चतुर्थ ‘सी’ स्तर)
- नागरिक संसदीय क्षेत्र स्तर (पंचम ‘सी’ स्तर)
- एक्शन (Action) स्तरों के नाम
- ब्लॉक/टाउन एरिया स्तर (प्रथम ‘ए’ स्तर)
- सर्किल स्तर (द्वितीय ‘ए’ स्तर)
- सेक्टर (गांवों/वार्डों का समूह) स्तर (तृतीय ‘ए’ स्तर)
- ग्राम/वार्ड स्तर (चतुर्थ ‘ए’ स्तर)
- बूथ स्तर (पंचम ‘ए’ स्तर)
- पार्टी के विभिन्न स्तरों पर पार्टी के इकाइयां गठित करने की प्रक्रिया
- केंद्रीय साधारण सभा की अनुमति से केवल पार्टी की केंद्रीय कमेटी को ही किसी स्तर पर नई इकाई गठित करने का अधिकार होगा।
- केंद्रीय कमेटी अपने क्षेत्रीय कमेटियों को किसी नए स्तर पर नई इकाई के गठन के लिए अधिकृत कर सकती है।
- पार्टी के विविध स्तरों की साधारण सभाओं के नाम
- राज्यसभा (राज्य स्तरीय साधारण सभा)
- लोकसभा (देश स्तरीय साधारण सभा)
- ग्राम सभा (वतन स्तरीय साधारण सभा)
- परिवार सभा (परराष्ट्र स्तरीय साधारण सभा)
- नागरिक सभा (राष्ट्र स्तरीय साधारण सभा)
- साधारण सभा (केंद्रीय स्तरीय साधारण सभा)
- पार्टी के विभिन्न अंगों के प्रमुखों के पद नाम
- संसदीय परिषद अध्यक्ष
- निर्वाचन प्राधिकरण अध्यक्ष
- निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद अध्यक्ष
- न्यायिक परिषद अध्यक्ष
- लोक सेवा भर्ती परिषद महानिदेशक
- ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक (ऊर्ध्वाधर)
- क्षैतिज समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक (क्षैतिज)
- पार्टी कोष महाप्रबंधक
- सुरक्षा परिषद महानिदेशक
- जनसंचार प्राधिकरण प्रवक्ता
- पदाधिकारियों के कार्यकाल
- पार्टी की विभिन्न स्तर की इकाइयों की कार्यसमितियों में पदाधिकारियों का कार्यकाल निम्नलिखित होगा
- पार्टी की इकाइयों के सभी स्तरों को 5 वर्गों में वर्गीकृत किया जाएगा। ये पांचो वर्ग निम्नलिखित हैं-
शून्य स्तर 4 वर्ष
शासकीय स्तर 4 वर्ष
प्रशासकीय स्तर 4 वर्ष
निर्वाचन क्षेत्रीय स्तर 4 वर्ष
एक्शन स्तर 4 वर्ष
- द्वितीय उपाध्यक्ष का कार्यकाल सभी कमेटियों में मात्र एक वित्तीय वर्ष होगा।
- पार्टी की विभिन्न इकाइयों के पदाधिकारियों का कार्यकाल
- संसदीय परिषद अध्यक्ष 4 वर्ष
- निर्वाचन प्राधिकरण अध्यक्ष 4 वर्ष
- निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद अध्यक्ष 4 वर्ष
- न्यायिक परिषद अध्यक्ष 4 वर्ष
- लोक सेवा भर्ती परिषद महानिदेशक 4 वर्ष
- ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक (ऊर्ध्वाधर) 4 वर्ष
- क्षैतिज समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक (क्षैतिज) 4 वर्ष
- पार्टी कोष महाप्रबंधक 4 वर्ष
- सुरक्षा परिषद महानिदेशक 4 वर्ष
- जनसंचार प्राधिकरण प्रवक्ता 4 वर्ष
- पार्टी के विभिन्न उपांगों के पदाधिकारियों का कार्यकाल
- प्रकोष्ठ अध्यक्ष 4 वर्ष
- मोर्चा अध्यक्ष 4 वर्ष
- ऑपरेशन अध्यक्ष 4 वर्ष
- पार्टी की केंद्रीय कमेटी के पास पार्टी के विभिन्न स्तरों के अंगों और उपांगों तथा उनके पदाधिकारियों का कार्यकाल घटाने या बढ़ाने का अधिकार होगा।
अध्याय 5
अनुच्छेद – 5
सदस्यता
-
- पार्टी की प्राथमिक और सक्रिय सदस्यता के लिए अर्हताएं –
- भारत का नागरिक हो;
- कम से कम 18 साल की उम्र का हो;
- पार्टी के संविधान में लिखित रूप से अपना विश्वास प्रकट करता हो;
- चुनाव आयोग में पंजीकृत किसी अन्य राजनीतिक पार्टी का सदस्य न हो;
- पार्टी की सदस्यता लेने के लिए निर्धारित फॉर्म-1 के द्वारा सदस्यता के लिए आवेदन करता हो;
- इसआशय की घोषणा करता हो कि सदस्यों के लिए पार्टी के संविधान की अनुसूची-3 में दिए गए नियमों के अनुरूप पार्टी को नियमित सदस्यता शुल्क जमा करेगा;
- निर्धारित प्रपत्र द्वारा सदस्यता के लिए आवेदन किया हो और पार्टी द्वारा नियमों के तहत उसका आवेदन पत्र स्वीकार कर लिया गया हो;
- इस आशय की घोषणा करेगा कि आवेदक संगठन किसी अन्य राजनीतिक पार्टी में पंजीकृत नहीं है।
- पार्टी के फार्म-1 के अनुसार पार्टी की सदस्यता के लिए नियमानुसार आवेदन किया हो, वह आवेदन स्वीकार किया गया हो और सदस्यता मंजूर की गयी हो।
- सदस्यता का वर्गीकरण
- प्राथमिक सदस्य –पार्टी का प्राथमिक सदस्य बनने के लिए ज़रूरी है कि सदस्य अनुछेद 5.1 के अनुसार अर्हताएँ पूरी करता हो। प्राथमिक सदस्यता प्राप्त करने के लिए आवेदक पार्टी की सक्रिय सदस्यता का लाभ उठाने के लिए तय फॉर्म -1 के अनुसार आवेदन करेगा। दो प्रकार के प्राथमिक सदस्य होंगे। पहले को भुगतान करने वाला प्राथमिक सदस्य कहा जाएगा और दूसरे को अनुशंसित प्राथमिक सदस्य कहा जाएगा। भुगतान किए गए प्राथमिक सदस्य सदस्यता के लिए अपेक्षित शुल्क का भुगतान करेंगे और अनुशंसित प्राथमिक सदस्यों को केंद्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जिला कार्यकारी समिति की सिफारिश के अनुमोदन के बिना, किसी भी शुल्क के बिना प्राथमिक सदस्यों के रूप में पंजीकृत किया जाएगा।
- सक्रिय सदस्य – प्राथमिक सदस्य, जो पार्टी के लिए न्यूनतम 4 प्राथमिक सदस्यों का नामांकन करेगा, उसे पार्टी का सक्रिय सदस्य कहा जाएगा। सक्रिय सदस्यता प्राप्त करने के लिए आवेदक पार्टी की सक्रिय सदस्यता के निर्धारित फॉर्म -2 के अनुसार आवेदन करेगा।
- शून्य सदस्य – कोई व्यक्ति निम्न आधारों पर –
- पार्टी की प्राथमिक और सक्रिय सदस्यता के लिए अर्हताएं –
(i) किसी प्राथमिक या सक्रिय सदस्य या पार्टी के पदाधिकारी द्वारा सिफारिशें; या
(ii) आवेदक के प्राथमिक या पार्टी के सक्रिय सदस्य के रूप में शामिल होने की अधूरी कार्यवाही के आधार पर;
(iii) केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्यों की सिफारिशों के आधार पर, गैर-राजनीतिक तरीके से सामाजिक कारण के लिए काम करने वाले पार्टी को उपयोगी व्यक्तियों की आपूर्ति करने के लिए, जो किसी भी कारणवश पार्टी में शामिल होने में संकोच करते हैं, जो पार्टी की उपयोगी आलोचना प्रस्तुत कर सकता है;
पार्टी का शून्य सदस्य कहा जाएगा। शून्य सदस्य के बारे में जानकारी पार्टी के केंद्रीय कार्यालय को पार्टी के फॉर्म -4 के प्रारूप के माध्यम से भेजी जाएगी। शून्य साधारण सभा के सदस्यों के चुनाव में मतदान करने के लिए केंद्रीय कार्यकारी समिति द्वारा शून्य सदस्यों को मान्यता दी जा सकती है, यदि समिति को लगता है कि पार्टी के संविधान के लिए उक्त शून्य सदस्य का गहरा सम्मान है।
- अन्तरिम पदाधिकारी – केंद्रीय समिति पार्टी के पदाधिकारियों/अंतरिम पदाधिकारियों को किसी व्यक्ति को पार्टी के लिए उपयोगिता देखकर को पार्टी के अंतरिम पदाधिकारी के रूप में नामित करने के लिए प्राधिकृत कर सकती है। अंतरिम पदाधिकारियों के बारे में जानकारी पार्टी के फॉर्म -5 के प्रारूप के माध्यम से पार्टी के कार्यालय को भेजी जाएगी। पदाधिकारी / अंतरिम पदाधिकारी, जो किसी को अंतरिम पदाधिकारी के रूप में नामांकित कर रहा है, नामांकित व्यक्ति को फॉर्म -51 के प्रारूप पर एक निर्धारित प्रमाण पत्र जारी करेगा और पूर्णतया भरे हुए फॉर्म -5 के साथ एक प्रति पार्टी कार्यालय में रिकार्ड के लिए भेजी जाएगी। अंतरिम पदाधिकारियों के अधिकार और कर्तव्य पार्टी के शून्य सदस्यों के समान होंगे।
- पदाधिकारी – केवल सक्रिय सदस्यों को ही पार्टी का पदाधिकारी बनने का अधिकार होगा। पार्टी के पदाधिकारी के रूप में पार्टी में शामिल होने के इच्छुक लोग निर्धारित फार्म -6 के अनुसार आवेदन करेंगे। पार्टी के संबंधित अंग या उपांग के पदाधिकारी नव-भर्ती पदाधिकारी को फॉर्म-6.1 के प्रारूप पर एक निर्धारित प्रमाण पत्र जारी करेंगे और पूर्णतया भरे हुए फॉर्म -6 के साथ उसकी एक प्रति पार्टी की संबंधित इकाई के कार्यालय को रिकॉर्ड के लिए भेजी जाएगी।
- आधारभूत (मौलिक) सदस्य – पार्टी गठबंधन के मौलिक सदस्य पार्टी के पदेन प्राथमिक सदस्य होंगे। इन सदस्यों की भर्ती पार्टी गठबंधन द्वारा की जाएगी और ऐसे सदस्यों का रिकॉर्ड पार्टी गठबंधन द्वारा रखा जाएगा। मौलिक सदस्यों के अधिकार और कर्तव्य पार्टी के शून्य सदस्यों के अधिकारों और कर्तव्यों के समान होंगे।
- सदस्यता कार्यकाल और सदस्यों की शपथ
- प्राथमिक सदस्यता का कार्यकाल 4 वर्ष होगा। 4 वर्ष के अंदर नवीनीकरण के आवेदन द्वारा सदस्यता का नवीनीकरण कराना आवश्यक है। कोई भी सदस्य अपने स्थाई या पंजीकृत पते पर ही सदस्य बन सकता है। पता परिवर्तन करने की स्थिति में सदस्य तत्काल पुराने और नए जिला कार्यालय को सूचना देना अनिवार्य है। एक व्यक्ति दो या अधिक स्थानों पर सदस्य नहीं बन सकता है।
- आवेदन पत्र के साथ सदस्यों को शपथ पूर्वक निम्नलिखित घोषणा करनी अनिवार्य है-
- पार्टी के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए पार्टी द्वारा निर्धारित तरीकों का ही प्रयोग किया जाएगा;
- कार्य करने के तरीके को पार्टी के संविधान के अनुरूप बनाने के लिए कम करेंगे;
- उच्च स्तरीय समदर्शिता का भाव पैदा करने के लिए काम करेंगे;
- सदस्यता का पंजीकरण और नवीनीकरण
- किसी भी व्यक्ति को पार्टी की सक्रिय सदस्यता प्राप्त करने के लिए भर्ती परिषद के प्रमुख को पार्टी के निर्धारित फार्म 1 के माध्यम से आवेदन करना होगा। सक्रिय सदस्य बनने के लिए सदस्य को आवेदन पत्र में दिए गए पांच शासकीय स्तरों में से किसी एक स्तर को चुनना होगा। सक्रिय सदस्य बनने के लिए उसे फार्म के माध्यम पार्टी संगठन के प्रकोष्ठ, मोर्चा एवं ऑपरेशनों में से किसी एक को चुनना होगा।
- पार्टी की भर्ती परिषद को यह अधिकार होगा कि वह किसी व्यक्ति को सदस्यता देते समय पार्टी की कार्यसमिति के किसी सदस्य की सिफारिश मांगे या नियमानुसार आवेदक को पार्टी की उचित इकाई में और उचित स्तर पर नियुक्त कर दे।
- भर्ती परिषद अपने निर्णय के अनुसार किसी संगठन को अंतरिम या अंतिम सदस्यता दे सकती है।
- सदस्यता की अंतिम मंजूरी संबंधित इकाई की कार्यसमिति करेगी।
- प्राथमिक सदस्यता का नवीनीकरण पार्टी के फार्म 1.1 पर निर्धारित शुल्क के साथ होगा। नवीनीकरण शुल्क प्राथमिक सदस्यता शुल्क की आधी रकम होगी।
- सदस्यता का रिकॉर्ड और उसका सत्यापन
- पार्टी की क्षेत्रीय कमेटी भर्ती किए गए या नवीनीकरण किए गए प्राथमिक और सक्रिय सदस्यों की सूची प्रत्येक 3 वर्ष पर 31 मार्च तक प्रकाशित करेगी। जांच पुनरीक्षण के बाद अंतिम सूची प्रत्येक 3 वर्ष में 31 अगस्त से पूर्व प्रकाशित की जाएगी।
- एक बार सदस्यों की सूची प्रकाशित हो जाने के बाद तब तक बनी रहेगी, जब तक अगली अंतिम सूची प्रकाशित नहीं होगी। संबंधित शासकीय इकाई के प्रमाणीकृत किए जाने के बाद स्थाई सदस्यों की सूची और रजिस्टर पार्टी की क्षेत्रीय समिति द्वारा बनाया जाएगा।
- सदस्यता के सत्यापन का अधिकार संबन्धित कार्यसमिति के महासचिव के माध्यम से उस समिति के अध्यक्ष को होगा। सदस्यता के सत्यापन से संबन्धित नियम बनाने का अधिकार पार्टी की केंद्रीय कमेटी को होगा।
- सदस्यता के त्यागपत्र और स्थानांतरण के विषय में आवेदन
- पार्टी की कार्यसमिति, साधारण सभा, न्यायिक परिषद का कोई सदस्य अपना त्यागपत्र या उस इकाई से दूसरी इकाई में या एक स्तर से दूसरे स्तर में स्थानांतरण संबंधी आवेदन सदस्य की अपनी इकाई की कार्यसमिति के प्रमुख को देगा। कार्यसमिति का प्रमुख अंतिम फैसला लेने के लिए आवेदन को अपनी उच्चस्थ समिति को अपनी संस्तुति के साथ प्रेषित करेगा। इस संस्तुति में आवेदन में की गई प्रार्थना की स्वीकृति हो सकती है, निरस्तीकरण या स्थगन हो सकता है। यदि आवेदक को उच्च स्तर कमेटी का फैसला स्वीकार्य नहीं है, तो वह पार्टी की संबंधित न्यायिक प्रकोष्ठ में याचिका प्रस्तुत कर सकता है।
- पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति के अलावा पार्टी की पांचों शासकीय स्तर की कमेटियों को अपने-अपने स्तरों से संबंधित सदस्यों की सदस्यता के त्यागपत्र या स्थानांतरण संबंधी विधियां बनाने का अधिकार होगा।
- सदस्यों के अधिकार
- पार्टी के प्राथमिक सदस्यों को पार्टी की केंद्रीय कमेटी के अध्यक्ष के चुनाव में वोट देने का अधिकार होगा।
- पार्टी की केंद्रीय कमेटी को सदस्य के मौलिक अधिकारों के साथ साथ उनके व्युत्पन्न और कानूनी अधिकारों संबंधी नियम बनाने का अधिकार होगा
- पार्टी के सक्रिय सदस्यों को केवल उस शासकीय स्तर के प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग लेने और वोट देने का अधिकार व होगा, जिस स्तर से वह संबंधित है। उदाहरण के लिए प्रादेशिक स्तर के सक्रिय सदस्य को पार्टी की प्रादेशिक साधारण सभा के गठन के लिए होने वाले निर्वाचन में प्रादेशिक प्रतिनिधि भेजने के लिए होने वाले चुनाव में वोट देने का अधिकार होगा।
- वोटर सलाहकार को 100 प्राथमिक सदस्यों से लगातार रिश्ता बनाए रखने तथा 100 सदस्यों की सदस्यता के नवीनीकरण की ज़िम्मेदारी होगी। वह वोटर के अधिकारों और कर्तव्यों को बढ़ाने के लिए वोटर की सलाह का अध्ययन करेगा/करेगी। चुनाव के समय वह पैसे के बल पर मीडिया द्वारा किसी समकालीन नेता की नायक या खलनायक की बनाने के पीछे की सच्चाई को सभी वोटरो को बताएगा/बताएगी।
- मौलिक सदस्य, मिशन मित्र सदस्य, भातृ सदस्य और शून्य सदस्य को पार्टी के संगठनात्मक चुनावों में वोट देने का कोई अधिकार नहीं होगा।
- सदस्यों के कर्तव्य
- पार्टी के सदस्यों के कर्तव्य निम्नलिखित होंगे-
- पार्टी की नीतियों का प्रचार-प्रसार;
- पार्टी के शक्ति प्रदर्शनों में अपने संगठन की यथाशक्य संपूर्ण शक्ति लगाकर अपनी व पार्टी की ताकत दिखाना;
- पार्टी कोष में अधिक से अधिक आर्थिक सहयोग करना;
- पार्टी के कामों को संपादित करने के लिए समय दान व श्रमदान करना;
- पार्टी की नीतियों व कार्यक्रमों के प्रति सजग रहने के लिए पार्टी की पत्र-पत्रिकाओं का नियमित अध्ययन करना और अपने संगठन के लोगों को करवाना;
- जनता की शंकाओं का सतत समाधान करते रहना;
- अन्य लोगों को पार्टी से जुड़ने के लिए समझाना;
- जनता की मनोकामनाओं, अपेक्षाओं और आवश्यकताओं को पार्टी की केंद्रीय समिति तक सतत पहुंचाते रहना;
- सदस्यों की आय का जरिया
- सदस्य की अस्तित्वगत सुरक्षा के लिए आय का स्रोत
- भारत का नागरिक होने के नाते उसके पूर्वजों द्वारा बनाए गए संसाधनों में हिस्सा
- सदस्य को प्राप्त आरडीआर यानी भविष्य में संसद द्वारा वित्त विधेयकों को पारित करने से प्राप्त होने वाली वह रकम, जो सदस्य को उसके कार्यों का मूल्यांकन के आधार पर जारी किया जाता है
- पार्टी के कार्यों को करने के बदले प्राप्त आय
- सदस्य द्वारा जिस समुदाय की जरूरतों को पूरा किया जाता है, उससे प्राप्त आर्थिक सहयोग;
- पार्टी द्वारा सदस्य के नाम जारी धनराशि;
- कार्य मूल्यांकन नोट (आरडीआर);
- सदस्य के कार्य की प्रेरणा का स्रोत
- पार्टी की विश्व/राष्ट्र स्तरीय भारतीय इकाइयों के सदस्यों के कार्य का प्रेरणा स्रोत
- विश्व भर के नागरिकों की साझी आर्थिक विरासत की मान्यता, सुरक्षा और विकास के लिए कार्य;
- विश्व भर के समस्त नागरिक, अर्थव्यवस्था की अध:संरचना-सड़क, यातायात, संचार साधनों, उपभोग वस्तुओं का उपयोग कर सकें, इसके लिए लोगों के व्यक्तिगत विकास सूचकांक को बढ़ाने के लिए कार्य;
- व्यक्ति की मानसिक क्षमता और उसकी आर्थिक क्षमता को नजरअंदाज करते हुए वितरण का न्याय सुलभ करते हुए विश्व के सभी नागरिकों तक उपभोग वस्तुएं व सेवाएं पहुंचाने के लिए कार्य;
- राष्ट्रीय साधारण सभा की भारतीय इकाई के लिए आरक्षित सभी कार्य;
- राष्ट्रीय विकासक सभा की भारतीय इकाई के सदस्यों के लिए विश्व स्तरीय आर्थिक आधार संरचना विकसित करने का कार्य।
- प्रादेशिक स्तर के सदस्यों के कार्य के प्रेरणा स्रोत
- प्रादेशिक क्षेत्र के सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और विकास के कार्य।
- सड़कों, बिजली, संचार और यातायात जैसी क्षेत्रीय अध:संरचना के विकास, विश्व विकास सूचकांक में वृद्धि के कार्य और रोजगार के परंपरागत साधनों का विकास।
- उपभोक्ता वस्तुओं के अधिक से अधिक उत्पादन का कार्य।
- पार्टी संविधान में प्रादेशिक साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्य।
- प्रादेशिक विधायी सदस्य उसके द्वारा प्राप्त की गयी राजनैतिक शक्ति या सामाजिक शक्ति के द्वारा निजी आर्थिक क्षमता को बढ़ाना।
- देश, वतन और प्रराष्ट्र स्तरीय भारतीय इकाई के सदस्यों के कार्य का प्रेरणा स्रोत
- प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर के सदस्यों के मूल्य व विचारधारा परस्पर विरोधी किंतु पूरक होंगे। परादेशिक व राष्ट्रीय स्तर के पार्टी की इकाइयों की कार्यसूची मध्यवर्ती अन्य तीन स्तर के सदस्यों के कार्य का प्रेरणास्रोत होगा। अंतर गुणों में नहीं मात्रा में होगा।
- देशों के स्तर के सदस्यों को कार्य की प्रेरणा प्रादेशिक साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्य होंगे।
- प्रराष्ट्रीय स्तर के सदस्यों के कार्यों की प्रेरणा राष्ट्रीय साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्य होंगे।
- वतन स्तर के सदस्यों के कार्य की प्रेरणा स्रोत होगी राष्ट्रीय और प्रादेशिक साधारण सभा के लिए आरक्षित कार्यों में समन्वय करना।
- पार्टी के आय-व्यय और सदस्यता शुल्क की प्रकृति
- पार्टी के प्राथमिक सदस्यों के सदस्यता शुल्क का निर्धारण
- प्राथमिक सदस्यों की सदस्यता शुल्क पार्टी का केंद्रीय समिति द्वारा तय किया जाएगा।
- केंद्रीय कमेटी प्राथमिक सदस्यों की सदस्यता शुल्क का निर्धारण क्षेत्रीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर करेगी।
- विविध प्रावधान-
- कार्यसमिति का कोई भी सदस्य सहायता के रूप में निजी रूप से किसी से भी कोई राशि स्वीकार नहीं करेगा। ऐसी राशि अवैध मानी जाएगी। कोई भी राशि पार्टी की ओर से ही स्वीकार की जा सकती है, जिसके बदले पार्टी कार्यालय द्वारा जारी रसीद देना आवश्यक है।
- कोई भी सदस्य या कोई अन्य व्यक्ति, संगठन, संस्थान, ट्रस्ट, कंपनी या फर्म पार्टी को अल्पकालिक या दीर्घकालिक ऋण दे सकता है। वह किसी अन्य संगठन को ऋण वापसी के लिए अधिकृत कर सकता है। ऋण प्राप्ति के बदले पार्टी आरडीआर यानी रिफंडेबल डोनेशन रसीद, प्रोमीजरी नोट, गारंटी नोट इत्यादि जारी कर सकती है।
- केंद्रीय कमेटी अपनी क्षेत्रीय समितियों द्वारा प्राथमिक सदस्य की सदस्यता का सत्यापन करेगी। क्षेत्रीय कमेटियां इस आशय की अपनी संस्तुति करेंगी कि किन-किन सदस्यों ने सदस्यता संबंधी नियमों का अनुपालन नहीं किया है। ऐसे सदस्यों की सदस्यता रद्द की जा सकती है। किंतु सदस्य को इस तरह के फैसले के विरुद्ध संबंधित न्यायिक परिषद में याचिका प्रस्तुत करने का अधिकार होगा। न्यायिक परिषद का निर्णय अंतिम होगा।
- पाँच एक्शन और निर्वाचन क्षेत्रीय ऊर्ध्वाधर स्तरों की कमेटियां अपने से संबंधित स्तर के सदस्यों की सदस्यता का सत्यापन नियमित करती रहेंगी और अंतिम निर्णय के लिए संबंधित शासकीय समिति को अपनी संस्तुति भेजती रहेंगी।
- पार्टी की केंद्रीय समिति समय-समय पर प्राथमिक और सक्रिय सदस्यों की सदस्यता शुल्क का निर्धारण करेंगी।
- पार्टी की केंद्रीय कमेटी समय-समय पर अपनी प्रबंधकीय इकाइयों द्वारा सदस्यता अभियान चलाएगी। क्षेत्रीय कमेटी अपने कार्यों का संपादन जनपद कमेटियों द्वारा करेंगी। जनपद और ब्लॉक स्तर की कमेटियां गांव/वार्ड स्तर की कमेटियों को प्राथमिक व सक्रिय सदस्यता अभियान के कार्य में लगाएंगी।
- पार्टी को प्राप्त सदस्यता शुल्क और आर्थिक सहयोग राशि पार्टी की विविध ऊर्ध्वाधर इकाइयों में संविधान की अनुसूची 3 में दिए गए नियमों के अनुसार वितरित होगी।
- पार्टी की केंद्रीय कमेटी को सदस्यता शुल्क के नियमों में और अनुदान में प्राप्त राशि को विविध ऊर्ध्वाधर इकाइयों में वितरित करने के नियमों को संशोधित करने का अधिकार होगा।
- यदि पार्टी की किसी इकाई को सदस्यता शुल्क या अनुदान राशि में हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार तो है, किंतु वह इकाई अस्तित्व में नहीं है या स्थगित है या भंग हो गई है, तो उसके हिस्से की राशि पार्टी के केंद्रीय कमेटी के खाते में जमा रहेगी।
- सदस्यता का निरस्तीकरण, स्थगन और स्थानांतरण –
- पार्टी के प्राथमिक सदस्यों के सदस्यता शुल्क का निर्धारण
- पार्टी की विश्व/राष्ट्र स्तरीय भारतीय इकाइयों के सदस्यों के कार्य का प्रेरणा स्रोत
- सदस्य की अस्तित्वगत सुरक्षा के लिए आय का स्रोत
- पार्टी के सदस्यों के कर्तव्य निम्नलिखित होंगे-
पार्टी की कार्य समितियों को अपने सदस्यों की सदस्यता का स्थगन, निरस्तीकरण या स्थानांतरण करने का अधिकार है। वे अपने सदस्यों का स्थगन, निरस्तीकरण या स्थानांतरण जिन आधारों पर कर सकती हैं, वे इस प्रकार हैं-
- सदस्यता शुल्क का न दिया जाना;
- सदस्य का त्यागपत्र;
- सदस्य की मृत्यु;
- सदस्य की विक्षिप्तता;
- सदस्य की निष्क्रियता
- न्यायिक परिषद द्वारा दोषी पाए जाने पर सदस्यता का स्थगन या निरस्तीकरण
- सदस्यों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही
- अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए पार्टी की संबंधित कमेटी को यह अधिकार होगा कि वह सदस्य की सदस्यता कुछ वर्षों के लिए स्थगित कर दे या निरस्त कर दे या पार्टी की किसी दूसरी इकाई में स्थानांतरण कर दें।
- केंद्रीय कमेटी के पास अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत किसी सदस्य को पार्टी की किसी क्षैतिज या ऊर्ध्वाधर कमेटी में स्थानांतरित करने का अधिकार सुरक्षित होगा।
- अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत दंडित किसी सदस्य को संबंधित न्यायिक परिषद में याचिका पेश करने और परिषद के फैसले के विरुद्ध उच्चस्थ न्यायिक परिषद में अपील करने का अधिकार होगा।
अध्याय 6
अनुच्छेद 6
पार्टी की विभिन्न इकाइयों के अधिकारों और कर्तव्यों से संबंधित प्रावधान
- शून्य सदस्यों के कर्तव्य
- शून्य सदस्यों का यह कर्तव्य है कि वे इस बात का ध्यान रखें कि पार्टी या इसकी कोई इकाई कोई गलत काम तो नहीं कर रही है। यदि ऐसा कुछ वह देखते हैं, तो अपने परिचित सदस्य को एक लिखित शिकायत कर सकते हैं। शिकायत की एक प्रति उच्चस्थ समिति को भी भेजना चाहिए। शून्य सदस्य का कर्तव्य है कि वह पार्टी के कार्यक्रमों को निष्पक्ष भाव से देखें।
- शून्य सदस्यों को पार्टी के उद्देश्य और उसकी सामाजिक उपयोगिता को समझने का प्रयास करना चाहिए। यदि शून्य सदस्य समझता है कि थोड़ा सा नुकसान उठाकर वह बहुत बड़ी संख्या में लोगों को लाभ पहुंचा सकता है, तो उसको उस मानसिकता से उबरने के लिए प्रयास करना चाहिए, जो मानसिकता और मान्यता ऐसे नुकसान उठाने से उसको रोकती है।
- शून्य सदस्य को प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं और शुल्क के बिना प्राथमिक सदस्य के अधिकारों का उपयोग करने का अधिकार है। जो शून्य सदस्य पार्टी के लिए ईमानदारी से काम करेगा और जो पार्टी के संविधान का सम्मान करेगा, उसे शून्य साधारण सभा सदस्यों के चुनाव में मतदान करने के लिए स्वतः रूप से मान्यता दी जा सकती है।
- शून्य सभा के लिए चुना गया कोई सदस्य पार्टी की केंद्रीय कमेटी द्वारा पार्टी का नीति निर्देशक चुना जा सकता है।
- शून्य सदस्यों के अधिकार
- सदस्य को यह अधिकार होगा कि वह बिना पर्याप्त औपचारिकता और सदस्यता शुल्क के पार्टी का सदस्य बन सकता है।
- उचित फार्म भरते हुए शून्य सदस्य को यह अधिकार होगा कि वह पार्टी की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी करें। पार्टी की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी करने के लिए उसे पार्टी के नीति निर्देशक के निर्वाचन में नामांकन करना अनिवार्य है। यदि नामांकन के बाद शून्य सदस्य पार्टी की केंद्रीय कमेटी के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त करने में कामयाब होता है, तो वह पार्टी का नीति निर्देशक बन सकता है।
- शून्य सदस्यों की शिकायत यदि उच्च और उच्चतम, यहाँ तक कि पार्टी की केंद्रीय कमेटी द्वारा भी नहीं सुनी जाती है या उसके जवाब या प्रतिक्रिया से शून्य सदस्य संतुष्ट नहीं होता है, तो वह पार्टी की सरेआम आलोचना भी कर सकता है।
अध्याय 7
अनुच्छेद 7
साधारण सभा
पार्टी के सभी स्तरों पर प्रत्येक कार्यसमिति के कार्यक्रमों को, योजनाओं को, बजट को मंजूर करने के लिए संबंधित इकाई का एक घटक होगा, जिसे संबंधित इकाई की साधारण सभा कहा जाएगा। संबंधित इकाई की कार्यसमिति का अध्यक्ष साधारण सभा की बैठकों की अध्यक्षता करेगा। शुरुआत में केवल एक ही स्तर की साधारण सभा होगी, जिसे केंद्रीय स्तर कहा जाएगा। पार्टी के संस्थापक सदस्य पार्टी की संस्थापक केंद्रीय कार्यसमिति का गठन करेंगे। समय बीतने के साथ जैसे-जैसे सदस्यों की संख्या बढ़ती जाएगी, पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति और केंद्रीय साधारण सभा का गठन पार्टी के नियमों के अनुसार होने लगेगा। इसके अलावा पार्टी की साधारण सभा के संबंधित नियम निम्नलिखित होंगे-
-
- साधारण सभा का गठन
- केंद्रीय साधारण सभा का गठन –
- साधारण सभा का गठन
केंद्रीय साधारण सभा का गठन करने के लिए पार्टी की पांचो शासकीय स्तरों की कार्यसमितियां अपने-अपने डेलीगेट (प्रतिनिधि) केंद्रीय साधारण सभा को चुनकर भेजेंगे। प्रत्येक इकाई उतने प्रतिनिधि भेजेगी, जितने कि उस इकाई के कार्यक्षेत्र में प्रादेशिक इकाईयां होंगी। प्रादेशिक इकाइयों को केवल 1 डेलीगेट भेजने का अधिकार होगा। केंद्रीय सभा में प्रतिनिधित्व को तार्किक व न्यायिक बनाने के लिए केंद्रीय कमेटी क्षेत्रीय कमेटियों की रिपोर्ट के आधार पर समय-समय पर सदस्यों की न्यूनतम व अधिकतम संख्या तय कर सकती है, जिनको केंद्रीय साधारण सभा को एक प्रतिनिधि भेजने का अधिकार होगा।
- विधायक साधारण सभा का गठन –
पार्टी की गतिविधियों को अधिकतम कार्यकर्ता सुलभ कराने वाले सदस्यों को विधायक साधारण सभा की सदस्यता देने में प्राथमिकता दी जाएगी। विधायक साधारण सभा की खाली सीटों को जनसभा प्रतियोगिता से निर्धारित योग्यता क्रम सूची से चुना जाएगा।
- विकासक साधारण सभा का गठन
साधारण सभा के समानांतर दूसरे घटक को विकासक साधारण सभा कहा जाएगा। विकासक साधारण सभा उन सदस्यों की सभा होगी, जो पार्टी को अधिकतम आर्थिक सहयोग करेंगे। विकासक साधारण सभा की सीटों पर भर्ती मेरिट के आधार पर होगी। यह मेरिट आर्थिक सहयोग करने वाले सदस्यों की आर्थिक सहयोग की मात्रा के आधार पर बनाई जाएगी।
- विकासक साधारण सभा के सदस्यों की संख्या विधायक साधारण सभा के सदस्यों की संख्या के बराबर होगी। सीटों के क्षेत्रों की सीमा भी वही होगी। पार्टी कि संबंधित इकाई की कार्यसमिति का अध्यक्ष नियमों के अनुरूप विकासक साधारण सभा के सदस्यों का मनोनयन करेगा।
- आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपनी क्षमता के अनुसार पार्टी को दी जा सकने वाली अधिकतम राशि की घोषणा करते हुए कोई भी सदस्य नामांकन कर सकता है। अपने नामांकन पत्र में नामांकनकर्ता उल्लेख करेगा कि वह किस स्तर पर किस क्षेत्र और किस सीट के लिए नामांकित कर रहा है।
- नामांकन पत्रों को प्राप्त करने वाला पार्टी का कार्यालय सभी नामांकन पत्रों को टेंडर की तरह गोपनीय रखेगा। सभी नामांकन पत्रों को संबंधित न्यायिक परिषद की निगरानी में एक खुले समारोह में खोला जाएगा और जांच की जाएगी, जहां सभी नामांकनकर्ता सदस्य या उनके प्रतिनिधि मौजूद होंगे। संबंधित कमेटी की भर्ती परिषद उस नामांकनकर्ता के नाम की सिफारिश कमेटी को करेगी, जिसने अगले वित्तीय वर्ष के लिए संबंधित सीट पर अधिकतम धनराशि का अनुदान देने की इच्छा जाहिर की है। यह नामांकन अंतरिम होगा। यदि अपनी घोषणा पर वह सदस्य खरा उतरता है और घोषित राशि समय पर जमा कर देता है, तो वह आगामी एक वित्तीय वर्ष तक उस संबंधित सीट के लिए साधारण विकासक सभा के लिए प्रतिनिधित्व करेगा।
- विधायक साधारण सभा का योग्यता क्रम
पार्टी की विकासक साधारण सभा के गठन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी। यह प्रतियोगिता संबंधित इकाई के निर्वाचन प्राधिकरण द्वारा संचालित की जाएगी। पार्टी के संविधान के प्रावधानों के अनुरूप पार्टी का निर्वाचन प्राधिकरण विधायक और विकासक साधारण सभा का गठन करेगा।
- साधारण सभा के सदस्यों के अधिकार
- विधायक साधारण सभा का सदस्य विकासक साधारण सभा के किसी सदस्य के आदेश को रद्द कर सकता है। विधायक साधारण सभा के सदस्य के आदेश को रद्द करने का अधिकार विकासक साधारण सभा के सदस्य को भी होगा।
- विधायक साधारण सभा विकासक साधारण सभा द्वारा पारित किसी प्रस्ताव को रद्द कर सकती है। विकासक साधारण सभा को भी विधायक साधारण सभा जैसा ही अधिकार होगा।
- विधायक या विकासक साधारण सभा का कोई सदस्य कोई विधेयक अपनी ही सभा में विचारणार्थ प्रस्तुत कर सकता है। साधारण सभा के सदस्य अपनी सभा में प्रस्तुत किसी विधेयक के पक्ष या विपक्ष में वोट दे सकते हैं। साधारण सभा के सदस्यों को ऐसा कोई भी कार्य या व्यवहार करने का अधिकार होगा, जिसमें सदस्य को लाभ होता हो। बशर्ते उसके खिलाफ कोई वीटो का उपयोग करके अपने निषेधाधिकार का प्रयोग न करें।
- जनशक्ति को जोड़ने का दावा साबित करने के बाद कोई भी सदस्य संबंधित स्तर की कार्यकारी समिति का प्रथम उपाध्यक्ष बन सकता है और धनशक्ति के योगदान के दावे को साबित करके, कोई अध्यक्ष द्वारा नामित होकर संबंधित कार्यकारी समिति का द्वितीय उपाध्यक्ष बन सकता है ।
- साधारण सभा के सदस्यों के कर्तव्य
- विधायक साधारण सभा का सदस्य अपने क्षेत्र के सदस्यों, लोगों और पार्टी की संबंधित कार्यसमिति के बीच समन्वय स्थापित करेगा।
- यदि किसी सदस्य या पदाधिकारी को लगता है कि कोई अन्य व्यक्ति उससे अधिक उपयोगी है, जो उसकी जगह पर काम करने के लिए इच्छुक है, वह ऐसे व्यक्ति को अवसर प्रदान करने के लिए उसका सहयोग करेगा / करेगी, यहां तक कि अगर उसे इसके लिए कुछ त्याग करना पड़े।
- कोई भी पूर्व सदस्य अपने दुश्मन के रूप में किसी भी मौजूदा सदस्य के बारे में व्यवहार नहीं करेगा, लेकिन एक खेल भावना के साथ प्रतियोगिता को देखेगा।
- प्रत्येक पूर्व-सदस्य शालीन व्यवहार करेगा, ताकि वह संगठन की ताकत के बिना भी अपनी पहले से अर्जित प्रतिष्ठा को बनाए रख सके।
- वर्तमान या पूर्व सदस्य संगठन में ऐसे व्यक्तियों की सिफारिश करने के लिए नज़र रखेंगे, जो संगठन के लिए उपयोगी होंगे। हालाँकि कोई भी सदस्य इस बात पर जोर नहीं देगा कि उस व्यक्ति को उसकी सिफारिश के आधार पर ही चुना जाना चाहिए।
अध्याय 8
अनुच्छेद 8
कार्यसमितियां
पार्टी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए केंद्रीय स्तर पर और पार्टी के संगठनात्मक ढांचे के अन्य स्तरों पर कार्यसमितियां होंगी। कार्यसमितियां संबंधित साधारण सभा द्वारा अनुमोदित कार्यक्रमों और मंजूर किए गए बजट के अनुसार तथा पार्टी संविधान के सिद्धांतों तथा नीति निर्देशों के अनुसार कार्य करेंगी।
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- कार्यसमितियों के प्रकार और उनका स्तर –
बहुत से कार्यकारी अधिकार पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति में निहित होंगे। सभी कार्यसमितियों का मुख्य कार्यकारी अधिकार कार्यसमितियों के अध्यक्षों में निहित होगा, जो अपना कार्य कमेटी के तीन घटकों-ब्यूरो, बोर्ड और सचिवालय के माध्यम से संपादित करेगा।
- केंद्रीय कार्यसमिति का गठन-
- केंद्रीय कार्यसमिति के पदाधिकारी 4 ऊर्ध्वाधर वर्गों में वर्गीकृत होंगे। नीति निर्देशक शून्य स्तर में होगा। अध्यक्ष प्रथम स्तर पर होंगे, उपाध्यक्ष द्वितीय स्तर में होंगे। बाकी सभी पदाधिकारी तृतीय स्तर में होंगे।
- पार्टी की कार्यसमितियों के चार अंग होंगे। इन चारों अंगों को नीति निदेशालय, ब्यूरो, बोर्ड और सचिवालय कहा जाएगा। नीति निदेशालय का प्रमुख नीति निर्देशक होगा। ब्यूरो प्रमुख को प्रथम उपाध्यक्ष और बोर्ड प्रमुख को द्वितीय उपाध्यक्ष कहा जाएगा।
- महासचिव के अधीन सचिवालय काम करेगा। महासचिव बोर्ड और ब्यूरो की अपेक्षाओं को ग्रहण करेगा और उचित भाषा में एक-दूसरे तक पहुंचाएगा तथा अध्यक्ष तक पहुंचाएगा।
- प्रत्येक कार्यसमिति में पार्टी कोष का एक अध्यक्ष होगा, जो पार्टी के आय-व्यय का लेखा जोखा रखेगा।
- द्वितीय उपाध्यक्ष की सिफारिश पर नियमानुसार अध्यक्ष साधारण विधायक सभा के किसी सदस्य के प्रतिनिधि को कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष नामित करेगा।
- केंद्रीय कार्यसमिति के पदाधिकारियों का चुनाव
- केंद्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष का चुनाव
केंद्रीय साधारण सभा के सदस्य अपनी सभा के किसी उस सदस्य को पार्टी की केंद्रीय कमेटी का अध्यक्ष चुनेंगे, जो किसी भी समाज, धर्म, संस्कृति, भौगोलिक क्षेत्र और संगठन के कोष की मात्रा के प्रति पक्षपाती न हो। सब के प्रति समदर्शी और निष्पक्ष हो।
- पार्टी की केंद्रीय कमेटी का अध्यक्ष पार्टी के नीति निर्देशक की सलाह पर काम करेगा। अध्यक्ष का मुख्य कार्य होगा – साधारण सभा के दो घटकों के बीच समन्वय स्थापित करना, पार्टी के सदस्यों के बीच सद्भाव स्थापित करना, बोर्ड, ब्यूरो तथा प्रथम-द्वितीय उपाध्यक्ष के बीच समन्वय स्थापित करना, गतिरोध और सदस्यों के बीच अंतर्निहित संघर्षों के बीच फिलामेंट की तरह कार्य करते हुए पार्टी के उद्देश्य को आगे बढ़ाना।
- लगातार दो कार्यकालों से अधिक कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष के पद पर नहीं रह सकता। जब तक संभव हो, अध्यक्ष तत्कालीन सबसे अधिक लोकप्रिय विचारधारा का पार्टी में प्रतिनिधि होगा।
- केंद्रीय समिति के प्रथम उपाध्यक्ष का चुनाव
केंद्रीय समिति का केंद्रीय विधायक साधारण सभा के किसी निर्वाचित सदस्य को केंद्रीय समिति के द्वितीय उपाध्यक्ष की सिफारिश पर नियमानुसार केंद्रीय कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष नामित करेगा। विधायक साधारण सभा का वही व्यक्ति प्रथम उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया जाएगा, जिसको मानव व्यवहार के विज्ञान की, पार्टी के संविधान की, पार्टी की नीतियों और रणनीतियों की सबसे अच्छी जानकारी होगी।
- द्वितीय उपाध्यक्ष का चुनाव
विकासक साधारण सभा के जिस सदस्य ने गत वित्तीय वर्ष में पार्टी को सर्वाधिक आर्थिक योगदान किया होगा, उसे वर्तमान वित्त वर्ष के लिए कार्यसमिति का द्वितीय उपाध्यक्ष चुना जाएगा। द्वितीय उपाध्यक्ष का नामांकन करने के लिए नियमानुसार कार्यसमिति का प्रथम उपाध्यक्ष विकासक साधारण सभा के किसी सदस्य के नाम की सिफारिश कार्यसमिति के अध्यक्ष को करेगा। जहां तक संभव होगा द्वितीय उपाध्यक्ष उस सदस्य को बनाया जाएगा, जो उस विचारधारा को प्रतिनिधित्व करेगा, जो तत्कालीन लोकप्रिय विचारधाराओं की सर्वोच्चता सूची में दूसरे क्रम की विचारधारा होगी। द्वितीय उपाध्यक्ष का कार्यकाल 1 वर्ष होगा।
- सहायक उपाध्यक्षों का चुनाव
दोनों उपाध्यक्षों को यह अधिकार होगा कि वह अध्यक्ष की मंजूरी से समकालीन सबसे ज्यादा लोकप्रिय विचारधाराओं का पार्टी में समावेश करने के लिए और अपने कार्यों को संपादित करने के लिए अधिक से अधिक 8 सहायक उपाध्यक्षों का नामांकन कर सके। यह नामांकन साधारण सभा के निर्वाचित सदस्यों में से ही किसी का होगा। जहां तक संभव होगा, सभी आठ उपाध्यक्षों को अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं के प्रतिनिधि के तौर पर नामांकित किया जाएगा। जिन राजनीतिक विचारधाराओं को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, वे इस प्रकार हैं – सांस्कृतिक वामपंथ, सांस्कृतिक दक्षिणपंथ, आर्थिक वामपंथ, आर्थिक दक्षिणपंथ, सांस्कृतिक केंद्रवाद, आर्थिक केंद्रवाद सांस्कृतिक विकेंद्रवाद आर्थिक विकेंद्रवाद। केंद्रीय कार्यसमिति उक्त अलग-अलग विचारधाराओं के सदस्यों को पहचानने के लिए नियम बनाएगी।
- केंद्रीय कार्यसमिति के महासचिव का चुनाव
प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्षों की संयुक्त सिफारिश पर सभा के किसी भी निर्वाचित सदस्य को पार्टी की केंद्रीय कमेटी का महासचिव नियुक्त किया जाएगा। महासचिव के रूप में नियुक्त किए जाने की योग्यता के लिए यह आवश्यक होगा कि वह सदस्य पार्टी द्वारा संचालित या मान्यता प्राप्त या अधिकृत किसी संस्थान के योग्यता प्रमाणपत्र का धारक हो।
- पार्टी कोष के अध्यक्ष या केंद्रीय कार्यसमिति के कोषाध्यक्ष का चुनाव
कार्यसमिति के प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्ष की संयुक्त सिफारिश पर साधारण सभा के किसी निर्वाचित सदस्य को कार्यसमिति का अध्यक्ष कार्यसमिति के कोषाध्यक्ष/पार्टी कोषाध्यक्ष नामित करेगा। पार्टी का अध्यक्ष पार्टी कोष संस्थान का कार्यकारी प्रमुख होगा।
- पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव
अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, सहायक उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष के अलावा केंद्रीय कार्यसमिति के अन्य सदस्यों का नामांकन प्रथम उपाध्यक्ष की सिफारिश पर किया जाएगा। ऐसी सिफारिश केंद्रीय साधारण सभा के निर्वाचित सदस्यों में से की जाएगी।
- केंद्रीय कार्यसमिति के अन्य 10 सदस्य पार्टी के विभिन्न अंगों के पदेन प्रमुख होंगे। उन अंगों की सूची और उनके प्रमुखों के पदनाम निम्न वत होंगे-
सदस्य अंग पदनाम
प्रथम सदस्य पदेन प्रमुख पार्टी कोष महाप्रबंधक
द्वितीय सदस्य पदेन प्रमुख संसदीय परिषद अध्यक्ष
तृतीय सदस्य पदेन प्रमुख निर्वाचन प्राधिकरण अध्यक्ष
चतुर्थ सदस्य पदेन प्रमुख निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद अध्यक्ष
पंचम सदस्य पदेन प्रमुख न्यायिक परिषद अध्यक्ष
षष्ठ अध्यक्ष पदेन प्रमुख लोक सेवा भर्ती परिषद महानिदेशक
सप्तम अध्यक्ष पदेन प्रमुख ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक ऊर्ध्वाधर
अष्टम अध्यक्ष पदेन प्रमुख शैतिज समन्वय परिषद फिलामेंट समन्वयक क्षैतिज
नवम सदस्य पदेन प्रमुख सुरक्षा परिषद महानिदेशक
दशम सदस्य पदेन प्रमुख जनसंचार प्राधिकरण प्रवक्ता
- केंद्रीय कार्यसमिति के नीति निर्देशक का चुनाव-
केंद्रीय समिति के अध्यक्ष, प्रथम व द्वितीय उपाध्यक्षों और दो तिहाई सदस्यों के बहुमत से मान्यता प्राप्त शून्य सदस्यों के रजिस्टर में दर्ज किसी सदस्य को पार्टी के निरीक्षण और निर्देशन के लिए पार्टी का नीति निर्देशक चुना जाएगा। दो तिहाई बहुमत के अभाव में नीति निर्देशक का पद रिक्त रखा जाएगा। यथासंभव किसी ऐसे संगठन को ही नीति निर्देशक के रूप में चुना जाएगा, जो जाति, धर्म, संप्रदाय, नस्ल, देश, पार्टी व निजी स्वार्थ के लिए पक्षपात न करता हो। नीति निर्देशक के माध्यम से पार्टी मानव जाति की एकता सुनिश्चित करती है, मानवता को विभाजित होने से बचाती रहती है। नीति निर्देशक तब तक अपने पद पर बना रहेगा, जब तक उसे केंद्रीय समिति के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त रहेगा।
- उक्त प्रावधानों के अनुसार केंद्रीय कार्यसमिति में पदाधिकारियों की संख्या निम्नलिखित होगी-
नीति निर्देशक – 01
अध्यक्ष – 01
उपाध्यक्ष – 02
सहायक उपाध्यक्ष – 1- 8
महासचिव – 01
सचिव – 1 – 8
सदस्य – 10
- केंद्रीय कार्यसमिति के पदाधिकारियों का कार्यकाल
द्वितीय उपाध्यक्ष के अलावा केंद्रीय कार्यसमिति के सभी पदाधिकारियों का कार्यकाल 4 वर्ष होगा। द्वितीय उपाध्यक्ष का कार्यकाल 1 वर्ष होगा।
- पार्टी के शासकीय स्तर की ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियां
- पार्टी की सभी ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों की कार्यसूची और अधिकतर क्षेत्र अलग-अलग होंगे। पार्टी के संविधान की अनुसूची-2 में ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों की कार्यसूची को सूचीबद्ध किया जाएगा।
- शासकीय स्तरों में कुल 5 ऊर्ध्वाधर कमेटियां होंगी। इन कार्यसमितियों का गठन संबंधित साधारण सभा करेगी। केंद्रीय कमेटी की मंजूरी से सभी शासकीय ऊर्ध्वाधर इकाइयों की अपनी-अपनी नियमावली होगी, जो संबंधित इकाई की साधारण सभा द्वारा बनाई जाएगी।
- प्रत्येक शासकीय ऊर्ध्वाधर इकाई का अपना-अपना
- संविधान और झंडा होगा
- संविधान केंद्रीय कमेटी में पंजीकरण कराया जाएगा। ऊर्ध्वाधर इकाइयों के संविधान के वे प्रावधान शून्य माने जाएंगे, जो केंद्रीय कमेटी के संविधान को लागू करने में बाधक बनेंगे।
- किसी भी सदस्य की सक्रिय सदस्यता किसी एक ऊर्ध्वाधर शासकीय इकाई में ही पंजीकृत हो सकती है। निर्धारित कार्य के प्रारूप के माध्यम से आवेदन करने पर किसी भी सदस्य की सक्रिय सदस्यता एक शासकीय ऊर्ध्वाधर स्तर से दूसरे वृहदतर ऊर्ध्वाधर स्तर में स्थानांतरित हो सकती है।
- पार्टी की पांच शासकीय ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों को क्रमशः प्रांतीय कार्यसमिति, देशिक कार्यसमिति, वतनी या होमलैंड कार्यसमिति, प्रराष्ट्रीय या हेमी नेशनल कार्यसमिति और राष्ट्रीय या नेशनल कार्यसमिति कहा जाएगा।
- देश के सभी प्रांतों के अपने-अपने सीमा क्षेत्र के लिए एक-एक प्रांतीय कार्यसमिति होगी। वर्तमान राज्यों के क्षेत्र उनके कार्यक्षेत्र होंगे।
- भारत के वर्तमान राज्य क्षेत्र के लिए पार्टी की एक देशिक कार्यसमिति होगी।
- विदेश मामलों से संबन्धित पार्टी की ऊर्ध्वाधर समितियां – देश के घरेलू नागरिकों की विदेशी मामले देखने के लिए सभी देशों में कुछ कार्यसमितियां होंगी। ये कार्यसमितियां तीन स्तरों पर गठित की जाएंगी, जिनको देश की वतनी मामलों की कार्य समिति, देश की प्रराष्ट्रीय मामलों की समिति और देश की राष्ट्रीय (सम्पूर्ण विश्व) मामलों की समिति कहा जाएगा। भविष्य में संबंधित वतन, प्रराष्ट्र या राष्ट्र के सभी निवासी पार्टी की सदस्यता ले सकें, इसके लिए जरूरी अंतरराष्ट्रीय संधियों का प्रारूप बनाने व उनको संबंधित राष्ट्र राज्यों की सरकारों से मंजूरी दिलाने का कार्य सभी देशों की उक्त परादेशिक कार्यसमिति मिलकर करेंगी।
- वतन या होमलैंड मामलों की भारतीय कार्यसमिति
दोनों प्रराष्ट्रीय क्षेत्रों के लिए, संभवतः उनके प्रत्येक आधे हिस्से के लिए, एक कार्यकारी समिति होगी जिसे वतन/होमलैंड स्तरीय मामलों की भारतीय कार्यसमिति कहा जाएगा। ये कार्यकारी समितियां भारत के घरेलू नागरिक की विदेशी जरूरतों को पूरा करने का काम करेंगी जैसा कि इस संविधान की अनुसूची -2 में दिया गया है।
- पूर्वी हेमी-राष्ट्र के दक्षिण एशियाई वतन के क्षेत्र के लिए एक भारतीय कार्यसमिति होगी। इस समिति को दक्षिण पूर्व होमलैंड / वतन स्तर के मामलों के लिए भारतीय कार्यसमिति कहा जाएगा। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, भूटान और अफगानिस्तान के साझा क्षेत्रों को होमलैंड या वतनी क्षेत्र कहा जाएगा। इस क्षेत्र के लिए एक भारतीय कार्यसमिति होगी जिसे होमलैंड/वतनी कार्यसमिति कहा जाएगा। विदेशी मामलों को देखने वाली पार्टी की कार्यसमितियाँ, इस क्षेत्र से संबंधित पर्याप्त अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के लिए काम करेंगी।
- पूर्वी हेमी-राष्ट्र में स्थित उत्तरी एशियाई क्षेत्र के लिए एक भारतीय कार्यसमिति होगी। इस समिति को नॉर्थ ईस्ट होमलैंड/वतन स्तर के मामलों की भारतीय कार्यसमिति कहा जाएगा।
- पश्चिमी हेमी-राष्ट्र में स्थित दक्षिणी क्षेत्र के लिए एक भारतीय कार्यसमिति होगी। इस समिति को दक्षिण पश्चिम होमलैंड/वतन स्तर के मामलों की भारतीय कार्यसमिति कहा जाएगा।
- पश्चिमी हेमी-राष्ट्र के उत्तरी क्षेत्र के लिए एक भारतीय कार्यसमिति होगी। इस समिति को उत्तर पश्चिम होमलैंड/वतन स्तर के मामलों की भारतीय कार्यसमिति कहा जाएगा।
- होमलैंड स्तर के मामलों के लिए भारतीय कार्यकारिणी समितियां एक होमलैंड क्षेत्र के साथ दुनिया की एक चौथाई आबादी और एक चौथाई संसाधनों को आवंटित करने के लिए काम करेंगी। यह उद्देश्य उस समय ध्यान में रखा जाएगा जब प्रदेशों का सीमांकन सभी चार वतन या होमलैंड के चार क्षेत्रों के लिए किया जाएगा।
- हेमी-राष्ट्र/प्रराष्ट्रीय स्तर के मामलों के लिए भारतीय कार्यसमिति
- जितना संभव हो, सम्पूर्ण भूमंडल के आधे हिस्से को हेमी-राष्ट्र कहा जाएगा। हेमी-राष्ट्रीय स्तर के मामलों को देखने के लिए बनाई गई कार्यसमिति को हेमी-राष्ट्रीय या ‘प्रराष्ट्र’ स्तर के मामलों के लिए भारतीय कार्यसमिति कहा जाएगा। हेमी-राष्ट्रीय स्तर के मामलों के लिए दो समितियां होंगी। एक को पूर्वी हेमी-राष्ट्रीय/पूर्वी प्रराष्ट्रिय स्तर के मामलों के लिए भारतीय कार्यसमिति कहा जाएगा और दूसरे को पश्चिमी हेमी-राष्ट्रीय/पश्चमी प्रराष्ट्रीय स्तर के मामलों के लिए भारतीय कार्यसमिति कहा जाएगा।
- पूर्वी प्रराष्ट्रीय स्तर के के मामलों के लिए भारतीय कार्यसमिति
‘पूर्वी प्रराष्ट्र’ या पूर्वी हेमी-राष्ट्र के मामलों को देखने के लिए पार्टी की एक कार्यसमिति होगी। यह क्षेत्र चीन, रूसी संघ, जापान के राज्य क्षेत्रों, पूरे अफ्रीका और दक्षिण एशिया के सभी देशों को समाविष्ट करेगा, जैसा कि वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल की केंद्रीय समिति द्वारा अनुमोदित है। यह कार्यसमिति भारतीय संघ के नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम करेगी, जिसके लिए पूर्वी हेमी-राष्ट्र के नागरिकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता हो सकती है।
- पश्चिमी प्रराष्ट्रीय स्तर के के मामलों के लिए भारतीय कार्यसमिति
‘पश्चिमी प्रराष्ट्र’ या पश्चिमी हेमी-राष्ट्र के मामलों को देखने के लिए पार्टी की एक कार्यसमिति होगी। यह क्षेत्र दक्षिण और उत्तरी अमेरिकी उपमहाद्वीपीय, और यूरोप और अफ्रीका के सभी देशों को समाविष्ट करेगा, जैसा कि वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल की केंद्रीय समिति द्वारा अनुमोदित है। यह कार्यसमिति भारतीय संघ के नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम करेगी, जिसके लिए पश्चिमी प्रराष्ट्र के नागरिकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता हो सकती है।
- भूमंडल/राष्ट्रीय स्तर के लिए भारतीय कार्यसमिति:
सम्पूर्ण भूमंडल में एक निश्चित ऊंचाई तक और एक निश्चित गहराई तक के सभी भूमि, जल और आकाश निकायों के भीतर सीमित मामलों को देखने के लिए केंद्रीय कार्यसमिति द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय कार्यसमिति होगी।यह कार्यसमिति भारतीय संघ के नागरिकों की उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम करेगी जिनके लिए इस विश्व के नागरिकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता हो सकती है।
- ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों के अध्यक्षों का चुनाव
- एक्शन लेवल की कार्यसमितियों के पदाधिकारियों के पद नाम और उनकी संख्या
- पाँच एक्शन स्तर की कार्यसमितियों के पदाधिकारियों और उनकी संख्या न्यूनतम 5 और अधिकतम 15 होगी। विस्तृत विवरण इस प्रकार है
- एक्शन लेवल की कार्यसमितियों के पदाधिकारियों के पद नाम और उनकी संख्या
- अध्यक्ष – 01
- प्रथम उपाध्यक्ष – 01
- द्वितीय उपाध्यक्ष – 01
- कोषाध्यक्ष – 01
- महासचिव – 01
- सचिव – 01
- सूचनाधिकारी – 01
- सदस्यता प्रभारी – 01
- पुरुष जननायक – 01
- महिला जन नायक – 01
- पंच – 01
- स्टोर प्रभारी – 01
- वितरक – 01
- प्रचार प्रभारी – 01
- सुरक्षा प्रभारी – 01
- आरडीआर प्रभारी – 01
- एक्शन स्तर की कमेटियां कुल 5 स्तरों पर गठित की जाएंगी। ये स्तर होंगे बूथ, गांव/वार्ड, सेक्टर, सर्किल और ब्लॉक। चार या अधिक गांवों वालों के क्षेत्रों का या जैसा संबंधित ब्लाक कमेटी तय करें, एक सेक्टर क्षेत्र बनाया जाएगा। चार या अधिक सेक्टरों के क्षेत्रों को, जो ब्लॉक के क्षेत्रफल व जनसंख्या के एक चौथाई से अधिक न हो, एक सर्किल क्षेत्र कहा जाएगा। एक ब्लॉक में कुल 4 सर्किल होंगे, जिनको पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी सर्किल कहा जाएगा।
- जिला कार्यसमिति के पास अधिकार होगा कि एक्शन स्तर की कार्यसमितियों में अधिक पदों को शामिल कर ले।
- बूथ स्तर की कार्यसमितियों का गठन
- पार्टी की एक प्राथमिक इकाई बूथ एक्शन स्तर पर स्थापित की जाएगी, जहाँ पार्टी के कम से कम 15 सक्रिय सदस्य होंगे। पार्टी की बूथ स्तर इकाई की साधारण सभा में संबंधित बूथ से पार्टी के 10 प्राथमिक सदस्यों से चुने गए प्रतिनिधि शामिल होंगे। ये सभी प्रतिनिधि संबंधित बूथ के पार्टी के सक्रिय सदस्य होंगे।
- बूथ की साधारण सभा एक बूथ कार्यसमिति का चुनाव करेगी, जिसमें कम से कम 05 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे और एक अध्यक्ष का भी चुनाव करेगी। पार्टी का बूथ अध्यक्ष संबंधित बूथ की साधारण सभा के चुने हुए सक्रिय सदस्यों में से पदाधिकारियों की नियुक्ति करेगा।
- बूथ की साधारण सभा ग्राम/पंचायत/नगरपालिका वार्ड की साधारण सभा में भेजने के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी।
- बूथ की साधारण सभा पार्टी के जनसभा निवचन क्षेत्र स्तर की साधारण सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी।
- गांव/वार्ड की कार्यसमिति का गठन
- बूथ की साधारण सभा ग्राम/पंचायत/नगरपालिका वार्ड की साधारण सभा में भेजने के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी। ये दोनों प्रतिनिधि साधारण सभा के दोनों घटकों से से चुने जाएंगे। एक प्रतिनिधि विधायक साधारण सभा से चुना जाएगा, जबकि दूसरा प्रतिनिधि विधायक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- ग्राम/पंचायत/नगरपालिका वार्ड की साधारण सभा एक ग्राम/पंचायत/नगरपालिका वार्ड कार्यसमिति का चुनाव करेगी, जिसमें कम से कम 05 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे और एक अध्यक्ष का भी चुनाव करेगी। पार्टी का ग्राम/पंचायत/नगरपालिका वार्ड अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सक्रिय सदस्यों में से पदाधिकारियों की नियुक्ति करेगा।
- ग्राम/पंचायत/नगरपालिका वार्ड की साधारण सभा संबन्धित सैक्टर की साधारण सभा में भेजने के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी।
- ग्राम/पंचायत/नगरपालिका वार्ड की साधारण सभा पार्टी की परिवारसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर की साधारण सभा के निर्वाचन क्षेत्र के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी।
- सेक्टर की कार्यसमिति का गठन
- ग्राम/पंचायत/नगरपालिका की साधारण सभा सैक्टर की साधारण सभा में भेजने के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी। ये दोनों प्रतिनिधि साधारण सभा के दोनों घटकों से से चुने जाएंगे। एक प्रतिनिधि विधायक साधारण सभा से चुना जाएगा, जबकि दूसरा प्रतिनिधि विधायक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- सैक्टर की साधारण सभा एक सैक्टर कार्यसमिति का चुनाव करेगी, जिसमें कम से कम 05 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे और एक अध्यक्ष का भी चुनाव करेगी। पार्टी का सैक्टर अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सक्रिय सदस्यों में से पदाधिकारियों की नियुक्ति करेगा।
- सैक्टर की साधारण सभा संबन्धित सर्कल की साधारण सभा में भेजने के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी।
- सैक्टर की साधारण सभा पार्टी की ग्रामसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर की साधारण सभा के निर्वाचन क्षेत्र के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी।
- सर्किल कार्यसमिति का गठन
- सैक्टर की साधारण सभा सर्कल की साधारण सभा में भेजने के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी। ये दोनों प्रतिनिधि साधारण सभा के दोनों घटकों से से चुने जाएंगे। एक प्रतिनिधि विधायक साधारण सभा से चुना जाएगा, जबकि दूसरा प्रतिनिधि विधायक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- सर्कल की साधारण सभा एक सर्कल कार्यसमिति का चुनाव करेगी, जिसमें कम से कम 05 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे और एक अध्यक्ष का भी चुनाव करेगी। पार्टी का सर्कल अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सक्रिय सदस्यों में से पदाधिकारियों की नियुक्ति करेगा।
- सर्कल की साधारण सभा संबन्धित ब्लॉक की साधारण सभा में भेजने के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी।
- सर्कल की साधारण सभा पार्टी की लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर की साधारण सभा के निर्वाचन क्षेत्र के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी।
- ब्लॉक कार्यसमिति का गठन
- ब्लॉक के अंदर आने वाले चार या चार से अधिक सर्कल से ब्लॉक क्षेत्र का निर्माण होगा। सर्कल की साधारण सभा ब्लॉक की साधारण सभा में भेजने के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी। ये दोनों प्रतिनिधि साधारण सभा के दोनों घटकों से से चुने जाएंगे। एक प्रतिनिधि विधायक साधारण सभा से चुना जाएगा, जबकि दूसरा प्रतिनिधि विधायक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- ब्लॉक की साधारण सभा एक सर्कल कार्यसमिति का चुनाव करेगी, जिसमें कम से कम 05 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे और एक अध्यक्ष का भी चुनाव करेगी। पार्टी का ब्लॉक अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए सक्रिय सदस्यों में से पदाधिकारियों की नियुक्ति करेगा।
- ब्लॉक की साधारण सभा संबन्धित जिले की साधारण सभा में भेजने के लिए 02 प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी।
- ब्लॉक की साधारण सभा पार्टी की विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर की साधारण सभा के निर्वाचन क्षेत्र के लिए 01 प्रतिनिधि का चुनाव करेगी।
- लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रीय कार्यसमिति का गठन
- सभी पांच ऊर्ध्वाधर निर्वाचन क्षेत्रों की कार्यसमितियों में पदाधिकारियों की संख्या कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 होगी। पदाधिकारियों के पद नाम और उनकी संख्या निम्नवत होगी-
- अध्यक्ष – 01
- प्रथम उपाध्यक्ष – 01
- द्वितीय उपाध्यक्ष – 01
- कोषाध्यक्ष – 01
- महासचिव – 01
- सचिव – 01
- अध्यक्ष – निर्वाचन प्राधिकरण – 01
- सदस्यता रजिस्ट्रार – 01
- अध्यक्ष – निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद – 01
- अध्यक्ष – न्यायिक परिषद – 01
- निदेशक – लोक सेवा भर्ती परिषद – 01
- नागरिकता रजिस्ट्रार – 01
- वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी – 01
- मीडिया प्रभारी – 01
- विविध मामलों के प्रभारी – 01
- निर्वाचन क्षेत्र कार्यसमितियां लिखित पांच स्तरों पर गठित की जाएगी
प्रथम ‘सी’ लेवल प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
द्वितीय ‘सी’ लेवल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र
तृतीय ‘सी’ लेवल ग्राम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र
चतुर्थ ‘सी’ लेवल परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र
पंचम ‘सी’ लेवल मानव संसद/जनसभा निर्वाचन क्षेत्र
- ‘ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र’ दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों का साझा क्षेत्र होगा। तीन लोकसभा क्षेत्रों के सामूहिक क्षेत्र को ‘परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र’ कहा जाएगा। चार लोकसभा क्षेत्रों के सामूहिक नाम को ‘मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र’ कहा जाएगा। उक्त तीनों निर्वाचन क्षेत्रों का सीमांकन समय-समय पर पार्टी की क्षेत्रीय कार्यसमिति की सिफारिश पर किया जाएगा।
- निर्वाचन क्षेत्रों की 5 ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों में नए पदों का सृजन करने का अधिकार क्षेत्रीय कार्यसमितियों को होगा।
- प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का गठन
- विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा में भेजने के लिए ब्लॉक की साधारण सभा 2 प्रतिनिधि चुनेगी। एक को विधायक साधारण सभा से और दूसरे को विकासक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का एक अध्यक्ष चुनेगी। साधारण सभा के निर्वाचित प्रतिनिधियों से चुना हुआ अध्यक्ष विधानसभा कार्यसमिति का गठन करेगा, जिसमें कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे। ये सभी सदस्य साधारण सभा से ही लिए जाएंगे, जो अलग-अलग ब्लॉकों से चुनकर आए होंगे।
- लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का गठन
- लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा में भेजने के लिए प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा 2 प्रतिनिधि चुनेगी। एक को विधायक साधारण सभा से और दूसरे को विकासक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का एक अध्यक्ष चुनेगी। साधारण सभा के निर्वाचित प्रतिनिधियों से चुना हुआ अध्यक्ष लोकसभा कार्यसमिति का गठन करेगा, जिसमें कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे। यह सभी सदस्य साधारण सभा से ही लिए जाएंगे, जो अलग-अलग प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा से चुनकर आए होंगे।
- ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र कार्यसमिति का गठन
- ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा में भेजने के लिए लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा 2 प्रतिनिधि चुनेगी। एक को विधायक साधारण सभा से और दूसरे को विकासक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का एक अध्यक्ष चुनेगी। साधारण सभा के निर्वाचित प्रतिनिधियों से चुना हुआ अध्यक्ष ग्राम संसद कार्यसमिति का गठन करेगा, जिसमें कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे। यह सभी सदस्य साधारण सभा से ही लिए जाएंगे, जो अलग-अलग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा से चुनकर आए होंगे।
- परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का गठन
- परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा में भेजने के लिए ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा 2 प्रतिनिधि चुनेगी। एक को विधायक साधारण सभा से और दूसरे को विकासक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का एक अध्यक्ष चुनेगी। साधारण सभा के निर्वाचित प्रतिनिधियों से चुना हुआ अध्यक्ष लोकसभा कार्यसमिति का गठन करेगा, जिसमें कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे। यह सभी सदस्य साधारण सभा से ही लिए जाएंगे, जो अलग-अलग ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा से चुनकर आए होंगे।
- मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का गठन
- मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा में भेजने के लिए परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा 2 प्रतिनिधि चुनेगी। एक को विधायक साधारण सभा से और दूसरे को विकासक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा मानव संसद निर्वाचन क्षेत्र की कार्यसमिति का एक अध्यक्ष चुनेगी। साधारण सभा के निर्वाचित प्रतिनिधियों से चुना हुआ अध्यक्ष लोकसभा कार्यसमिति का गठन करेगा, जिसमें कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे। यह सभी सदस्य साधारण सभा से ही लिए जाएंगे, जो अलग-अलग परिवार संसद निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा से चुनकर आए होंगे।
- शासकीय स्तर की ऊर्ध्वाधर कार्यसमिति का गठन
- पाँच शासकीय स्तर की कार्यसमितियों के पदाधिकारियों और उनकी संख्या न्यूनतम 5 और अधिकतम 15 होगी। विस्तृत विवरण इस प्रकार है-
- अध्यक्ष – 01
- प्रथम उपाध्यक्ष – 01
- द्वितीय उपाध्यक्ष – 01
- कोषाध्यक्ष – 01
- महासचिव – 01
- सचिव – 01
- अध्यक्ष – निर्वाचन प्राधिकरण – 01
- अध्यक्ष – निर्वाचन प्राधिकरण
- अध्यक्ष – निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद – 01
- अध्यक्ष – न्यायिक परिषद – 01
- निदेशक – लोक सेवा भर्ती परिषद – 01
- दलदूत – समवर्ती समन्वय परिषद – 01
- दलपञ्च – समदर्शी समन्वय परिषद – 01
- निदेशक – सुरक्षा परिषद – 01
- प्रवक्ता – जनसंचार प्राधिकरण – 01
- शासकीय स्तरों की कार्यसमितियां निम्नलिखित पांच स्तरों पर गठित की जाएंगी।
- प्रथम ‘जी’ लेवल प्रादेशिक स्तर
- द्वितीय ‘जी’ लेवल देश स्तर
- तृतीय ‘जी’ लेवल वतन या होमलैंड स्तर की भारतीय इकाई
- चतुर्थ ‘जी’ लेवल प्रराष्ट्र या हेमीनेशनल स्तर की भारतीय इकाई
- पंचम ‘जी’ लेवल राष्ट्र या ग्लोबल स्तर की भारतीय इकाई
- पार्टी की केंद्रीय कार्य समिति द्वारा सीमांकित भारत और उसके पड़ोसी देशों के साझा राज्य क्षेत्र को वतन या होमलैंड कहा जाएगा। पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति द्वारा सीमांकित एक गोलार्द्ध के दो या तीन वतनों के साझे राज्यक्षेत्र को हेमी-नेशन या प्रराष्ट्र कहा जाएगा। दोनों प्रराष्ट्रों के सारे राज्य क्षेत्र संपूर्ण पृथ्वी को राष्ट्रीय राज्य क्षेत्र कहा जाएगा। अतः पार्टी की राष्ट्रीय इकाई संख्या में केवल एक होगी। प्रराष्ट्रीय इकाई संख्या में दो होंगी तथा वतनी या होमलैंड इकाइयां संख्या में चार या छह होंगी, या जैसा कि केंद्रीय कार्यसमिति तय करेंगी।
- ऊर्ध्वाधर शासकीय स्तरों की कार्यसमितियों में अतिरिक्त पदों के सृजन का अधिकार केंद्रीय कमेटी को होगा।
- यह आवश्यक होगा कि ऊर्ध्वाधर शासकीय कार्यसमितियों के अध्यक्षों की व्यक्तिगत आर्थिक हैसियत उसी अनुपात में कम होती जानी चाहिए, जिस अनुपात में ऊर्ध्वाधर शासकीय इकाई का क्षेत्रफल बढ़ता जाता है। इस प्रावधान का यही आशय है कि राष्ट्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष की व्यक्तिगत आर्थिक हैसियत सबसे कम और प्रादेशिक कार्यसमितियों के अध्यक्षों की व्यक्तिगत आर्थिक हैसियत सबसे अधिक होगी। इस प्रावधान को लागू करने के लिए केंद्रीय कमेटी 5 ऊर्ध्वाधर इकाइयों के आय व संपत्ति के 5 स्लैब की घोषणा समय-समय पर करेगी। कोई भी व्यक्ति, जो किसी भी स्तर की कार्यसमिति में भर्ती होने के लिए नामांकन करेगा, उसे इस योग्यता का सबूत देना होगा कि क्या उसकी व्यक्तिगत आर्थिक हैसियत इस ऊर्ध्वाधर कार्यसमिति के योग्य है?
- प्रादेशिक कार्यसमिति का गठन
- प्रदेश स्तरीय साधारण सभा में भेजने के लिए विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की साधारण सभा 2 प्रतिनिधि चुनेगी। एक को विधायक साधारण सभा से और दूसरे को विकासक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- प्रदेश स्तर की साधारण सभा विधान सभा निर्वाचन प्रदेश की कार्यसमिति का एक अध्यक्ष चुनेगी। साधारण सभा के निर्वाचित प्रतिनिधियों से चुना हुआ अध्यक्ष प्रादेशिक कार्यसमिति का गठन करेगा, जिसमें कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे। ये सभी सदस्य साधारण सभा से ही लिए जाएंगे, जो अलग-अलग विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की सभाओं से चुनकर आए होंगे।
- प्रदेश स्तर की साधारण सभा केंद्रीय समिति की साधारण सभा के लिए एक प्रतिनिधि का भी चुनाव करेगी।
- देश स्तरीय कार्यसमिति का गठन
- देश स्तरीय साधारण सभा में भेजने के लिए देश स्तरीय साधारण सभा 2 प्रतिनिधि चुनेगी। एक को विधायक साधारण सभा से और दूसरे को विकासक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- देश स्तरीय साधारण सभा देश स्तरीय कार्यसमिति का एक अध्यक्ष चुनेगी। साधारण सभा के निर्वाचित प्रतिनिधियों से चुना हुआ अध्यक्ष देश स्तरीय कार्यसमिति का गठन करेगा, जिसमें कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 सदस्य होंगे। ये सभी सदस्य साधारण सभा से ही लिए जाएंगे, जो अलग-अलग देश स्तरीय निर्वाचन क्षेत्र की सभाओं से चुनकर आए होंगे।
- देश स्तरीय क्षेत्र की साधारण सभा केंद्रीय समिति की साधारण सभा के लिए एक प्रतिनिधि का भी चुनाव करेगी।
- वतनी मामलों की भारतीय कार्यसमिति वतनी कार्यसमिति का गठन
- ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्र की इकाइयां 2-2 प्रतिनिधि (डेलीगेट) चुनकर ग्राम संसद को भेजेंगे। एक विधायक सभा से और दूसरा विकासक साधारण सभा से चुना जाएगा।
- वतन की साधारण सभा/ग्राम संसद एक कमेटी का चुनाव करेगी। कमेटी में एक अध्यक्ष चुना जाएगा और कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 सदस्य चुने जाएंगे। ये पदाधिकारी विविध ग्राम संसद निर्वाचन क्षेत्रों के चुने हुए प्रतिनिधियों में से बनाए जाएंगे।
- ग्राम संसद/वतनी मामलों की भारतीय इकाई केंद्रीय साधारण सभा में भेजने के लिए डेलीगेट चुनेगी। संख्या समय-समय पर केंद्रीय कमेटी द्वारा घोषित की जाएगी।
- प्रराष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई प्रराष्ट्रीय या पारिवारिक कार्यसमिति का गठन
- अंतरिम परिवार संसद में भेजने के लिए परिवार संसदीय क्षेत्रों की इकाइयां 2-2 डेलीगेट चुनेंगी। एक विधायक साधारण सभा से और दूसरा विकासक साधारण सभा से होगा।
- अंतरिम परिवार संसद/प्रराष्ट्रीय मामलों की भारतीय साधारण सभा प्रराष्ट्रीय कार्यसमिति के लिए एक अध्यक्ष और कम से कम 5 सदस्य या अधिक से अधिक 17 सदस्य चुनेगी। यह सभी सदस्य परिवार संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के चुने हुए प्रतिनिधि होंगे।
- अंतरिम परिवार संसद प्रराष्ट्रीय मामलों की भारतीय साधारण सभा केंद्रीय साधारण सभा के लिए कुछ संख्या में प्रतिनिधि चुनेगी। प्रतिनिधियों की संख्या समय-समय पर केंद्रीय कमेटी द्वारा घोषित की जाएगी।
- प्रराष्ट्रीय कार्यसमिति/वैश्विक मामलों की भारतीय कार्यसमिति का गठन
- जनसभा या मानव संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की इकाइयां मानव संसद में भेजने के लिए दो दो प्रतिनिधियों (डेलीगेट) का चुनाव करेंगी। एक डेलीगेट विधायक साधारण सभा से और दूसरा विकासक साधारण सभा से होगा।
- शासकीय इकाइयों की साधारण सभा में अपनी अपनी शासकीय इकाई के लिए एक कार्यसमिति का चुनाव करेंगे। इस चुनाव के क्रम में एक अध्यक्ष और कम से कम 5 तथा अधिक से अधिक 17 सदस्य चुनेगी। यह सभी सदस्य सभी शासकीय इकाइयों के अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से चुनकर आए हुए डेलीगेट में से लिए जाएंगे।
- सभी शासकीय इकाइयों की साधारण सभा अपनी-अपनी इकाई की ओर से केंद्रीय साधारण सभा के लिए डेलीगेट चुनेंगी। डेलीगेटों की संख्या अलग-अलग शासकीय स्तर की इकाई के लिए अलग-अलग होगी, जिसकी घोषणा समय-समय पर केंद्रीय कमेटी करेगी।
- प्रबंधकीय स्तर की कार्यसमितियों का गठन
- दो प्रबंधकीय स्तरों पर कार्य करने वाली कार्यसमितियों में पदाधिकारियों की संख्या कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 होगी। पदों और उनकी संख्या निम्नवत होगी
- अध्यक्ष – 01
- प्रथम उपाध्यक्ष – 01
- द्वितीय उपाध्यक्ष – 01
- महाप्रबंधक पार्टी कोष – 01
- महासचिव – 01
- सचिव – 01
- सदस्यता रजिस्ट्रार – 01
- अध्यक्ष निर्वाचन प्राधिकरण – 01
- नागरिकता रजिस्ट्रार – 01
- अध्यक्ष न्यायिक परिषद – 01
- महानिदेशक-लोक सेवा भर्ती परिषद – 01
- दलदूत – समवर्ती समन्वयक परिषद – 01
- दलपञ्च – समदर्शी समन्वयक परिषद – 01
- महानिदेशक सुरक्षा परिषद – 01
- प्रवक्ता जनसंचार प्राधिकरण – 01
- प्रबंधकीय स्तर की कमेटियां निम्नलिखित दो स्तरों पर काम करेंगी
- प्रथम ‘एम’ स्तर – क्षेत्रीय स्तर
- द्वितीय ‘एम’ स्तर – जनपद स्तर
- न्यूनतम 5 लोकसभा चुनाव क्षेत्रों के सारे क्षेत्र को सामूहिक रूप से या केंद्रीय कमेटी द्वारा सीमाकित परिक्षेत्र को क्षेत्रीय इकाई का परिक्षेत्र कहा जाएगा।
- प्रबंधकीय कार्यसमितियों में अतिरिक्त पदों के सृजन का अधिकार केंद्रीय कमेटी को होगा।
- अपने कार्यों को सुचारु ढंग से चलाने के लिए क्षेत्रीय कार्यसमिति को जोनल कार्यसमितियां गठित करने का अधिकार होगा। जोनल कार्यसमितियों में पदाधिकारियों का नामांकन क्षेत्रीय कार्यसमिति का अध्यक्ष करेगा। ऐसा नामांकन केवल क्षेत्रीय साधारण सभा के चुने हुए प्रतिनिधियों में से ही किया जाएगा। जोनल कमेटियों के और उनके पदाधिकारियों के अधिकारों व कर्तव्यों का निर्धारण संबंधित क्षेत्रीय कार्यसमिति द्वारा किया जाएगा।
- जिला स्तरीय कार्यसमिति का गठन
- ब्लॉक स्तरीय इकाइयां जनपद इकाई की साधारण सभा में भेजने के लिए दो-दो डेलिकेट का निर्वाचन करेंगी। एक विधायक साधारण सभा से और दूसरा विकासक साधारण सभा से निर्वाचित किया जाएगा।
- जिला स्तरीय साधारण सभा जिला स्तरीय कार्यसमिति का गठन करने के लिए एक अध्यक्ष और न्यूनतम 5 तथा अधिकतम 15 सदस्यों का चुनाव करेगी। सदस्यों का चुनाव जनपद स्तर की साधारण सभा के लिए चुने गए प्रतिनिधियों में से ही होगा।
- जनपद की इकाई क्षेत्रीय साधारण सभा में भेजने के लिए डेलीगेट चुनेगी।
- क्षेत्रीय कार्यसमिति का गठन
- जनपद स्तरीय इकाइयां दो-दो डेलीगेट क्षेत्रीय साधारण सभाओं में भेजने के लिए चुनेंगे। एक विधायक साधारण सभा से और दूसरा विकासक साधारण सभा से होगा।
- क्षेत्रीय साधारण सभा क्षेत्रीय कार्यसमिति का गठन करने के लिए एक अध्यक्ष और न्यूनतम 5 तथा अधिकतम 15 सदस्यों का चुनाव करेगी।
- क्षेत्रीय साधारण सभा की इकाई केंद्रीय साधारण सभा में भेजने के लिए दो डेलीगेट का चुनाव करेगी। इनमें से एक डेलीगेट विधायक साधारण सभा से और दूसरा विकासक साधारण सभा से होगा।
- शून्य स्तरीय कार्यसमिति का गठन –
- शून्य स्तरीय कार्यसमिति में पदाधिकारियों की संख्या न्यूनतम 5 और अधिकतम 15 होगी। पदों व उनकी संख्या निम्नवत होगी
- अध्यक्ष 01
- प्रथम उपाध्यक्ष 01
- द्वितीय उपाध्यक्ष 01
- महासचिव 01
- सचिव केंद्रीय कमेटी 01
- कोष प्रभारी 01
- सदस्य/अध्यक्ष-संसदीय परिषद 01
- सदस्य/निदेशक-सुरक्षा परिषद 01
- सदस्य/अध्यक्ष-चुनाव प्राधिकरण 01
- सदस्य/अध्यक्ष-न्यायिक परिषद 01
- सदस्य/निदेशक- लोक सेवा भर्ती परिषद 01
- सदस्य/दलदूत-समवर्ती समन्वयक परिषद 01
- सदस्य/दलपञ्च-समदर्शी समन्वयक परिषद 01
- सदस्य-केन्द्रीय कार्यसमिति – चुनाव उम्मीदवार भर्ती परिषद 01
- सदस्य/प्रवक्ता-जनसंचार प्राधिकरण 01
- शून्य स्तरीय कार्यसमिति संगठन में एकमात्र होगी और मात्र एक ही स्तर पर गठित की जाएगी।
- केन्द्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष पद के लिए जो लोग नामांकन करेंगे, उनको शपथ पूर्वक निम्नलिखित घोषणा करना अनिवार्य होगा-
- उनकी उम्र 50 साल से कम नहीं है;
- सदस्य को प्रबंधन के प्रेरणा स्रोत के जीवन के प्रति सम्मान है और पार्टी को सुचारू तरीके से संचालित करने के लिए उनके द्वारा अधिकृत संगठन के प्रति भी पूर्ण आदर है, जिसके ऊपर उनके जीवन काल और उसके बाद भी उनकी खोजों और आविष्कारों का लाभ समाज को सुचारू कराने का दायित्व है।
- सदस्य शराब नहीं पीता और किसी भी नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करता।
- सदस्य को मानव के अलावा जंतुओं की दूसरी प्रजातियों से भी लगाव है, इसलिए घोषणाकर्ता पूर्णतः शाकाहारी है।
- सदस्य न्याय, लोकतंत्र, अहिंसा और पूर्णता पर आधारित लिखित संविधान पर आधारित अन्य दलों के साथ पार्टी करके काम करने को तैयार है।
- सदस्य इस बात में विश्वास नहीं रखता कि व्यक्ति के जीवन भर की अर्जित संपत्ति का मालिकाना लेने के लिए व्यक्ति का कोई कानूनी उत्तराधिकारी होना चाहिए अतः शून्य सदस्य की मृत्यु के बाद या सदस्य के भंग होने के बाद उसकी संपत्ति पार्टी की संपत्ति के रूप में नियोजित की जानी चाहिए।
- केंद्रीय कार्यसमिति का गठन
- प्रदेश को छोड़कर सभी शासकीय इकाइयां और क्षेत्रीय इकाईयां केंद्रीय साधारण सभा में भेजने के लिए डेलीगेट निर्वाचित करेंगी। सभी ऊर्ध्वाधर इकाइयों की कुल संख्या बराबर होगी। क्षेत्रीय इकाई केंद्र में एक से अधिक डेलीगेट नहीं भेजेगी। देश, अखिल भारतीय, वतनी, प्रराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की इकाइयों को उतनी संख्या में डेलीगेट भेजने का अधिकार होगा, जितनी संख्या में संगठन की क्षेत्रीय इकाईयां होगी। किस इकाई से कितने डेलीगेट केंद्रीय कमेटी में भेजे जाएंगे, यह तय करने का अंतिम अधिकार केंद्रीय कमेटी को होगा।
- केंद्रीय साधारण सभा केंद्रीय कार्यसमिति का चुनाव करेगी। इसके लिए साधारण सभा अपने चुने हुए प्रतिनिधियों में से किसी एक को कार्यसमिति के अध्यक्ष के रूप में चुनेगी। कार्यसमिति का अध्यक्ष साधारण सभा के चुने हुए प्रतिनिधियों में से कम से कम 5 और अधिक से अधिक 15 लोगों को कार्यसमिति का सदस्य बनाएगा।
- शासकीय स्तर की ऊर्ध्वाधर कमेटियों के कार्य
- अपने साझा आर्थिक हितों और अपनी आर्थिक उन्नति के लिए राष्ट्रीय इकाई पूरे विश्व के लोगों को जागरूक और संगठित करने का कार्य करेगी।
- अपने पारिवार की आर्थिक प्रगति और परिवारों के साझे आर्थिक हितों के प्रति जागरूक करने और पूरे प्रराष्ट्र के परिवारों को आपस में संगठित करने के लिए प्रराष्ट्रीय इकाई काम करेगी।
- वतन के सभी गांवों/वार्डों को अपने साझा आर्थिक हितों और अपने गांव/वार्ड के विकास के लिए पूरे वतन के गांव/वार्ड आपस में संगठित हों इसके लिए वतनी कार्यसमिति प्रशिक्षित व प्रेरित करने का काम करेगी।
- देश की कार्यसमिति देश भर की सर्किल कमेटियों को उसके आर्थिक विकास व राजनीतिक अधिकारों में अभिवृद्धि के लिए संघर्ष करने के लिए संगठित करेगी।
- प्रदेश की कार्यसमितियां अपने-अपने प्रदेश की विधानसभाओं के विकास के लिए विधानसभा कमेटियों को संगठित व जागरूक करने के लिए काम करेंगी।
- क्षेत्रीय कमेटियां अपने-अपने क्षेत्र के जनपदों की कमेटियों के संगठन के संविधान को और केंद्रीय कमेटी के आदेशों को अपने-अपने जनपद में मजबूती से लागू करवाने के लिए काम करेंगी।
- पार्टी का संगठन एकता में अखंडता यानी द्वैताद्वैत की नीति का अनुपालन करेगा। शासकीय स्तरों की ऊर्ध्वाधर कमेटियां परादेशिक साझा हितों, परदेशिक समस्याओं के परादेशिक समाधान के लिए काम करेंगे। यह समस्याएं साझी संस्कृति, साझी सभ्यता, साझी राष्ट्रीयता, साझी अर्थव्यवस्था व राजव्यवस्था, साझा शासन-प्रशासन, साझी संसद और साझा न्यायालय से संबंधित हो सकती है।
- पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति के अधिकार –
- केंद्रीय कार्यसमिति का गठन
आंतरिक लोकतंत्र संबंधी नियम बनाना, विविध प्रकार की सदस्यता के नियम बनाना, संगठनात्मक चुनावों संबंधी नियम बनाना, पदाधिकारियों और सदस्यों के लिए नियम बनाना, पदाधिकारियों और सदस्यो पर अनुशासनात्मक कार्यवाही संबंधी नियम बनाना, पार्टी के संविधान में संशोधन करना, संगठन के विविध अंगों को भंग करना या उनका विभाजन करना, पार्टी को भंग करना या उसका विभाजन करना।
- सभी स्तर की कार्यसमिति के अधिकार –
अपनी-अपनी साधारण सभा में विधेयकों को प्रस्तुत करना, संबंधित साधारण सभा द्वारा निर्धारित बजट की सीमा में अपने-अपने कार्यालय सचिवालय संचालित करना, वेतन, पेंशन, यात्रा-भत्ता, सम्मान-पुरस्कार की सुविधाओं का लाभ उठाना, अपनी संस्था, संगठन और उद्यम को साधारण सभा द्वारा तय की गई आचार संहिता के अधीन रहते हुए लाभान्वित करना।
- सभी कार्यसमितियों के सदस्य अपनी-अपनी साधारण सभा द्वारा तय की गयी पद्धतियों को ईमानदारी के साथ लागू करेंगी।
- सभी कार्यसमितियों के सदस्य यथासंभव वही कार्य व आचरण करेंगे, जो न्यायिक परिषद की दृष्टि में गैरकानूनी और अनुचित न हो।
- सभी कार्यसमितियों के बोर्ड और ब्यूरो के सदस्य आपस में सीधे संपर्क न रखकर अपनी कार्यसमिति के क्षेत्रीय समन्वयक या अध्यक्ष या महासचिव के माध्यम से ही संपर्क रखेंगे।
- पार्टी की पांच ऊर्ध्वाधर शासकीय कार्यसमितियों को अपने कार्यों को संपादित करने के लिए राजनीतिक या अराजनीतिक तरीके अपनाने का अधिकार होगा तथा संगठन के प्रकोष्ठों, मोर्चों, ऑपरेशनों, अभियानों तथा संगठन द्वारा संचालित व अधिकृत संगठन से संबद्ध संगठनों द्वारा अपने कार्य संपादित करवाने का अधिकार होगा।
- विविध स्तरों की कार्यसमितियों के अध्यक्षों के अधिकार व कर्तव्य
- सभी कार्यसमितियों के अध्यक्षों को अपनी-अपनी राजनीतिक विचारधारा के प्रचार-प्रसार का उस सीमा तक अधिकार होगा, जिस सीमा तक पार्टी की न्यायिक परिषद को आपत्ति न हो।
- सभी कार्यसमितियों के अध्यक्षों को अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा में पार्टी कोष का उपयोग करने का अधिकार होगा।
- सभी कार्यसमितियों के अध्यक्षों को जनसेवा के बदले मिले पुरस्कारों द्वारा अपनी निजी आर्थिक हैसियत बढ़ाने का अधिकार होगा।
- सभी अध्यक्षों को अपने निजी उपयोग में अपनी इकाई की विकासक साधारण सभा की अपेक्षाओं को ध्यान में रखना होगा और अपनी निजी राजनीतिक विचारधारा के प्रचार प्रसार में अपनी इकाई की विधायक साधारण सभा तथा न्यायिक परिषद की अपेक्षाओं को ध्यान में रखना होगा।
- प्रथम उपाध्यक्ष के अधिकार व कर्तव्य
- विचारधीन
- कार्यसमितियों के द्वितीय उपाध्यक्ष के अधिकार व कर्तव्य
- पार्टी के सदस्यों का उचित उपयोग करके सभी कार्यसमितियों के द्वितीय उपाध्यक्षों को अपनी निजी आर्थिक हैसियत में उन्नति करने का अधिकार होगा। जहां तक न्यायिक परिषद को आपत्ति न हो, वहां तक द्वितीय उपाध्यक्ष सदस्यों का उपयोग करके अपना उद्यम आगे बढ़ा सकता है।
- विधायक साधारण सभा की मंजूरी के दायरे में द्वितीय उपाध्यक्ष को अपनी शक्तियों व अधिकारों के उपयोग का अधिकार होगा।
- द्वितीय उपाध्यक्ष को अपनी इकाई की विधायक साधारण सभा की अपेक्षाओं के दायरे में रहकर निजी उपभोग का अधिकार होगा और विकासक साधारण सभा तथा न्यायिक परिषद की अपेक्षाओं के दायरे में रहकर अपने उद्यम की वृद्धि करने का अधिकार होगा।
- द्वितीय उपाध्यक्ष पार्टी के कामों को संपादित करने के लिए अपेक्षित आर्थिक संसाधनों को जुटाने के लिए जिम्मेदार होगा।
अध्याय 9
अनुच्छेद – 9
संसदीय परिषदें
पार्टी के जनप्रतिनिधियों द्वारा संबंधित विधायिका में संपादित किए जाने वाले कार्यों को निर्देशित करने के लिए पार्टी की एक संसदीय परिषद होगी।
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- संसदीय परिषदों के उद्देश्य और कार्य
पार्टी की एक केंद्रीय संसदीय परिषद होगी और इसका गठन पार्टी की केंद्रीय कमेटी करेगी। देश और तमाम प्रदेशों में मौजूद पार्टी के विधायकों और सांसदों के कार्यों, आचरण तथा उनके द्वारा संसद में संपादित किए जाने वाले विधाई कार्यों को विनियमित करने तथा समन्वय स्थापित करने का कार्य संसदीय परिषद करेगी।
- संसदीय परिषद का संगठन और प्रक्रिया
- संसदीय परिषदों का गठन हर उस स्तर पर होगा, जहां भी निर्वाचन प्रक्रिया द्वारा किसी कानून बनाने वाले राज्य की संस्था की मौजूदगी है। इन इकाइयों को ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषदें कहा जाएगा।
- सभी संसदीय परिषदें अपने से उच्चस्थ परिषद द्वारा निर्देशित होंगी। जनप्रतिनिधियों के मार्गदर्शन के मामले में सभी ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषदें केंद्रीय इकाई पर निर्भर करेंगी।
- किसी भी ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषद के नियम, नीति और आदेश उस हद तक शून्य होंगे, जिस हद तक वह अपनी उच्चस्थ संसदीय परिषद या केंद्रीय संसदीय परिषद के किसी नियम, नीति या आदेश का उल्लंघन करेंगे।
- संसदीय परिषदों का संविधान
- केंद्रीय संसदीय परिषद में केंद्रीय कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष को लेकर कम से कम तीन और अधिक से अधिक 11 सदस्य होंगे। नीचे की सभी ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषदों में उच्च परिषद का एक प्रतिनिधि पदेन सदस्य होगा, जो उच्च परिषद के निर्देशों को अधीनस्थ परिषद तक संप्रेषित करेगा।
- एक प्रदेश में या एक देश में केवल एक ही संसदीय परिषद संबंधित स्तर पर काम करेगी। सभी प्रदेशों के और सभी देशों की सभी संसदीय परिषदें केंद्रीय संसदीय परिषद में भेजने के लिए एक प्रतिनिधि देश स्तर की परिषदों की ओर से और एक प्रतिनिधि प्रदेश स्तर की संसदीय परिषदों की ओर से निर्वाचित करेंगी। निर्वाचित किए जाने वाले प्रतिनिधि के लिए आवश्यक होगा कि वह अपने कार्यसमिति के अध्यक्ष के साथ सकारात्मक कार्य का अनुभव रखता हो व उस कार्यसमिति का सदस्य हो।
- उक्त प्रावधान के तहत प्रदेशों से और देशों की कमेटियों से जो प्रतिनिधि केंद्रीय संसदीय परिषद में चुनकर आएंगे, वे केंद्रीय संसदीय परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष का निर्वाचन करेंगे।
- देश स्तरीय संसदीय परिषद में न्यूनतम 3 सदस्य होंगे। संसदीय परिषद में अधिकतम संख्या वही होगी, जो संख्या प्रदेश इकाइयों की होगी।
- प्रादेशिक संसदीय समितियों में सदस्यों की न्यूनतम संख्या 3 और अधिकतम संख्या 7 होगी।
- विभिन्न ऊर्ध्वाधर स्तरों की संसदीय परिषदों में सदस्यों की संख्या केंद्रीय संसदीय परिषद के आदेश से घटाई या बढ़ाई जा सकती है।
- किसी भी कार्यसमिति का अध्यक्ष अपनी इकाई की संसदीय परिषद का पदेन अध्यक्ष होगा।
- संसदीय दल या पार्टी का सदन में नेता संबंधित स्तर की संसदीय परिषद में पदेन सदस्य होगा।
- संसदीय परिषद के बाकी सदस्यों की भर्ती संबंधित स्तर की कार्यसमिति के गठन के तुरंत बाद होने वाली पहली ही बैठक में किया जाएगा।
अध्याय 10
अनुच्छेद – 10
निर्वाचन प्राधिकरण
स्वतंत्र, निष्पक्ष और गोपनीय चुनाव संपादित करने के लिए पार्टी का एक निर्वाचन प्राधिकरण होगा। निर्वाचन प्राधिकरण उन पदाधिकारियों की भर्ती निर्वाचन प्रक्रिया द्वारा करेगा, जिन की भर्ती संगठन के विविध ऊर्ध्वाधर स्तरों पर निर्वाचन प्रक्रिया द्वारा की जानी तय हो। संगठन की उच्चतम कमेटियां और साधारण सभा का गठन लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा ही होगा। यदि इन इकाइयों में नामांकन प्रक्रिया से भर्ती होती है, तो वह कुल संख्या के मात्र एक तिहाई दायरे में सीमित होगी। पद न तो अनुवांशिक होगा और न ही स्थाई रूप से किसी व्यक्ति को दिया जाएगा।
-
- निर्वाचन प्राधिकरण का गठन
- निर्वाचन प्राधिकरण अपनी शाखाएं पार्टी के संगठन के प्रत्येक ऊर्ध्वाधर स्तर पर खोलेगा। प्राधिकरण की शाखाएं अपने-अपने स्तर पर निर्वाचन कार्य संपादित करके पदाधिकारियों की भर्ती करेंगी।
- निर्वाचन प्राधिकरण का कोई भी सदस्य अपने निजी गांव/ वार्ड/ ब्लाक/जनपद/प्रदेश के निर्वाचन में निर्वाचन अधिकारी नहीं बन सकता।
- पार्टी की राष्ट्रीय कमेटी/राष्ट्रीय/ राष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई के निर्वाचन प्राधिकरण के लिए अध्यक्ष और सदस्यों का नामांकन करेगी। इस स्तर पर प्राधिकरण में 15 सदस्य होंगे।
- समय-समय पर राष्ट्रीय कमेटी/राष्ट्रीय मामलों की भारतीय कमेटी स्वतंत्र, निष्पक्ष और गोपनीय चुनाव संपन्न कराने के लिए आचार संहिता और निर्देश जारी करेगी। निर्वाचन के मामलों में आचार संहिता और निर्देश जारी करने का अधिकार संगठन की सभी ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों के पास होगा। किंतु किसी भी कार्यसमिति द्वारा जारी ऐसे निर्देश शून्य होंगे, जो किसी भी उच्चस्थ कार्यसमिति के निर्देश में बाधक बनते हैं।
- निर्वाचन प्राधिकरण के किसी सदस्य का कार्यकाल न्यूनतम 1 वर्ष और अधिकतम 4 वर्ष होगा। बेहतर अनुभवों का लाभ उठाने के लिए प्राधिकरण के अध्यक्ष सहित किसी भी सदस्य को एक से अधिक कार्यकाल के लिए उसी पद पर नियुक्त किया जा सकता है।
- निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष के अलावा प्राधिकरण का कोई भी सदस्य किसी कार्यसमिति का सदस्य नहीं हो सकता। किसी कार्यसमिति का सदस्य बनने के लिए कम से कम 6 सप्ताह पूर्व प्राधिकरण के सदस्य को अपना पद छोड़ना होगा। केंद्रीय कमेटी जितने पहले पद से अलग होने को कहेगी, उतने ही दिन पहले निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष को अपनी उस कार्यसमिति से अलग होना पड़ेगा।
- ऊर्ध्वाधर इकाइयों में उच्च स्तरीय निर्वाचन प्राधिकरण अपने से निम्नस्थ निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष को उसके पद से मात्र नोटिस देकर हटा सकता है। जो प्राधिकरण इस प्रकार किसी प्राधिकरण के अध्यक्ष को हटाएगा, उसके विरुद्ध हटाया गया अध्यक्ष/आरोपी हटाने वाले प्राधिकरण से उच्चस्थ प्राधिकरण में याचिका दायर करके न्याय मांग सकेगा। किंतु आरोपी को किसी सूरत में अपील करने का अधिकार नहीं होगा।
- निर्वाचन प्राधिकरण का अध्यक्ष या सदस्य अपना कार्य करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति का उपयोग नहीं कर सकता। निर्वाचन प्राधिकरण सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों की नियुक्ति कर सकता है।
- निर्वाचन के चरण
- मतदान की प्रक्रिया प्राथमिक सदस्यों/निर्वाचक मंडल की सूची तैयार करने के साथ शुरू होगी। यह कार्य संबंधित स्तर का निर्वाचन प्राधिकरण संपन्न करेगा।
- निर्वाचन मंडल की प्राथमिक सदस्यों की सूची में नए नामों को शामिल करना या नामों को जारी करना संबन्धित निर्वाचन प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र का कार्य है। बशर्ते उसकी मंजूरी उच्चस्थ निर्वाचन प्राधिकरण से ली गई हो।
- निर्वाचन प्रक्रिया का दूसरा चरण है-निर्वाचन का नोटिफिकेशन। नोटिफिकेशन कोई भी निर्वाचन प्राधिकरण की इकाई अपने से उच्चस्थ अधिकरण की मंजूरी से जारी करेगी। नोटिफिकेशन निर्वाचन का विस्तृत कार्यक्रम होगा।
- तीसरे चरण में नामांकन पत्र भरे जाएंगे, उनका सत्यापन होगा और प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी की जाएगी।
- चौथे चरण में घोषित प्रक्रिया के अनुरूप चुनाव संपन्न कराए जाएंगे।
- अंतिम चरण में वोटों की गिनती होगी और निर्वाचन परिणामों की घोषणा होगी।
- निर्वाचन की प्रक्रिया
- सक्षम निर्वाचन प्राधिकरण निर्वाचन तिथि से कम से कम 16 दिन पूर्व निर्वाचन की तिथि, स्थान, समय और प्रक्रिया की घोषणा करेगा।
- सभी निर्वाचन प्राधिकरण अपने अधीनस्थ निर्वाचन प्राधिकरण के लिए नामांकन पत्रों का प्रारूप तैयार करेंगे। नामांकन के दिन कोई भी प्रत्याशी या उसकी तरफ से कोई प्रतिनिधि निर्धारित प्रोफार्मा के अनुसार ही निर्वाचन अधिकारी के समक्ष अपना नामांकन प्रस्तुत करेगा। अगले दिन नामांकनकर्ताओं या उनके प्रतिनिधियों के समक्ष नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी।
- उसके अगले दिन निर्धारित प्रक्रिया के तहत नामांकन पत्रों की वापसी होगी।
- जब निर्वाचन के लिए प्रत्याशियों की अंतिम सूची तैयार हो जाएगी, तब उसका प्रकाशन बैलट के प्रारूप के अनुसार होगा। बैलट पेपर निर्वाचन केंद्र के दरवाजे पर चिपकाया जाएगा।
- संबंधित निर्वाचन प्राधिकरण मतकार्य की गोपनीयता मतकर्ताओं की सुरक्षा मत कर्म की निष्पक्षता के लिए निर्वाचन केंद्रों पर वोटरों को नियोजित करने, प्रत्याशियों के समर्थकों को निर्वाचन केंद्रों से एक सीमा से दूर बनाए रखने, प्रत्याशियों के निर्वाचन एजेंट नियुक्त करने के लिए उचित कदम उठाएगा।
- निर्वाचन बैलट पेपर की बजाय इलेक्ट्रॉनिक मशीन से भी हो सकता है। बशर्ते ऐसी प्रक्रिया को अपनाने वाला प्राधिकरण वोटों की गोपनीयता तथा निष्पक्षता सुनिश्चित करने संबंधी प्रश्नों पर अपनी उच्चस्थ प्राधिकरण को संतुष्ट करेगा और मंजूरी प्राप्त करेगा।
- उच्चस्थ निर्वाचन प्राधिकरण द्वारा निर्दिष्ट स्थान पर निर्वाचन समाप्त होने के बाद बैलट बक्सों को सील करके निर्वाचन संपन्न करने वाला प्राधिकरण सुरक्षित भेजने का प्रबंध करेगा।
- वोटों की गिनती की प्रक्रिया
- वोटिंग बॉक्स को प्रत्याशियों द्वारा अधिकृत एजेंटों के समक्ष खोला जाएगा। वोटों की गिनती निर्धारित प्रक्रिया के तहत होगी। प्रत्याशियों द्वारा प्राप्त वोटों का आंकड़ा संबंधित निर्वाचन प्राधिकरण द्वारा घोषित व प्रकाशित किया जाएगा।
- चुनाव जीतने के लिए अर्हताओं को पूरी करने वाला प्रत्याशी चुनाव में निर्वाचित घोषित किया जाएगा और सक्षम निर्वाचन अधिकारी द्वारा उसको निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
- यदि हाथ उठाकर वोट डालने की प्रक्रिया अपनाई जाती है या फिर किसी इलेक्ट्रॉनिक तकनीक को अपनाया जाता है, तो इस निर्वाचन में निर्वाचन की निष्पक्षता तथा वोटर की गोपनीयता से संबंधित घोषणा निर्वाचन के नोटिफिकेशन में ही दी जाएगी।
- निर्वाचन विवादों के निपटारे संबंधी उपबंध
- निर्वाचन संबंधी विवादों का निपटारा या तो संबंधित न्यायिक परिषद द्वारा किया जाएगा या विश्वविद्यालयों या कानूनी प्रशिक्षण केंद्रों के उन विधि विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा, जो पार्टी द्वारा मान्यता प्राप्त होंगे।
- याचिकाकर्ता चुनाव परिणाम की घोषणा के 15 दिन के अंदर संबंधित स्तर के न्यायिक परिषद के समक्ष स्वयं या अपने प्रतिनिधि या अपने ऐसे अधिवक्ता के माध्यम से प्रस्तुत करेगा या डाक द्वारा भेजेगा, जिसको पार्टी की मान्यता हो।
- कानूनी मामलों का विशेषज्ञ चुनाव याचिका का निस्तारण लगातार सुनवाई करके केवल 5 दिन के करेगा।
- कानूनी याचिकाओं के निस्तारण में विशेषज्ञ यथाशक्य उसी प्रक्रिया का अनुपालन करेगा, जो प्रक्रिया अनुशासन के उल्लंघन के मामलों में अपनाए जाने का प्रावधान है।
- न्यायिक परिषद के विशेषज्ञों द्वारा जिन याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज कर दी जाती है, उन्हें उच्चस्थ न्यायिक परिषद के विशेषज्ञों के समक्ष अपील करने का अधिकार होगा। अपील याचिका मात्र 1 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत की जाएगी। अपील की सुनवाई के समय निर्णयकर्ता के सम्मुख याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत उपस्थित होने का आदेश दिया जा सकता है। किंतु ऐसे समय पर याचिकाकर्ता के किसी अधिवक्ता को उपस्थित रहने का अधिकार नहीं होगा।
- किसी भी याचिकाकर्ता को दूसरी अपील का अधिकार नहीं होगा।
- जब तक देश के ऊपर के स्तरों की कार्यसमितियों, न्यायिक परिषदों और निर्वाचन प्राधिकरणों का गठन नहीं होता, तब तक अखिल भारतीय कमेटी या अखिल भारतीय साधारण सभा के गठन के लिए संपन्न होने वाले निर्वाचन परिणामों को केंद्रीय न्यायिक परिषद में चुनौती दी जा सकती है। इस परिस्थिति में केंद्रीय न्यायिक परिषद का फैसला अंतिम होगा। याचिकाकर्ता को किसी भी अपील का अधिकार नहीं होगा।
- केंद्रीय कार्यसमिति और केंद्रीय साधारण सभा के गठन के लिए होने वाले निर्वाचन के परिणाम को चुनौती केंद्रीय न्यायिक परिषद में ही दी जाएगी। न्यायिक परिषद के फैसले से संतुष्ट न होने की स्थिति में याचिकाकर्ता को एक अपील केंद्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष के सम्मुख करने का अधिकार होगा। बशर्ते केंद्रीय कमेटी के 10{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} सदस्य याचिकाकर्ता के समर्थन में याचिका को काउंटर साइन करें। ऐसी अपील याचिका पर फैसला केंद्रीय कमेटी के सभी सदस्य के दो-तिहाई बहुमत के आधार पर होगा।
- रिक्तियों को भरने संबंधी प्रावधान
- मृत्यु या त्यागपत्र या हटाए जाने की परिस्थिति में कोई भी पद रिक्त माना जाएगा।
- किसी भी रिक्त पद पर उच्चस्थ कार्यसमिति के अध्यक्ष द्वारा नामांकन के माध्यम से वह पद भरा जाएगा, किंतु ऐसा नामांकन मात्र 6 महीनों के लिए वैध होगा। इसके उस पद को उसी प्रक्रिया से भरा जाएगा, जो संविधान में प्रदत्त है।
- निर्वाचन प्राधिकरण का गठन
अध्याय 11
अनुच्छेद 11
चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद
चुनावों में पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने के लिए अधिकृत प्रत्याशियों का चयन करने के लिए एक निर्वाचन प्रत्याशी चयन परिषद होगी। यह परिषद पार्टी के सदस्य दल के चुनाव चिन्ह पर विविध स्तरों पर होने वाले चुनावों के लिए प्रत्याशियों का चयन करेगी।
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- चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद (ईसीएससी) का गठन
- केंद्रीय कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष केंद्रीय परिषद का पदेन प्रभारी होगा।
- सभी ऊर्ध्वाधर संसदीय परिषदों के अध्यक्ष अपने-अपने अधीनस्थ प्रत्याशी चयन परिषद के पदेन अध्यक्ष होंगे।
- पार्टी के प्रत्याशी चयन परिषद की इकाइयों का गठन समस्त संगठनों के संबंधित स्तर की सभी इकाइयां सामूहिक रूप से करेंगी। इसके अलावा कुछ क्षेत्र विशेषज्ञ संगठनों (एरिया एक्सपर्ट) को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
- प्रत्याशी चयन परिषदों की इकाइयों में एरिया एक्सपर्ट की भर्ती संबंधित साधारण सभा के सदस्यों में से की जाएगी। क्षेत्रीय विशेषज्ञ यानी एरिया एक्सपर्ट की न्यूनतम संख्या दो और अधिकतम संख्या 10 होगी।
- प्रत्याशी चयन परिषद में सदस्यों की भर्ती करते समय यह बात ध्यान में रखना आवश्यक होगा कि भर्ती किए जाने वाले व्यक्ति को संगठनिक समझ व अनुभव हो तथा समाज के मन के तात्कालिक रुझान की समझ हो।
- प्रत्याशी चयन परिषद में एरिया एक्सपर्ट का चयन चुनाव के आधार पर होगा। इस निर्वाचन में संबंधित साधारण सभा के सदस्य/पार्टी के राजनीतिक सदस्य अपना नामांकन दाखिल करेंगे। निर्वाचन का कार्य संबंधित इकाई के निर्वाचन प्राधिकरण द्वारा संपन्न कराया जाएगा।
- यदि पार्टी की किसी इकाई या स्तर पर प्रत्याशी चयन परिषद का गठन नहीं हुआ है या परिषद सक्रिय नहीं है, तो ठीक उच्चस्थ प्रत्याशी चयन परिषद किसी तदर्थ कमेटी द्वारा कार्य संपादन सुनिश्चित करेगी।
- प्रत्याशी चयन परिषद का संगठन और कार्यप्रणाली
- परिषद की शाखाएं यथाशक्ति संगठन के प्रत्येक ऊर्ध्वाधर स्तर पर होंगी। इनको परिषद की ऊर्ध्वाधर शाखाएं कहा जाएगा।
- सभी प्रत्याशी चयन परिषदें अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के लिए होने वाले चुनावों में सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशियों का सुझाव परिषद की उच्चस्थ इकाई के सम्मुख प्रस्तुत करेगा। चुनाव जीतने के उद्देश्य से या पार्टी को सही नीतिगत दिशा में ले जाने और उसको अधिक शक्तिशाली बनाने के आधार पर उच्चस्थ समिति अधीनस्थ समिति के द्वारा सुझाई गयी प्रत्याशियों की सूची स्वीकार कर सकती है या कुछ अन्य नामों की सिफारिश कर सकती है। इस प्रकार उच्चस्थ इकाई प्रत्याशियों के नामों की अंतिम सूची तैयार करके चयन परिषद की केंद्रीय इकाई को प्रेषित करेगी। प्रत्याशियों के नामों का अंतिम रूप से चयन केंद्रीय चयन परिषद स्वयं करेगी या अपने द्वारा अधिकृत किसी उप समिति या किसी समूह से करवाएगी।
- प्रत्याशी चयन परिषद में प्रत्याशियों के नामों के चयन की प्रक्रिया लगातार चलती रहेगी। किसी निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपयुक्त नामों की सिफारिश और नामों को स्वीकार करने की प्रक्रिया अधिकतम 3 वर्ष पहले से शुरू हो सकेगी।
- किसी निर्वाचन क्षेत्र या किसी विधायी परिक्षेत्र को यदि किसी निर्दलीय प्रत्याशी या किसी राजनीतिक दल के लिए पार्टी के नियमों के तहत आरक्षित किया गया है, तो इस प्रकार आरक्षित निर्दलीय का नाम या राजनीतिक पार्टी द्वारा अधिकृत प्रत्याशी का नाम प्रत्याशी चयन परिषद की संबंधित इकाई उसी प्रकार भेजेगी, जैसे वह प्रत्याशी अपनी ही पार्टी का प्रत्याशी हो।
- प्रत्याशियों के चयन की अधिक पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ प्रक्रिया का सुझाव परिषद की सभी इकाइयां अपने से उच्चस्थ इकाई को देती रहेंगी, जो केंद्रीय इकाई से मंजूर होने पर प्रभावी होगी।
- चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद (ईसीएससी) का गठन
अनुच्छेद 12
न्यायिक परिषद
पार्टी की एक न्यायिक परिषद होगी। न्यायिक परिषद का काम होगा यह देखना कि क्या संबंधित स्तर की कार्यसमिति संविधान सम्मत कार्य कर रही है या नहीं? संबंधित स्तर की साधारण सभा के विरुद्ध या किसी कमेटी के विरुद्ध या साधारण सभा या कार्यसमिति के किसी सदस्य के विरुद्ध न्यायिक परिषद के सम्मुख प्रस्तुत की गई याचिकाओं का निस्तारण करना। न्यायिक परिषद की केंद्रीय इकाई के कार्यकारी प्रमुख को न्यायिक परिषद का केंद्रीय अध्यक्ष कहा जाएगा।
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- न्यायिक परिषद के सदस्यों और अधिवक्ताओं के अधिकार और कर्तव्य।
- केंद्रीय न्यायिक परिषद का अध्यक्ष केंद्रीय कार्यसमिति का सदस्य होगा। केंद्रीय न्यायिक परिषद के अध्यक्ष का कार्य होगा – पार्टी के संविधान की भावना के अनुरूप न्यायिक परिषद के संविधान को विकसित करना, न्यायिक परिषद की कार्य प्रणाली को विकसित करना, न्यायिक परिषद से जुड़े अधिवक्ताओं को प्रशिक्षित करना और मान्यता देना, याचिकाओं का पंजीकरण करना, याचिकाओं की ट्रायल प्रक्रिया विकसित करना और न्यायिक परिषद के आदेशों को लागू करने के तरीके विकसित करना आदि।
- किसी स्तर की कार्यसमिति का अध्यक्ष किसी व्यक्ति को संबंधित इकाई की न्यायिक परिषद का अध्यक्ष मनोनीत करेगा। किसी व्यक्ति को न्यायिक परिषद का अध्यक्ष मनोनीत होने के लिए आवश्यक होगा कि वह व्यक्ति पार्टी के संविधान का जानकार हो। साथ ही उसने पार्टी संविधान के विविध प्रावधानों की सामाजिक उपयोगिता का अध्ययन भी किया हो।
- पार्टी की न्यायिक परिषदों में एक अध्यक्ष होगा और दो सदस्य होंगे। याचिकाओं के मामलों पर या तो तीनों द्वारा बहुमत के आधार पर फैसला लिया जाएगा या 2 सदस्यों द्वारा फैसला लेने के लिए अधिकृत होने पर परिषद का अध्यक्ष स्वयं अपनी चेतना से फैसला लेगा। न्यायिक परिषद को अपना फैसला 6 महीने या इससे कम अवधि में देना होगा। परिषद सुनवाई के लिए केवल 2 तारीखें दे सकती है। फैसले के विरुद्ध परिषद की उच्चस्थ इकाई से अपील की जा सकेगी। दूसरी अपील अपीलीय न्यायिक परिषद की राष्ट्रीय परिषद में की जा सकेगी, जिसका फैसला अंतिम होगा।
- न्यायिक परिषद द्वारा दिया गया फैसला केवल शिक्षण प्रशिक्षण के उद्देश्य से अधिवक्ता परिषद में आलोचना का विषय बन सकता है। किंतु यदि अधिवक्ता परिषद फैसले को दो तिहाई बहुमत से बदल देती है, तब न्यायिक परिषद द्वारा दिया गया फैसला संशोधित माना जाएगा।
- अधिवक्ता परिषद में उतने ही सदस्य होंगे, जितने सदस्य संबंधित साधारण सभा में होंगे। अधिवक्ता परिषद की सदस्यता की मंजूरी संबंधित स्तर की कार्यसमिति का अध्यक्ष देगा। अधिवक्ता परिषद के सदस्यों की मान्यता उनकी योग्यता सूची के आधार पर दी जाएगी। जो व्यक्ति परिषद की जितनी अधिक याचिकाओं में अधिकृत किया गया होगा, वह मेरिट सूची में उतना ही ऊपर माना जाएगा। अधिवक्ता परिषद के सदस्य का कार्यकाल 4 वर्ष होगा।
- अधिवक्ता परिषदों का मुख्य कार्य होगा-पार्टी के संविधान संशोधन प्रस्ताव तैयार करना, न्यायिक परिषद द्वारा याचिका पर दिए गए फैसलों की आलोचना निजी स्तर पर और परिषद के स्तर पर करना, संबंधित साधारण सभा की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्यसमिति को न्यायिक परिषद के माध्यम से सलाह देना; न्यायिक परिषद में भर्ती होने के लिए आवेदक बनना; कार्यसमिति, विकासक और विधायक साधारण सभा और साधारण सभा द्वारा विशेष कार्य के लिए नियुक्त किए जाने पर सेवा शुल्क के बदले सेवाएँ देना और साधारण सभा द्वारा पारित विधेयकों की आलोचना निजी स्तर पर या अधिवक्ता परिषद के स्तर पर करना।
- न्यायिक परिषद के कानूनी कार्य के विशेषज्ञ
- पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति द्वारा संचालित या अधिकृत कुछ विश्वविद्यालय या संस्थान होंगे, जो पार्टी के सिद्धांतों, नीतियों और नियमों का विधिवत शिक्षण प्रशिक्षण का कार्य करेंगे। इन विश्वविद्यालयों से प्रमाणपत्र प्राप्त और संबंधित ऊर्ध्वाधर कार्यसमिति से मान्यता प्राप्त विधि विशेषज्ञ संबंधित न्यायिक परिषद में व्यावसायिक अधिवक्ता के रूप में कार्य करेंगे।
- याचिकाकर्ताओं को यह अधिकार होगा कि वह केवल उन्हीं विधि विशेषज्ञों को याचिका पर निर्णय देने के लिए अधिकृत करें, जो स्वभाव से ही न्यायप्रिय हों, निर्णय शीघ्रातिशीघ्र देते हों और न्यूनतम व्यय में देने में सक्षम हों।
- सभी मान्यता प्राप्त कानूनी विशेषज्ञों/मजिस्ट्रेटों से अपेक्षा होगी कि वे याचिकाओं पर न्याय देने की प्रक्रिया इतनी कम खर्चीली रखें, जिससे कि साधारण जीवन यापन करने वाले लोग भी याचिका दायर करने का साहस जुटा पाएं और उस की अदालत में अधिकतम याचिकाएं दाखिल हो सकें। सभी कानूनी विशेषज्ञों के लिए अनिवार्य होगा कि वे न्यायिक फैसलों में फैसले की राशि का भी उल्लेख करें तथा उस राशि का 10{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} संबंधित स्तर की कार्यसमिति के कोष में जमा कराएं। यह राशि जमा करने में विफल कानूनी विशेषज्ञों की और, जो निजी स्वार्थ में या पक्षपात के आधार पर याचिका पर निर्णय देंगे, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
- देश, वतन, प्रराष्ट्र या राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कानूनी विशेषज्ञ अपनी सेवाओं के बदले वादी या प्रतिवादी से कोई फीस नहीं लेंगे। इन स्तरों की कार्यसमितियां कानूनी विशेषज्ञों/मजिस्ट्रेट को मानदेय देने का प्रबंध करेंगे।
- न्यायिक परिषद के आदेशों का कार्यान्वयन
- कानूनी विशेषज्ञ याचिकाओं पर दिए गए अपने आदेशों को कार्यान्वित करने के लिए उच्चस्थ न्यायिक परिषद को प्रेषित कर देंगे। उच्चस्थ न्यायिक परिषद संबंधित स्तर की कार्यसमिति के आदेश को कार्यान्वित करेगी।
- कोई निर्णय प्राप्त होने के बाद संबंधित न्यायिक परिषद अपने अधीनस्थ कार्यसमिति के आदेश को 15 दिन के अंदर लागू करने का आदेश जारी करेगी।
- किसी आदेश को लागू करने का आदेश जारी करते समय संबन्धित स्तर की कार्यसमिति दोषी को उस इकाई में स्थानांतरित करने का आदेश दे सकती है, जिसके अध्यक्ष को कोई आपत्ति न हो।
- न्यायिक परिषद के विषय में विशेष उपबंध
- जब तक पार्टी द्वारा संचालित या अधिकृत विश्वविद्यालयों या संस्थानों द्वारा प्रशिक्षित विशेषज्ञ अस्तित्व में नहीं आते, तब तक ऊर्ध्वाधर कमेटियों के प्रथम उपाध्यक्ष कानूनी विशेषज्ञों/मजिस्ट्रेट के कार्यों को संपादित करेंगे।
- किसी कार्यसमिति के अध्यक्ष के विरुद्ध न्यायिक परिषद के फैसलों को लागू करने के लिए आवश्यक होगा कि प्रथम व द्वितीय उपाध्यक्ष और महासचिव भी न्यायिक परिषद के फैसले से सहमत हों। आरोपी को केवल एक अपील का अधिकार होगा।
- न्यायिक परिषद के सदस्यों और अधिवक्ताओं के अधिकार और कर्तव्य।
अनुच्छेद 13
लोक सेवा भर्ती परिषद
पार्टी के उन कर्मचारियों के पदों पर, जहां चुनाव आवश्यक नहीं है, योग्य व्यक्तियों की भर्ती के लिए विविध स्तरों पर लोक सेवा चयन परिषद होगी। इसको संक्षेप में ‘पीएमआरसी’ कहा जाएगा। इस परिषद का कार्यकारी प्रमुख परिषद का महानिदेशक कहा जाएगा। केंद्रीय कार्यसमिति का एक सदस्य इस परिषद का पदेन महानिदेशक होगा।
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- लोक सेवा भर्ती परिषद का गठन
- लोक सेवा भर्ती परिषद के संबंधित ऊर्ध्वाधर के कार्यकारी प्रमुख को संक्षेप में भर्ती निदेशक कहा जाएगा।
- केंद्रीय कार्यसमिति किसी ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रीय/राष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई की भर्ती परिषद का महानिदेशक मनोनीत करेगी, जिसको पार्टी के संविधान, मिशन, दर्शन का ज्ञान और संगठन के विज्ञान का नैतिक तथा व्यावहारिक अनुभव हो।
- भर्ती परिषद की राष्ट्रीय/राष्ट्रीय मामलों की भारतीय समिति का निदेशक दो प्रराष्ट्रीय इकाईयों के निदेशकों का मनोनयन अपनी कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर करेगा।
- राष्ट्रीय भर्ती निदेशक वतन स्तर के भर्ती निदेशकों का मनोनयन प्रराष्ट्रीय स्तर की कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर करेगा।
- राष्ट्रीय/राष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई का भर्ती निदेशक वतनी मामलों की भारतीय इकाई की कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर अखिल भारतीय इकाई के भर्ती परिषद के निदेशक का मनोनयन करेगा।
- अखिल भारतीय इकाई का भर्ती निदेशक अखिल भारतीय कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर प्रदेशों के भर्ती निदेशकों का मनोनयन करेगा।
- कोष या योग्य व्यक्तियों के अभाव में जिन स्तरों पर भर्ती निदेशकों का मनोनयन नहीं हुआ होगा, केंद्रीय इकाई का भर्ती महानिदेशक पार्टी को ऊर्ध्वाधर उन सभी स्तरों पर भर्ती निदेशकों का मनोनयन कर सकता है। यह अधिकार केंद्रीय कार्यसमिति को अन्य सभी अंगों व इकाइयों के मामले में भी प्राप्त होगा।
- लोक सेवा चयन परिषद के कार्य
- भर्ती परिषद यह सुनिश्चित करेगा कि पार्टी संविधान की भावना के अनुरूप जिस स्तर के जिस अंग में जिस योग्यता और सज्जनता के व्यक्तियों की भर्ती होनी चाहिए, वैसे ही व्यक्तियों की भर्ती हो।
- केंद्रीय भर्ती परिषद अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनी कार्यप्रणाली का उचित प्रस्ताव तैयार करेगी, जो साधारण सभा की मंजूरी के बाद कार्यान्वित होगा।
- पार्टी के पदाधिकारियों की सिफारिश पर संगठन के किसी अंग में, किसी पद पर, किसी व्यक्ति की भर्ती हो सकती है किंतु इस तरह की भर्ती तब तक अंतरिम होगी जब तक उसे संबंधित भर्ती परिषद की मंजूरी नहीं मिल जाती।
- अपने कार्यों को संपादित करने के लिए भर्ती परिषद तकनीकी विशेषज्ञों, तकनीकी संगठनों, न्यासों, फर्मों व कंपनियों का सहयोग ले सकती है या अपने कार्यों को संपादित करने के लिए कुछ तकनीकी व्यक्तियों और संस्थानों को अधिकृत कर सकती है।
- केंद्रीय कमेटी यह सुनिश्चित करेगी की भर्ती परिषद स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्य करें।
- भर्ती परिषद की शाखाएं ब्लॉक स्तर से विश्व स्तर की इकाइयों में खोली जाएंगी। संगठन के जिस स्तर पर भी कोई कार्यसमिति कार्यरत है, हर उस स्तर पर भर्ती परिषद की एक शाखा खोली जाएगी।
- भर्ती परिषद के पास विधिवत नियमों के तहत स्थापित समुचित कार्यालय होगा, जिसके लिए यथा संभव वित्तीय प्रबंध भर्ती परिषद स्वयं करेगी। उच्चस्थ भर्ती परिषदें यह प्रयास करेंगी कि उनकी निम्नस्थ भर्ती परिषदें वित्तीय संकट का सामना न करने पाएं।
- जिन पदों पर भर्ती के लिए भर्ती परिषद विस्तृत प्रस्ताव तैयार करेंगी और संबंधित साधारण सभा से मंजूरी लेकर उनको कार्यान्वित किया जाएगा, ऐसे पदों की सूची निम्न वत है-
- लोक सेवा भर्ती परिषद का गठन
- शून्य सदस्य
- प्राथमिक सदस्य
- सक्रिय सदस्य
- वोटर काउंसिलर
- सदस्य-साधारण सभा
- सदस्य-कार्यसमितियों
- अध्यक्ष
- प्रथम उपाध्यक्ष
- द्वितीय उपाध्यक्ष
- सहायक-द्वितीय उपाध्यक्ष
- समदर्शी द्वितीय उपाध्यक्ष (मेधा शक्ति)
- समवर्ती उपाध्यक्ष (मेधा शक्ति)
- महासचिव
- सचिव
- अधिवक्ता
- कानून विशेषज्ञ
- पार्टी प्रवक्ता
- अधिकारी
- कर्मचारी
- सुरक्षा महानिदेशक
- भर्ती निदेशक
- चुनाव प्रत्याशी चयन परिषद के अध्यक्ष
- कोषाध्यक्ष
- सहायक संस्थान/ट्रस्ट/फर्म्स/कंपनी
- केंद्रीय कार्यसमिति को यह अधिकार होगा कि वह संगठन के किसी भी अंग या इकाई में या कार्यसमिति में नए पदों का सृजन कर दे या वर्तमान कुछ पदों/पद को समाप्त कर दे।
- केंद्रीय भर्ती परिषद को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी स्तर पर संगठन में नए अंग, नई इकाई या नए उपांगों का सृजन करने का प्रस्ताव बनाएं और उसे केंद्रीय साधारण सभा द्वारा मंजूर कराए। इसके विपरीत संगठन में मौजूद किसी भी स्तर पर किसी अंग, इकाई या उपांग को भंग या निरस्त करने का प्रस्ताव बनाने, उसे केंद्रीय साधारण सभा द्वारा मंजूर करवा कर भंग करने का अधिकार भी केंद्रीय भर्ती परिषद को प्राप्त होगा।
- केंद्रीय भर्ती परिषद नए संगठनों, न्यासों, फर्म, कंपनियों को संचालित करने, संबद्ध करने या अधिकृत करने संबंधी विस्तृत प्रक्रिया विकसित करके केंद्रीय साधारण सभा में मंजूर करवाएगी और लागू करेगी।
- किसी भी स्तर की भर्ती परिषद को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी संगठन, न्यास, फर्म या कंपनी से संबद्ध होने या अधिकृत होने के लिए प्रपट आवेदन पर नियमानुसार विचार करें। परिषद का आवेदन प्राप्तकर्ता इकाई आवेदन को मंजूरी के लिए या मंजूरी के लिए अधिकृत उपयुक्त स्तर की शाखा में प्रेषित करने के लिए अपने उच्चस्थ शाखा को भेज देगा।
अनुच्छेद – 14
समन्वय परिषदें
सभी कार्यसमितियों के प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्षों और संगठन की विविध ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज इकाइयों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए पार्टी की समन्वय परिषद होगी। समन्वय परिषद के 2 वर्ग होंगे। एक को ‘समवर्ती समन्वय परिषद‘ कहा जाएगा और दूसरे को ‘समदर्शी समन्वय परिषद‘ कहा जाएगा। ‘समवर्ती समन्वय परिषद के कार्यकारी प्रमुख को दलदूत और ‘समदर्शी समन्वय परिषद के कार्यकारी प्रमुख को दलपञ्च कहा जाएगा। पार्टी दो परस्पर विरोधी प्रतिनिधि या राजनीतिक विचारधाराओं में, दो परस्पर विरोधी संप्रदायों में तथा दो परस्पर संघर्षरत समुदायों में इन्हीं परिषदों के माध्यम से समन्वय स्थापित करेगी। पार्टी विश्व में दो या अधिक परस्पर संघर्षरत समुदायों में समन्वय स्थापित करने के लिए समय-समय पर द्विपक्षीय या बहुपक्षीय समझौतों, संधियों, संविदाओं को इन्हीं समन्वय परिषदों द्वारा विकसित करेगी और उन पर संबंधित पक्षों से मंजूरी प्राप्त करेगी।
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- समवर्ती समन्वय परिषदें (Concurrent Coordination Council, CCC)
- ऊर्ध्वाधर समन्वय के लिए और संगठन की ऊर्ध्वाधर इकाइयों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए संगठन की कुछ समन्वय परिषदों का गठन किया जाएगा, जिनको समवर्ती समन्वय परिषद कहा जाएगा।
- प्रदेश और देश स्तर की संगठन की इकाइयों के बीच काम करने वाले समन्वय परिषदों के प्रमुखों को चतुर्थ दलदूत कहा जाएगा; देश और वतन की इकाई के बीच काम करने वाली समन्वय परिषदों के प्रमुखों को तृतीय दलदूत कहा जाएगा; वतन और प्रराष्ट्रीय मामलों की इकाइयों के बीच काम करने वाली समन्वय परिषदों के प्रमुखों को द्वितीय दलदूत कहा जाएगा और प्रराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मामलों की इकाइयों के बीच काम करने वाली दोनों समन्वय परिषदों को प्रथम दलदूत कहा जाएगा।
- समदर्शी समन्वय परिषद (Samdarshi Coordination Council, SCC)
- संगठन के दो अगल बगल यानी क्षैतिज इकाइयों और कार्यसमितियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए गठित की जाने वाली समन्वय परिषदों को समदर्शी समन्वय परिषद कहा जाएगा।
- दो क्षैतिज प्रादेशिक इकाइयों के बीच काम करने वाली समन्वय परिषद के प्रमुखों को प्रादेशिक दलपञ्च कहा जाएगा; दो देश स्तरीय इकाइयों के बीच काम करने वाली समन्वय परिषद के प्रमुखों को देशिक दलपञ्च कहा जाएगा; दो वतन स्तरीय भारतीय इकाईयों के बीच काम करने वाली समन्वय परिषद के प्रमुखों को वतनी दलपञ्च कहा जाएगा। पूर्व और पश्चिम इन दोनों प्रराष्ट्रीय इकाइयों के बीच काम करने वाली एकमात्र समन्वय परिषद के प्रमुख को प्रराष्ट्रीय दलपञ्च कहा जाएगा। राष्ट्रीय और केंद्रीय इकाइयों के बीच काम करने वाले एकमात्र समन्वय परिषद के प्रमुख को राष्ट्रीय दलपञ्च कहा जाएगा।
- समन्वयक परिषद का गठन
- पार्टी के विधिवत अस्तित्व में आने के बाद समन्वय परिषद की कार्यप्रणाली और परिषद की नियमावली को केंद्रीय समिति पार्टी के संविधान की भावना के अनुरूप निर्मित करेगी। नियमों के निर्माण के समय इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि पार्टी की विविध क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर इकाइयों के बीच मौजूद परस्पर संघर्षों का समन्वय और समापन हिंसक साधनों की बजाय अहिंसक और शांतिपूर्ण ढंग से संभव हो।
- समन्वय परिषदों का प्रमुख बनने के लिए यह आवश्यक होगा कि आवेदक अभिव्यक्ति और उसकी लिखित प्रस्तुति में असाधारण क्षमता का व्यक्ति हो। आवेदक को अपेक्षित कार्य और उसके संबंध में अपनी योग्यता का विस्तृत ब्यौरा देना होगा। आवेदक/सदस्य को यह बताना होगा कि किन दो संघर्षरत समुदायों की मानसिकता उसके अध्ययन और अनुभव के विषय हैं, संघर्षरत समुदायों के बीच संघर्ष के मुख्य बिंदु क्या हैं, संघर्षरत समुदायों के बीच हिंसक संघर्ष को रोकने की कौन सी रणनीति कारगर होगी?
- संगठन की दो क्षैतिज इकाइयों के बीच समन्वय का कार्य करने के लिए क्षैतिज समन्वयकों या हॉरिजॉन्टल कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति या तो केंद्रीय कमेटी करेगी या समानांतर इकाइयों की द्विपक्षीय बहुपक्षीय सलाह पर केंद्रीय कमेटी द्वारा अधिकृत संगठन का कोई निकाय करेगा।
- पार्टी द्वारा अधिकृत संस्थान के द्वारा योग्यता प्रमाणित करने के लिए जारी प्रमाण पत्र का, जो व्यक्ति धारक नहीं होगा, उसे भी समन्वय परिषद के प्रमुख के रूप में नियुक्ति/मनोनयन पाने का अधिकार नहीं होगा।
- समन्वय परिषद के समन्वयकों के अधिकार और कर्तव्य
- कोई भी कार्यसमिति व इकाई अपनी पड़ोसी इकाई से संपर्क केवल मध्यस्थ समन्वय परिषदों के माध्यम से ही करेगी।
- प्रादेशिक इकाइयों के बीच द्विपक्षीय व बहुपक्षीय संवाद का काम करने वाली क्षैतिज समन्वय परिषदें प्रादेशिक और देशिक इकाई के बीच कार्यरत ऊर्ध्वाधर परिषद के अधीन कार्य करेंगी। देशिक इकाइयों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संवाद का काम करने वाली सभी क्षेत्र समन्वय परिषदें देशों और वतन की इकाईयों के बीच कार्यरत ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद के अधीन कार्य करेगी। वतन की इकाइयों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संवाद का काम करने वाली सभी समन्वय परिषदें वतन और राष्ट्र के बीच कार्यरत ऊर्ध्वाधर समन्वय परिषद के अधीन काम करेंगी।
- समवर्ती समन्वय परिषदें (Concurrent Coordination Council, CCC)
अनुच्छेद 15
पार्टी कोष
पार्टी के आय-व्यय का ठीक-ठीक हिसाब रखने के लिए संगठन को मिले नकद, गैर-नकद अनुदान और कर्ज के बदले जारी प्रमाण पत्रों का रिकॉर्ड रखने के लिए संगठन के एक निकाय का गठन करेगी, जिसे वीपीआई फंड/पार्टी कोष कहा जाएगा।
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- पार्टी कोष का गठन
- कोष के कार्यकारी प्रमुख को महाप्रबंधक और कोष की शाखाओं के प्रमुखों को प्रबंधक कहा जाएगा।
- जिस व्यक्ति को चंदा संग्रह, बैंकिंग, एकाउंटिंग और लेखा परीक्षाओं का सैद्धांतिक और व्यावहारिक अनुभव होगा, उसे केंद्रीय कमेटी कोष की राष्ट्रीय मामलों की इकाई का महाप्रबंधक नियुक्त करेगी।
- केंद्रीय कमेटी को या इसके द्वारा अधिकृत किसी अन्य इकाई को संगठन के कोष में संगठन के सभी पदाधिकारियों का खाता खोलने की अनिवार्यता संबंधी नियमावली बनाने का अधिकार होगा।
- पार्टी कोष के कार्य
- कोष संगठन के सदस्यों के बीच घरेलू विनिमय का माध्यम विकसित करेगा। इस विनिमय माध्यम से पार्टी अपने ऊपर मौजूद सशर्त वापसी वाले कार्यो का भुगतान करेगी। इसी विनिमय माध्यम से पार्टी उन पदाधिकारियों, सदस्यों और कर्मचारियों को भुगतान करेगी, जिनकी भर्ती काम के बदले सशर्त वेतन देने की शर्तों पर की गई होगी।
- पार्टी समाज के उन आर्थिक वर्ग के न्यायिक हितों को पूरा करने के लिए जरूरी धन का प्रबंध करेगी, जिस वर्ग के पास अपने राजनीतिक हितों के लिए नियमित चंदा देने की क्षमता नहीं होती। पार्टी चंदा या कर्ज देने वालों को उनके द्वारा पार्टी को दिए गए चंदे या कर्ज के बदले विनिमय माध्यम की एक तकनीक(डिवाइस) देगी।
- देश/वतनी/प्रराष्ट्रीय या राष्ट्रीय मामलों की इकाइयों के स्तर पर काम करने वाले किसी भी न्यास, फोरम, गैर सरकारी संगठन, परा-राजनीतिक संगठन, मोर्चा या परिसंघ द्वारा विकसित किसी विनिमय माध्यम को मान्यता देगी, जिससे पार्टी के बाहर पार्टी से मिलते-जुलते उद्देश्यों पर काम करने वाले अधिकांश लोगों की सामूहिक शक्ति बन सके।
- पार्टी अपने संगठन द्वारा विकसित किए गए या पार्टी द्वारा विकसित पार्टी द्वारा मान्य घरेलू विनिमय माध्यम की सुलभता के लिए कोष की शाखाएं ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय मामलों की इकाई के स्तर तक खोलेगी। यह शाखाएं कोष की शाखाएं कही जाएंगी।
- पार्टी पूरी शिद्दत से इस बात के लिए प्रयास करेगी कि पार्टी को वित्तीय योगदान करने वालों को साधारण वित्त दाताओं को मिलने वाले ब्याज की तुलना में कम से कम 2 गुना दर से सरकार धनराशि वापस करे। पार्टी द्वारा विकसित विनिमय माध्यम द्वारा पूरी पारदर्शिता के साथ उक्त वचन वित्त दाताओं को दिया जाएगा, जिससे कि पार्टी का उद्देश्य पूरा होने से जिस वर्ग या जिन लोगों के आर्थिक हितों की पूर्ति होगी, उन उद्देश्यों की पूर्ति करने में आने वाले खर्च का बोझ उन्हीं लोगों पर पड़े।
- आय और व्यय का विधिवत और सरल तरीके से ब्यौरा रखना संभव बनाने के लिए पार्टी अपनी आर्थिक गतिविधियां इस तरीके से संचालित करेगा, जिससे कि वित्तीय लेनदेन यथाशक्य संगठन के कोष की शाखाओं के बीच ही हो। राजनीति के क्षेत्र में पारदर्शी लेनदेन की व्यवस्था विकसित करने के उद्देश्य से पार्टी का प्रयास होगा कि पार्टी कोष से निकाली गई रकम और पार्टी के लिए खर्च की गई रकम की रसीद कोष की शाखाओं द्वारा ही जारी की जाए।
- कोष अपनी कार्यप्रणाली को उपयोगी पद्धति से चलाने के प्रस्ताव तैयार कर के साधारण सभा की मंजूरी लेगा और उसे लागू करेगा।
- अपने कुछ विशेष कार्यों को संपादित करने के लिए कोष कुछ व्यक्तियों, संगठनों, न्यासों, फर्मों या कंपनियों की मदद लेगा।
- केंद्रीय कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि कोष यथाशक्य एक स्वायत्त संगठन की तरह कार्य करे।
- संगठन की कोई भी शाखा जहां खोली जाएगी, कोष की शाखा वहां अनिवार्य रूप से खोली जाएगी।
- कोष के प्रवेधको के पास समुचित कार्यालय होगा जिसके लिए वित्त का प्रवेध उच्चस्थ इकाई करेगी। यह प्रयास किया जाएगा कि कोष को अपना कार्यालय चलाने में धन के अभाव का सामना न करना पड़े।
- पार्टी अपने कोष का उपयोग अपनी गतिविधियों के लिए ही करेगा और प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अपने आय और व्यय के खातों का लेखा परीक्षा किसी सक्षम लेखा परीक्षक से करवाएगा। इस लेखा परीक्षा की एक प्रति भारत सरकार के आयकर विभाग को वित्तीय वर्ष के अंत में प्रस्तुत किया जाएगा।
- पार्टी कोष का गठन
अनुच्छेद 16
सुरक्षा परिषद
पार्टी के सदस्यों व पदाधिकारियों के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की सुरक्षा के लिए पार्टी का एक अंग होगा। इस अंग को सुरक्षा परिषद कहा जाएगा। सुरक्षा परिषद के कार्यकारी प्रमुख को महानिदेशक कहा जाएगा।
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- सुरक्षा परिषद का गठन
- साधारण सभा के सदस्यों में से केंद्रीय कमेटी किसी ऐसे व्यक्ति को केंद्रीय कमेटी में सुरक्षा परिषद में महानिदेशक के रूप में मनोनीत करेगी, जिसको सुरक्षा संगठनों के संगठनात्मक ढांचे की जानकारी हो, खुफिया सूचनाओं, आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के विषय में सैद्धांतिक और व्यवहारिक ज्ञान और अनुभव हो।
- केंद्रीय कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष राष्ट्रीय मामलों की कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर राष्ट्रीय मामलों के स्तर की कमेटी के सुरक्षा परिषद के निदेशक की नियुक्ति करेगा।
- सभी ऊर्ध्वाधर स्तरों पर सुरक्षा परिषद के निदेशकों की नियुक्ति संबंधित स्तर के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर उच्चस्थ कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष द्वारा की जाएगी।
- सुरक्षा परिषद के कार्य।
- सुरक्षा परिषद अपनी शाखाओं को संगठन के सभी स्तरों पर खुलेगी, जिससे अपनी जिम्मेदारियों को निभा सके।
- सुरक्षा परिषद निजी सुरक्षा गार्डों का एक व्यवस्थित संगठन बनाएगी और निजी सुरक्षा गार्ड की सेवाएं संचालित करने वाली अन्य एजेंसियों संगठनों और कंपनियों के संपर्क में रहेगी।
- सुरक्षा परिषद अपनी कार्यपद्धति इस प्रकार से बनाएगी, जिसमें, जो सुरक्षाकर्मी परिषद में काम करें वे राष्ट्रीय भावना और बहादुरी से ओतप्रोत हों।
- न्यायिक विशेषज्ञ के न्यायिक फैसले संबंधित पक्षों तक संबंधित स्थलों की सुरक्षा परिषद के माध्यम से ही पहुंचाए जाएंगे।
- सुरक्षा परिषद अपराधों को रोकने और संगठनों के सदस्यों और पदाधिकारियों की सुरक्षा के लिए स्थानीय शासन-प्रशासन और पुलिस के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करेगी व समन्वय स्थापित करेगी।
- सुरक्षा परिषद का गठन
अनुच्छेद 17
जन संचार परिषद
पार्टी की नीतियों, नियमों, कार्यक्रमों, उद्देश्यों, निर्णयों आदि को समुचित तरीके से उचित शब्दों में जनता तक प्रचारित-प्रसारित करने के लिए एक संगठन की इकाई होगी, जिसे जन संचार परिषद कहा जाएगा। इस परिषद के कार्यकारी प्रमुख को प्रवक्ता कहा जाएगा। केंद्रीय कार्यसमिति का एक सदस्य जन संचार परिषद का पदेन प्रवक्ता होगा।
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- जन संचार परिषद का गठन
- केंद्रीय कमेटी राष्ट्रीय मामलों की इकाई के प्रवक्ता के पद पर किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करेगी, जिसको पार्टी के संविधान, नीतियों और दर्शन की अच्छी जानकारी होगी। उसके पास प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया में काम करने का अनुभव होना चाहिए। उसको सूचना तकनीक की सैद्धांतिक और व्यवहारिक ज्ञान और अनुभव होना चाहिए। उसे अपनी बातों को तर्कपूर्ण तरीके से संक्षेप में कहने की कला आनी चाहिए।
- सभी ऊर्ध्वाधर स्तरों के जनसंचार परिषदों के प्रवक्ताओं का मनोनयन संबंधित स्तर की कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष की सलाह पर उच्चस्थ कार्यसमिति का प्रवक्ता करेगा।
- जन संचार परिषद के कार्य।
- जन संचार परिषद अपने कार्यों को संपादित करने के लिए संचार के आधुनिक साधनों जैसे मल्टीमीडिया, प्रिंट मीडिया, ऑडियो-वीडियो मीडिया, सोशल मीडिया आदि का प्रयोग करेगी। अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए जन संचार परिषद कुछ समाचार पत्रों पत्रिकाओं का प्रकाशन करेगी, रेडियो स्टेशन चलाएगी, टीवी चैनल चलाएगी और कुछ मीडिया संस्थानों के साथ सहयोग करेगी और कुछ मीडिया संस्थानों को कुछ विशेष कार्य करने के लिए अधिकृत करेगी।
- जिन मीडिया संस्थानों के स्वामी, जो पत्रकार, स्तंभकार समाज में संपूर्ण विश्व के समस्त लोगों के लिए उपयोगी विचारधारा और सोच विकसित करने के कार्य में लगे हैं, उनके साथ परिषद सहयोग का हाथ बढ़ाएगा।
- जन संचार परिषद का यह भी कार्य है कि वह आम जनभावनाओं को पार्टी के पदाधिकारियों व कमेटियों तक पहुंचाएं और कार्यसमितियों के फैसलों को उस स्तर तक प्रभावित करें जिस स्तर तक अनुशासन का उल्लंघन न होता हो और पार्टी का संविधान अनुमति देता हो।
- पार्टी की भावनाओं के अनुरूप संगठन के किसी स्तर की संबंधित इकाई की अपेक्षाओं के अनुरूप संगठन की कार्यसमितियों के कार्यों की संतुलित आलोचना करने का अधिकार होगा।
- जनसंचार माध्यम को आत्मनिर्भर व स्वायत्त बनाने के लिए सदस्यगण परिषद द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का क्रय और उपयोग करेंगे। संबंधित स्तर की कार्यसमिति का यह प्रयास होगा कि परिषद को अपना कार्य संपादित करने में संसाधनों का अभाव न पड़ने पाए।
- जन संचार परिषद की ऊर्ध्वाधर इकाइयां ब्लॉक स्तर से शुरू होकर केंद्रीय स्तर तक होंगी।
- जन संचार परिषद का गठन
अध्याय 6
अनुच्छेद 18
पार्टी के उपांग
पार्टी के कुछ निकाय होंगे, जो इस उद्देश्य से काम करेंगे कि समाज में तात्कालिक तौर पर पैदा हुई समस्याओं को रोका जा सके तथा लंबे समय से मौजूद राजनीतिक आर्थिक समस्याओं को कम किया जा सके और अंततः समाप्त किया जा सके। ये निकाय इस उद्देश्य से भी कार्य करेंगे कि समाज के विभिन्न समुदायों के न्यायिक हितों की सुरक्षा हो सके और प्रतिनिधि विचारधाराओं के आधार पर समाज में मौजूद विभिन्न समुदायों का सशक्तिकरण हो सके। इन निकायों को पार्टी का उपांग कहा जाएगा। केंद्रीय कार्यसमिति को यह अधिकार होगा कि इन निकायों और पार्टी के विविध ऊर्ध्वाधर स्तरों की इकाइयों के बीच संबंधों को परिभाषित तथा विनियमित करने वाले नियम व पद्धति विकसित करें। पार्टी संगठन में कार्यकारी और विधाई कार्यों में प्रकोष्ठों और मोर्चों यानी उपांगों की भागीदारी के लिए नियम बनाएगा।
- पार्टी प्रकोष्ठ, मोर्चा और ऑपरेशन
- लंबे समय से मौजूद समस्याओं को रोकने, कम करने और समाप्त करने के उद्देश्य से पार्टी के कुछ उपांग निकाय होंगे, जो सभी कार्यसमितियों के साथ कार्य करेंगे, उनको पार्टी का प्रकोष्ठ कहा जाएगा। इन प्रकोष्ठों का नाम संबंधित समस्या को प्रकोष्ठ शब्द के साथ जोड़ कर रखा जाएगा। जैसे विषमता नियंत्रण प्रकोष्ठ, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्रकोष्ठ, सदस्यता प्रकोष्ठ इत्यादि। प्रकोष्ठ पार्टी के द्वारा संचालित इकाइयां होंगे, जो समाज की स्थाई समस्याओं के समाधान के लिए और गठबन्धन की गतिधियों को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे।
- समाज के विभिन्न घटकों के न्यायिक हितों की सुरक्षा व अभिवृद्धि के लिए संगठित संघर्ष करने के लिए पार्टी के कुछ मोर्चे होंगे। इनको पार्टी का मोर्चा कहा जाएगा। संबंधित सामाजिक घटक के विशेषण को मोर्चे के नाम में जोड़कर मोर्चे का नामकरण किया जाएगा। मोर्चा के संगठन पार्टी के समानांतर होंगे, जो पार्टी द्वारा ही बनाए जाएंगे।
- पार्टी की कुछ आपात चुनौतियों से निपटने के लिए या समाज के सामने अचानक पैदा हो गई किसी समस्या पर नियंत्रण करने के लिए या समाप्त करने के लिए पार्टी के कुछ उपांग होंगे जिनको ऑपरेशन कहा जाएगा। ऑपरेशनों का नामकरण आपात समस्या के साथ ऑपरेशन शब्द जोड़कर किया जाएगा। यह ऑपरेशन या तो प्राकृतिक आपदाओं के समय शुरू किया जाएगा या फिर पार्टी पर अचानक हुए किसी तरह के हमले व आघात के समय शुरू किया जाएगा।
- प्रकोष्ठ का गठन
- किसी ऊर्ध्वाधर कार्यसमिति की सिफारिश पर पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति का प्रथम उपाध्यक्ष किसी प्रकोष्ठ का गठन करेगा। भर्ती परिषद की सिफारिश पर संबंधित ऊर्ध्वाधर स्तर की साधारण सभा के उपयुक्त सदस्यों को प्रकोष्ठ की कार्यसमिति का पदाधिकारी बनाया जाएगा।
- प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय, प्रराष्ट्रीय, वतनी, देश, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व गांव/वार्ड के स्तर पर क्रमशः 10,9,8,7,6,5,4 तथा 3 की संख्या में पदाधिकारियों का मनोनयन किया जाएगा।
- प्रत्येक स्तर की साधारण सभा का कोई सदस्य संबंधित स्तर के प्रकोष्ठ की इकाई का प्रभारी होगा। प्रकोष्ठ की कार्यसमिति अपने कार्याधिकार क्षेत्र के अधीन अपनी कार्यपद्धति और कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाएंगे। इस मामले में प्रकोष्ठ संबंधित स्तर की कार्यसमिति का सहयोग ले सकती है।
- प्रकोष्ठ की ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए किसी भी स्तर पर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष की नियुक्ति से पूर्व प्रकोष्ठ की उच्चस्थ कार्यसमिति से सलाह ली जाएगी।
- कोई नया प्रकोष्ठ शुरू करने के लिए कम से कम क्षेत्रीय स्तर की कार्यसमिति के एक सदस्य की सिफारिश आवश्यक होगी। अधीनस्थ कार्यसमिति से प्राप्त सिफारिश पर उच्चस्थ समिति विचार करेगी और अपनी आख्या के साथ पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति को नया प्रकोष्ठ शुरू करने के प्रस्ताव पर फैसला लेने के लिए अग्रसारित करेगी। केंद्रीय समिति का प्रथम उपाध्यक्ष यह फैसला करेगा कि प्रस्तावित प्रकोष्ठ शुरू किया जाएगा या नहीं। इस विषय में फैसला लेने के लिए पार्टी की ऊर्ध्वाधर कमेटियों में से किसी भी कमेटी के अध्यक्ष को निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर सकता है।
- प्रकोष्ठों की सूची पार्टी के संविधान की अनुसूची 4 में प्रकाशित की जाएगी।
- प्रकोष्ठों के लिए वित्तीय प्रबंधन
- प्रकोष्ठों के सदस्य अपना मिशन चलाने के लिए सदस्यता अभियान चलाकर या चंदा संग्रह अभियान चलाकर अपने मिशन के लिए धन का प्रबंध कर सकते हैं। किंतु इस प्रकार के अभियान पार्टी की रसीदों द्वारा ही चलाया जाएगा और धनराशि पहले पार्टी के खाते में जाएगी।
- प्रकोष्ठों को प्राप्त चंदे की राशि का 75{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} हिस्सा प्रकोष्ठों की केंद्रीय कमेटी द्वारा और शेष 25{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} हिस्सा चंदा संग्रह करने वाली इकाई द्वारा खर्च किया जाएगा।
- प्रकोष्ठ की केंद्रीय कार्यसमिति अपने प्रकोष्ठ को प्राप्त चंदे की राशि का 25{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} पार्टी के खाते में सहयोग स्वरूप देगा।
- मोर्चों का गठन
- मोर्चा के गठन की प्रक्रिया वही होगी, जो प्रकोष्ठ के गठन की होगी। पहले से काम कर रहे कुछ संगठनों को एक लिखित संविदा के आधार पर पार्टी का मोर्चा घोषित किया जाएगा।
- किसी भी स्तर की कार्यसमिति का प्रथम उपाध्यक्ष केंद्रीय समिति के प्रथम उपाध्यक्ष की अनुमति लेकर मोर्चे के गठन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। केंद्रीय कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष नए मोर्चे के गठन संबंधी प्रस्ताव आने पर प्रस्तावित मोर्चे के गठन के लिए संगठन की ऊर्ध्वाधर कमेटियों में से किसी भी कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष को मोर्चे के गठन के लिए अधिकृत कर सकता है। यह निर्णय प्रस्तावित मोर्चे की भौगोलिक सफलता को देखते हुए किया जाएगा।
- केंद्रीय कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष से अधिकृत होने के बाद संबंधित ऊर्ध्वाधर स्तर का प्रथम उपाध्यक्ष अपने स्तर की साधारण सभा के किसी सदस्य को प्रस्तावित मोर्चे के संबंधित स्तर की इकाई का अध्यक्ष नियुक्त करेगा।
- मोर्चे की संबंधित स्तर का अध्यक्ष अपनी कार्यसमिति के पदाधिकारियों का मनोनयन मोर्चे की जरूरतों और नामांकित किए जाने वाले व्यक्ति की योग्यता और अभिरुचियों को ध्यान में रखते हुए करेगा। वह अपने मोर्चे की अधीनस्थ कमेटियों का भी गठन करेगा। इस कार्य में वह पार्टी कि संबंधित स्तर की कार्यसमितियों का सहयोग लेगा।
- सभी मोर्चों के सभी स्तरों के अध्यक्ष अपने से उच्चस्थ पार्टी की साधारण सभा के सदस्य होंगे।
- मोर्चे की देश स्तर की इकाई के अध्यक्ष अपने मोर्चे की कार्यसमिति में उतने ही सदस्यों को मनोनीत कर सकेंगे, जितने उस देश में प्रदेशों की संख्या होगी। उसी प्रकार मोर्चे की प्रादेशिक इकाई के अध्यक्ष अपने मोर्चे की कार्यसमिति में उतने ही सदस्यों को मनोनीत कर सकेंगे, जितने उस प्रदेश में जिलों की संख्या होगी।
अनुच्छेद 19
पार्टी के सहयोगी संगठन
उन संगठनों, न्यासों, धार्मिक समुदायों, समूहों, निकायों, फर्मों और कंपनियों को पार्टी का सहयोगी संगठन कहा जाएगा, जो पार्टी की पूर्ण या आंशिक उद्देश्य कार्यक्रमों को मानकर कार्य करते हैं, किंतु पार्टी के प्रमुख नेतृत्व को नहीं मानते, ऐसे संगठनों के साथ सहयोग की प्रक्रिया पार्टी के संविधान के अनुच्छेद 13.2.12 के अनुसार होगी।
अनुच्छेद 20
पार्टी से संबद्ध संगठन
उन संगठनों, न्यासों, धार्मिक समुदायों, समूहों, निकायों, फर्म और कंपनियों को पार्टी का सम्बद्ध संगठन कहा जाएगा, जो पार्टी के उद्देश्यों और नेतृत्व को मानते हैं, किंतु उसको हासिल करने के लिए अपने सांगठनिक ढांचे का उपयोग करते हैं। ऐसे संगठनों से संबद्धता की कार्यवाही पार्टी के संविधान के अनुच्छेद 13.2.12 के अनुसार संपादित की जाएगी।
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- संबद्धता की प्रक्रिया
- पार्टी से संबद्ध होने के लिए इच्छुक संगठन पार्टी के संविधान के अनुच्छेद 7 में दिए गए फॉर्म के अनुसार पार्टी की उस ऊर्ध्वाधर कार्यसमिति के अध्यक्ष के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करेगा, जिससे इच्छुक संगठन जुड़ना चाहता है।
- संगठन का अर्थ ऐसे स्वैच्छिक संगठन से समझा जाएगा, जो सरकार के किसी पंजीकरण संस्थान में पंजीकृत कोई संगठन है, कोई न्यास है, फर्म या कंपनी है।
- किसी संगठन की ओर से यदि पार्टी के ऊर्ध्वाधर इकाइयों का कोई भी अध्यक्ष निर्धारित प्रारूप के अनुरूप संबद्धता के लिए आवेदन करता है, तो वह उच्चस्थ कार्यसमिति के प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्षों के पास मंजूरी के लिए भेजेगा। दोनों की मंजूरी प्राप्त होने के बाद आवेदन भेजने वाला अधीनस्थ कमेटी का प्रथम उपाध्यक्ष आवेदक संगठन द्वारा पार्टी की जनशक्ति या/और धन शक्ति बढ़ाने की संभावनाओं पर एक रिपोर्ट बनाएगा। इस रिपोर्ट से संतुष्ट होने पर उच्चस्थ कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष को भेजेगा। यदि उच्चस्थ कमेटी भी संतुष्ट हो जाती है, तो उच्चस्थ कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष द्वारा आवेदक संगठन को संबद्धता संबंधी प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
- किसी भी संबद्ध संगठन को यह अधिकार होगा कि वह पार्टी से संबद्ध होने के इच्छुक अपने विरोधी संगठन के आवेदन के विरुद्ध पार्टी के संबंधित स्तर की कार्यसमिति में पूर्वानुमान के आधार पर आपत्ति दाखिल कर सके। किंतु ऐसे मामलों में आपत्ति दाखिल करने वाले संगठन को यह साबित करना होगा कि उसके विरोधी संगठन को पार्टी से संबंध होने से पार्टी का क्या नुकसान होगा और उस नुकसान की भरपाई करने में आपत्ति दर्ज करने वाला संगठन किस प्रकार सक्षम है?
- पार्टी के विविध ऊर्ध्वाधर स्तरों से संबद्ध होने वाले पार्टियों, संगठनों, न्यासों, फर्म और कंपनी की संबद्धता संबंधी पद्धति संबंधित स्तरों की कार्यसमितियां समय-समय पर तय करेंगी। इन कार्यसमितियों द्वारा बनाई गई पद्धतियों पर उच्चस्थ कमेटी की साधारण सभा विचार करेगी। आवश्यक हुआ, तो संशोधन भी करेगी और अंत में मंजूर करेगी।
- पार्टी से संबद्धता की संविधान के अनुच्छेद 1.3 में बताई गई प्रक्रिया से अलग प्रक्रिया भी बनाई जा सकती है
- यदि संबद्ध संगठन अपने कार्यक्षेत्र और अधिकार क्षेत्र को बढ़ाना या घटाना चाहते हैं, तो उसे इस आशय का आवेदन उसी स्तर की कार्यसमिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा, जिस स्तर पर वह संबद्ध है। आवेदन को स्वीकार करने न करने की प्रक्रिया वही होगी, जो संगठनों के संबद्धता की होती है।
- संबद्धता की प्रक्रिया
अनुच्छेद 21
पार्टी द्वारा अधिकृत संगठन
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- पार्टी की सभी ऊर्ध्वाधर इकाइयों को यह अधिकार होगा कि वह अपने किसी एक या अधिक कार्यों को संपादित करने के लिए किसी भी संगठन, पार्टी, न्यास, फर्म या कंपनी को अधिकृत कर सकें। इसके लिए उचित शर्तों पर एक संविदा करना अनिवार्य होगा। जिले से नीचे की इकाइयों को यह संविदा करने का अधिकार नहीं होगा।
- पार्टी की कार्यसमिति द्वारा बिंदुवार स्पष्ट शब्दों में समझौते का प्रारूप तैयार करके किसी संगठन को अधिकृत किया जाएगा। यह समझौता/संविदा सरकार या न्यायालय में पंजीकृत होगा या नहीं, यह बात तय करने का अधिकार भी संविदा करने वाले दोनों पक्षों पर होगा।
- उक्त संविदा पार्टी की जिस स्तर की कमेटी करेगी, उससे उच्चस्थ कमेटी संविदा पर विवाद होने की परिस्थिति में आरोपों और प्रत्यारोप से स्वयं को पूरी तरह अलग और तटस्थ बनाए रखेगी।
- अधिकृत संगठन यदि अपना कार्यक्षेत्र और अधिकार क्षेत्र बढ़ाना चाहता है, तो उसे ऐसा आवेदन पार्टी की उच्चस्थ कार्यसमिति के समक्ष अध्ययन के लिए प्रस्तुत करना होगा। ऐसे संगठनों की मंजूरी की प्रक्रिया वही होगी, जो संगठनों को अधिकृत करने की होगी।
अनुच्छेद 22
पार्टी के दूसरे पार्टियों/गठबंधनों से पार्टी बनाने संबंधी प्रावधान
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- आपसी सहयोग के उद्देश्य से, चुनावों में सीटों का समायोजन, सामान्य मुद्दों के लिए जन प्रदर्शन, सामान्य शिक्षा, प्रशिक्षण और सर्वेक्षण कार्यक्रम और आम समस्याओं द्वारा प्रताड़ित लेकिन विभिन्न जातियों, समुदायों, धर्मों, भाषाओं में विभाजित असंगठित जनता और राजनीतिक दलों की राजनीतिक ताकत को एकजुट करने और मजबूत करने के लिए, पार्टी कुछ राजनीतिक दलों के साथ साझा मंच, पैरा-राजनीतिक मोर्चों और गठबंधनों को बनाने की पहल के साथ सहयोग करेगी, जिनका उद्देश्य पार्टी के उद्देश्यों के लिए आंशिक या पूरी तरह से समान है।
- राजनीतिक दलों के शासन के स्थान पर गठबंधनों के शासन की प्रवृत्ति और लोकतांत्रिक संरचना, लोकतांत्रिक उत्पादन, पारदर्शिता और सत्ताधारी गठबंधनों की जवाबदेही की आवश्यकता को देखते हुए वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल अन्य राजनीतिक दलों के साथ साझा मोर्चा या गठबंधन बनाएगी, यदि संबंधित पक्ष निम्नलिखित नीतियों पर पार्टी से संयुक्त रूप से सहमत होंगे: –
- संयुक्त गठबंधन/मोर्चा/मंच का एक लिखित संविधान होगा।
- गठबंधन बनाने के लिए शपथ पत्र पर एक लिखित समझौता/घोषणा होगी।
- गठबंधन करने की इच्छुक पार्टियां, उनके नाम के साथ गठबंधन का नाम लिखेंगे, जैसे स्कूल, कॉलेज उनके नाम के साथ विश्वविद्यालय और उनके बोर्ड का नाम लिखते हैं।
- गठबंधन की कार्यकारी समितियों का गठन उस स्तर पर किया जाएगा, जहां विधायी निकाय से संबंधित किसी भी प्रकार का चुनाव संभव होगा।
- गठबंधन के लिए इच्छुक पार्टियों की मुख्य कार्यकारी समिति, गठबंधन/मोर्चे/मंच की ऊर्ध्वाधर इकाइयों की संरचना में लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा अपनी खुद की पार्टियों की ऊर्ध्वाधर इकाइयों को शामिल करेगी।
- गठबंधन की सबसे ऊपरी इकाइयों को गठबंधन के लिए इच्छुक पार्टियों की सबसे निचली इकाइयों द्वारा चुना जाएगा।
- भारतीय संघ या उसके किसी राज्य की विधायिका/कार्यकारिणी के चुनावों के लिए उम्मीदवारों का चयन गठबंधन की सामूहिक रूप से गठित समिति का अधिकार क्षेत्र होगा।
- गठबंधन की ऊर्ध्वाधर इकाइयों के कार्यकारी प्रमुखों के चुनाव में मतदान करने के लिए नामित पदाधिकारी के वोट का मूल्य संबंधित पार्टी के संबंधित क्षेत्र के सक्रिय सदस्य के अनुपात में तय किया जाएगा।
- सदस्य संगठन गठबंधन के प्राथमिक के प्राथमिक सदस्यों के बीच सर्वेक्षण करने के लिए गठबंधन को अधिकृत कर सकते हैं और सदस्य दलों के आवेदकों को प्राथमिक सदस्य के रूप में भर्ती करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं।
- गठबंधन के संगठनों और उनके पदाधिकारियों के बीच होने वाले संघर्षों, आशंकाओं, आपत्तियों, अन्यायों की जांच के लिए गठबंधन के संगठन के प्रत्येक स्तर पर यथासंभव न्यायिक समितियों का गठन किया जाएगा।
- वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल केवल उन राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन या महासंघ बनाएगी, जो उपरोक्त 5 प्रावधानों को उनके संविधान का हिस्सा बनाएँगे।
अनुच्छेद 23
दूसरी पार्टियों और दूसरे पार्टी द्वारा मान्यता प्राप्त या सहयोगी या सम्बद्ध या अधिकृत पार्टी के रूप में कार्य करने संबंधी प्रावधान-
देश के घरेलू लोगों की विदेशी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए और पार्टी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक संगठनों की साझी शक्ति और साझे प्रयत्न की ऊर्जा पैदा करने के लिए पार्टी दूसरे गठबंधनों द्वारा मान्यता प्राप्त या सहयोगी या संबंध या अधिकृत पार्टी के रूप में कार्य करेगा। राजनीतिक दलों के किसी पार्टी द्वारा भारतीय भौगोलिक क्षेत्र में पार्टी उस पार्टी द्वारा मान्यता प्राप्त या सहयोगी या सम्बद्ध या अधिकृत पार्टी के रूप में पार्टी काम करेगी। पार्टी दूसरे पार्टी के साथ इस संविधान के अनुच्छेद 22 के प्रावधानों के तहत पार्टी करके काम कर सकेगा। इस संबंध में फैसला लेने का अधिकार केवल पार्टी की केंद्रीय कमेटी को होगा।
अध्याय 12
अनुच्छेद 24
पार्टी का नीति निर्देशक
पार्टी के प्रेरणा स्रोत या उनके जैसे विचारक या कोई सम्मानित व्यक्ति या कोई आध्यात्मिक गुरु या कोई आध्यात्मिक नेता, जिसकी आवश्यकता केंद्रीय कमेटी के मस्तिष्क के लिए आवश्यक लगे, उसे पार्टी का नीति निर्देशक चुना जाएगा। नीति निर्देशक पार्टी का मान्यता प्राप्त शून्य सदस्य होगा। वह मान्यता प्राप्त शून्य सदस्यों द्वारा शून्य साधारण सभा के लिए चुना जाएगा। शून्य साधारण सभा के चुने हुए सदस्यों में से कोई एक सदस्य केंद्रीय कार्यसमिति की सर्वानुमति से पार्टी का नीति निर्देशक चुना जाएगा। वह केंद्रीय कार्यसमिति के दो तिहाई बहुमत से अपने पद से हटाया जा सकेगा।
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- नीति निर्देशक के अधिकार-
- नीति निर्देशक का कार्य होगा कि वह केंद्रीय कार्यसमिति के प्रत्येक सदस्य की गतिविधियों पर नजर रखे। यदि वह महसूस करता है कि केंद्रीय कमेटी अपने घोषित सिद्धांतों, उद्देश्यों और उन्हें हासिल करने के लिए घोषित साधनों से भटक रही है, तो उसे कमेटी के अध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांगने का अधिकार होगा। अध्यक्ष 1 महीने के भीतर अपना लिखित पक्ष प्रस्तुत करेगा और यदि आवश्यक समझता है, तो व्यक्तिगत मुलाकात करके लिखित वक्तव्य की व्याख्या करेगा।
- यदि नीति निर्देशक अध्यक्ष के लिखित उत्तर से संतुष्ट नहीं होता है, तो वह कुछ बिंदुवार लिखित निर्देश जारी करेगा, जिसके हिसाब से केंद्रीय कमेटी का संचालन आवश्यक होगा। यदि 1 वर्ष तक नीति निदेशक केंद्रीय कमेटी की कार्यप्रणाली में कोई सुधार महसूस नहीं करता, तो उसे अधिकार होगा कि वह अपनी आपत्तियों, अध्यक्ष के लिखित स्पष्टीकरण और पुनः अपने निर्देशों को सार्वजनिक कर दे। उसे इस स्तर पर केंद्रीय कमेटी की खुली आलोचना का और कमेटी को पथभ्रष्ट होने से बचाने के लिए जनता का दबाव बनाने का या जनता से समर्थन वापसी की अपील करने का अधिकार होगा। इस कार्यवाही के 6 महीने के भीतर या, तो केंद्रीय कमेटी के अध्यक्ष को अपने पद से त्यागपत्र देना अनिवार्य होगा या फिर नीति निर्देशक को अपने पद से त्यागपत्र देना होगा। जो भी पद रिक्त होगा उस पर भर्ती संविधान के प्रावधानों के अनुसार होगी।
- नीति निर्देशक के कर्तव्य-
- नीति निर्देशक राजनीतिक तरीके से काम करेगा। वह पार्टी का या पार्टी के किसी संगठन का सदस्य नहीं बनेगा। अपने नेतृत्व में कोई अन्य राजनीतिक दल या पार्टी भी संचालित नहीं करेगा। जैसे ही वह ऐसा करेगा, उसे नीति निर्देशक का पद छोड़ना होगा।
- नीति निर्देशक आवश्यक होने पर केवल राष्ट्रीय कमेटी की आलोचना करेगा, न कि पूरी पार्टी की। यदि नीति निर्देशक ऐसा करता है, तो उसको अपने पद से हटना होगा।
- नीति निर्देशक केंद्रीय कमेटी को कोई ऐसा निर्देश जारी नहीं करेगा, जिससे पार्टी के संविधान का कोई प्रावधान प्रभावित होता हो या उसके विरुद्ध हो। ऐसे निर्देश उस हद तक शून्य होंगे, जिस हद तक वह पार्टी के संविधान के किसी प्रावधान को या संविधान के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचाते हैं।
- नीति निर्देशक के अधिकार-
अध्याय 13
अनुच्छेद 25
सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, अनुवांशिक और जेहनिक आधारों पर वर्गीकृत समाज के विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए समावेशी उपबंध-
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- पार्टी की मान्यता है कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक कारणों से समाज का एक वर्ग होता है, जो अन्य वर्गों की तुलना में आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से अधिक मजबूत होते हैं। किंतु अन्य की तुलना में जेहनिक रूप से कमजोर होते हैं। वर्तमान में प्रचलित बहुत से अन्यायकारी मूल्यों, मान्यताओं,कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों के कारण समाज का बहुसंख्यक हिस्सा कथित मजबूत वर्ग के सामाजिक और आर्थिक शोषण तथा अत्याचार का शिकार रहा है। कथित रूप से मजबूत वर्ग ने अपने आर्थिक विशेषाधिकारों के उपभोग का वह कथित रूप से उन लोगों के कंधों पर धकेल दिया है, जो सज्जनता में कथित उच्च मजबूत वर्ग से अधिक उच्च और अधिक मजबूत हैं। किंतु आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से अधिक कमजोर हैं। परिणाम स्वरूप समाज का बहुसंख्यक हिस्सा अपने अंतर्निहित शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक शक्ति के विकास के लिए अपरिहार्य आर्थिक संसाधनों अभाव पीढ़ी-दर-पीढ़ी झेलता रहा है। समाज के लिए उपयोगी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन पर यह परिस्थिति बहुत लंबे समय से बहुत बुरा असर डालती रही है। समाज के इस कुप्रबंधन के कारण प्रतिभाओं की हत्या का एक अंतहीन सिलसिला लंबे समय से चल रहा है और इसी कुप्रबंधन के कारण जनसंख्या और उपभोग वस्तुओं के उत्पादन के बीच संतुलन बिगड़ गया है। प्रतिभाओं की बड़े पैमाने पर हो रही हत्याओं को रोकने के लिए, जनता में मजबूत सामाजिक वर्ग को सशक्त करने के लिए, बहुत से कानूनों व संवैधानिक प्रावधानों के द्वारा समाज के लिए बहुसंख्यक हिस्से को आर्थिक रूप से गुलाम बनाकर रखा गया है। इस वर्ग को आर्थिक आजादी देने के लिए पार्टी समय-समय पर विशेष प्रावधान, नीतियां और कार्यक्रम बनाएगी और उनको लागू करेगी। इस तरह के विशेष प्रावधान इस संविधान की अनुसूची-7 में सूचीबद्ध किए जाएंगे।
- पार्टी का लोक सेवा भर्ती परिषद समय-समय पर ऐसी पद्धतियां विकसित करेगा, जिसमें प्राकृतिक व सांस्कृतिक तथा क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर स्तरों में वर्गीकृत समाज के विभिन्न घटकों को पार्टी की निर्णय प्रक्रिया में प्रतिनिधित्व मिल सके।
- पार्टी की ऊर्ध्वाधर इकाइयां अपने-अपने स्तर पर समावेशी नीति के तहत कुछ प्रस्ताव समय-समय पर पेश करेंगी। ऐसे प्रस्ताव जब उच्चस्थ समिति द्वारा मंजूर कर लिए जाएंगे, तो प्रस्ताव देने वाले स्तर की भर्ती परिषद स्तर की साधारण सभा द्वारा मंजूरी प्राप्त करके ऐसे प्रस्तावों को लागू करेगी।
- समावेशी नीति के तहत अपनाए जाने वाले नियम, नियमावलियां और संवैधानिक प्रावधान इस संविधान की अनुसूची 7 में सूचीबद्ध किए जाएंगे।
अनुसूची-7
समावेशी नीति 2020 के तहत अपनाए जाने वाले कुछ नीतिगत प्रस्ताव
- प्रादेशिक विकासक साधारण सभाओं में 50{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} आरक्षण गैर ब्राह्मण सवर्ण समुदाय/गैर ब्राह्मण सामान्य वर्ग के लिए और 30{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} सीटें ओबीसी क्रीमी वर्ग के लिए आरक्षित होगी। विकासक साधारण सभा को सवर्ण विकासक सभा कहा जाएगा।
- प्रादेशिक कार्यसमितियों के द्वितीय उपाध्यक्ष का पद गैर ब्राह्मण सवर्ण समुदाय/गैर ब्राह्मण सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होगा।
- देशिक विकासक साधारण सभा की 80{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} सीटें पिछड़े वर्ग/ओबीसी गैर क्रीमी वर्ग के लिए आरक्षित होंगी। भारत में देश स्तरीय विकासक साधारण सभा को पिछड़ा विकासक सभा कहा जाएगा।
- भारत में देश स्तरीय कार्यसमिति के द्वितीय उपाध्यक्ष का पद गैर क्रीमी पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित होगा। जिस पर यथाशक्ति सामाजिक रूप से अति पिछड़े वर्ग का कोई व्यक्ति ही द्वितीय उपाध्यक्ष बनाया जाएगा।
- वतनी मामलों की विकासक साधारण सभा की 50{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} सीटें मुस्लिम समाज के लिए आरक्षित होंगी। वतन स्तरीय विकासक साधारण सभा को मुस्लिम विकासक साधारण सभा कहा जाएगा।
- वतनी मामलों की विधायक साधारण सभा की 50{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} सीटें अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित होंगी।
- वतन स्तरीय कार्यसमिति के प्रथम उपाध्यक्ष का पद अनुसूचित समाज के व्यक्ति के लिए और द्वितीय उपाध्यक्ष का पद मुस्लिम समाज के व्यक्ति के लिए आरक्षित होगा।
अनुच्छेद 26
अनुशासनात्मक कार्यवाही संबंधी प्रावधान
पार्टी विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए सदस्यों, पदाधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा पार्टी के संविधान व नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पार्टी की सभी ऊर्ध्वाधर कार्यसमितियों को अपने-अपने स्तर पर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का अधिकार होगा। अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए पार्टी की किसी भी इकाई की आयोजित बैठक का कोरम संबंधित निकाय के कुल सदस्यों की संख्या का एक तिहाई होगा। इस नियम का उल्लंघन भी अनुशासनात्मक कार्यवाही का विषय बनेगा।
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- अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए कारित कृत्यों की सूची-
- किसी पदाधिकारी, कार्यसमिति/प्रकोष्ठ, इकाई के अवमूल्यन या अवज्ञा के उद्देश्य से किया गया कोई भी कार्य व्यवहार;
- पार्टी के स्थापित सिद्धांत, नीति, या कार्यक्रम के विरुद्ध जानबूझ कर किया गया कोई भी कार्य व्यवहार;
- पार्टी को आर्थिक रूप से मजबूत करने के नाम पर किंतु स्वार्थ की नीयत से ली जाने वाली सदस्यता राशि या चंदा, जिसको पार्टी के कोष में नियमानुसार जमा नहीं कराया जाए, ऐसा कोई भी कार्य;
- राष्ट्र, राष्ट्रीयता, लोकतंत्र, प्रभुसत्ता, मतकर्म और मत करने का अधिकार तथा सत्ता के ऊर्ध्वाधर पृथक्करण के विषय में पार्टी की अभिनव परिभाषाओं, नीतियों, निर्णयों और कार्यक्रमों के साथ सहयोग नहीं करने संबंधी कार्य व्यवहार;
- किसी सार्वजनिक स्थान पर उस क्षेत्र के निवासियों के विश्वासों व मूल्य के अनुसार ऐसा कोई भी कार्य व्यवहार, जिसको स्थानीय समाज में बुरा माना जाता हो और निंदा योग्य माना जाता हो;
- पार्टी द्वारा अधिकृत किसी भी चुनाव के प्रत्याशी को कमजोर करने की नीयत से मनसा, वाचा, कर्मणा किया गया कोई भी कार्य व्यवहार;
- पार्टी के किसी मंच के लिए बनी आचार संहिता का उल्लंघन पार्टी के किसी कार्यक्रम के मंच पर ही करना;
- पार्टी के किसी पदाधिकारी, किसी कमेटी, किसी इकाई के प्रति क्रोधित होकर और न्याय मांगने के नाम पर पार्टी को बदनाम करने या पार्टी की ताकत को कमजोर करने वाला कोई भी कार्य व्यवहार।
- पार्टी के बाहर किसी मंच/संस्था के मंच पर या मीडिया में न्याय मांगने के नाम पर पार्टी का अपमान करने संबंधी कार्य व्यवहार।
- अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया
- पार्टी का कोई भी सदस्य या पदाधिकारी किसी अन्य सदस्य या पदाधिकारी या कमेटी या किसी इकाई के विरुद्ध निर्धारित फीस जमा करके अपने या पार्टी के हुए नुकसान के आधार पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की याचिका न्यायिक परिषद के सक्षम ऊर्ध्वाधर इकाई के समक्ष प्रस्तुत कर सकेगा।
- डाक सेवा या हाथ से याचिका प्राप्त होने के 1 सप्ताह के भीतर न्यायिक परिषद की संबंधित इकाई आरोपी से 1 महीने के अंदर लिखित जवाब मांगेगी।
- आरोपी का जवाब प्राप्त हो जाने के बाद उस जवाब पर 1 सप्ताह के भीतर लिखित प्रतिक्रिया जमा करने का निर्देश न्यायिक परिषद याचिकाकर्ता को देगा।
- याचिकाकर्ता का जवाब मिल जाने पर न्यायिक परिषद अपना निर्णय तैयार करके दोनों पक्षों के पास भेजेगी। निर्णय की एक प्रति न्यायिक परिषद की उच्चस्थ इकाई को प्रेषित की जाएगी। याचिका के पंजीकृत होने और उस पर निर्णय आने में किसी भी सूरत में 6 महीने से अधिक का वक्त नहीं लगाया जाएगा।
- निर्णय देने वाली न्यायिक परिषद की इकाई निर्णय प्रक्रिया में हुए व्यय की रकम की जानकारी निर्णय में अंकित करेगी। मामलों के निपटारे पर होने वाले खर्च का प्रबंध करने के लिए न्यायिक परिषद की ऊर्ध्वाधर इकाईयां समय-समय पर पद्धति विकसित करेगी।
- अपील के प्रावधान
- कोई भी सदस्य या पदाधिकारी या पार्टी की इकाई, जिसको न्यायिक परिषद के किसी निर्णय द्वारा दंडित किया जाएगा, उसे न्यायिक परिषद की उच्चस्थ इकाई में अपील दायर करने का अधिकार होगा। उसको प्रथम अपील कहा जाएगा। यथाशक्य प्रथम अपील का निस्तारण 3 महीने के अंदर किया जाएगा। पर्याप्त कागजों के अभाव या विशेष परिस्थिति में 3 महीने से अधिक समय देने का अधिकार मात्र उच्चस्थ न्यायिक परिषद को होगा।
- यदि प्रथम अपील में भी याचिकाकर्ता अपने पक्ष में निर्णय पाने में विफल हो जाता है, तो उसे द्वितीय अपील उच्चस्थ न्यायिक परिषद में दाखिल करने का अधिकार होगा।
- किसी भी याचिकाकर्ता को तीसरी अपील दाखिल करने का अधिकार नहीं होगा।
- केंद्रीय न्यायिक परिषद के निर्णय के विरुद्ध कोई भी अपील पुस्तके लिखकर, संगठन बनाकर, सार्वजनिक संबोधनों द्वारा या किसी प्रचार माध्यम से आम जनता की अदालत में ही की जा सकती है। उक्त कृत्यों में पार्टी के सदस्यों और आम जनता के बीच जो प्रतिक्रिया होगी या जो कृत्य पैदा होगा, उसी को जनता की अदालत का अपीलीय निर्णय माना जाएगा।
- वादियों और प्रतिवादियों की मदद के लिए अधिवक्ता
- कानूनी मदद के लिए सभी वादियों और प्रतिवादियों को व्यवसायिक अधिवक्ताओं की मदद प्राप्त करने का अधिकार होगा। ऐसे अधिवक्ता फीस प्राप्त करके या बिना फीस लिए याचिकाएं तैयार करने में, याचिकाओं का जवाब तैयार करने में या याचिकाओं के जवाब का प्रत्युत्तर तैयार करने में वादियों या प्रतिभागियों की मदद करेंगे। कानूनी विशेषज्ञ की अनुमति से उक्त अधिवक्ता अपने द्वारा तैयार याचिका उत्तर या प्रत्युत्तर के स्पष्टीकरण के लिए कानूनी विशेषज्ञ के सम्मुख स्वयं भी उपस्थित हो सकते हैं।
- किसी भी याचिकाकर्ता को यह अधिकार होगा कि वह याचिका या अपील पर विचार कर रहे कानूनी विशेषज्ञ के समक्ष स्वयं प्रस्तुत हो सके। किंतु अपीलों की सुनवाई में कोई भी याचिकाकर्ता अपने अधिवक्ता के साथ कानूनी विशेषज्ञ के सामने प्रस्तुत नहीं हो सकेगा।
- दंड विधान
- आरोपों की कई अनुसूचियां होंगी और सभी अनुसूचियां के लिए अपने-अपने दंड संबंधी प्रावधान होंगे।
- प्रथम अनुसूची के आरोपों पर दंड स्वरूप आरोपी को पार्टी से 6 महीने के लिए निलंबित किया जाएगा।
- दूसरी अनुसूची के आरोप साबित होने पर आरोपी को 2 वर्ष के लिए निलंबित किया जाएगा और ₹1000 से लेकर ₹10000 तक का अर्थदंड लगाया जाएगा।
- तीसरी अनुसूची के आरोप साबित होने पर आरोपी 5 वर्षों के लिए निलंबित किया जाएगा और एक लाख से दस लाख तक का अर्थदंड लगाया जाएगा।
- यदि चौथी अनुसूची के आरोप साबित होते हैं, तो आरोपी को पार्टी से सदा-सदा के लिए बहिष्कृत कर दिया जाएगा।
- पांचवीं अनुसूची के आरोप साबित होने पर आरोपी को पार्टी से बाहर किया जाएगा। साथ ही उस पर संबंधित प्रदेश सरकार के कानून के अनुसार कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी।
- पार्टी के राष्ट्रीय मामलों की कार्यसमिति को विभिन्न आरोपों को अलग-अलग सूचियों में सूचीबद्ध करने का अधिकार होगा।
- जुर्माने की पूरी रकम पार्टी के कोष में जमा की जाएगी।
- अनुशासन से संबंधित विशेष प्रावधान
- कोई भी न्यायिक परिषद उसी याचिकाकर्ता की याचिकाएं स्वीकार करेगी, जो या तो उसके समकक्ष ऊर्ध्वाधर स्तर से संबन्धित हो या अधीनस्थ स्तर से संबंधित हो।
- किसी भी स्तर की साधारण सभा के सदस्य के विरुद्ध याचिका स्वीकार करने में पूर्व संबंधित कार्यसमिति की अनुमति आवश्यक होगी।
- अंतरिम आदेश संबंधी प्रावधान
- यदि याचिकाकर्ता आरोपी को अंतरिम तौर पर दंडित करने की मांग करता है और उस मांग को जायज माना जाता है, तो सभी स्तरों की न्यायिक परिषदों को याचिका प्राप्त होते ही दंड संबंधी अंतरिम आदेश जारी करने का अधिकार होगा।
- अंतिम निर्णय तक इस तरह के अंतरिम आदेश को उच्चस्थ न्यायिक परिषद निरस्त कर सकती है।
- अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए कारित कृत्यों की सूची-
अध्याय 14
अनुच्छेद 27
पार्टी के संविधान में संशोधन और व्याख्या संबंधी प्रावधान
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- पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परिणाम पैदा करने वाली राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्रीय कमेटी को नियमानुसार पार्टी के संविधान को संशोधित करने, कुछ प्रावधानों को हटाने और कुछ नए प्रावधानों को जोड़ने का अधिकार होगा।
- पार्टी के सभी ऊर्ध्वाधर इकाइयों की साधारण सभाओं को अपने स्तर के संविधान में उस हद तक दो तिहाई बहुमत द्वारा संशोधन करने का अधिकार होगा, जिस हद तक वह पार्टी के संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता। ऐसे संशोधनों पर संबंधित स्तर के प्रथम उपाध्यक्ष और न्यायिक परिषद सामूहिक रूप से नजर रखेंगे।
- पार्टी के केंद्रीय इकाई के संविधान में संशोधन का अधिकार केंद्रीय साधारण सभा को होगा। साधारण सभा द्वारा जो भी संशोधन किए जाएंगे, वे पार्टी के संविधान के मूल ढांचे के अनुरूप ही होने चाहिए।
- सभी शासकीय स्तर की इकाइयों को आपात स्थिति में आवश्यक होने पर अपने स्तर की इकाई के संविधान में शासनादेशों से संशोधन का अधिकार होगा। ऐसे संशोधन संबंधित स्तर की साधारण सभा की आगामी बैठक तक ही लागू रह सकेंगे। आगे ऐसे संशोधन तभी जारी रह सकेंगे, यदि साधारण सभा उसे मंजूरी प्रदान कर देती है।
- किसी संविधान संशोधन को या पार्टी की किसी इकाई की नियमावली या उसके किसी प्रावधान के संवैधानिक औचित्य के आधार पर चुनौती दी जा सकती है। बशर्ते ऐसी चुनौतियों संबंधी याचिकाओं को क्षेत्रीय या देश स्तरीय कार्यसमिति का उपाध्यक्ष काउंटर साइन करे। ऐसी याचिकाओं पर सबसे पहले न्यायिक परिषद की समकक्ष इकाई विचार करेगी। न्यायिक परिषद के निर्णय को उच्चस्थ दो स्तरों की न्यायिक परिषदों में चुनौती दी जा सकेगी।
- जब कभी संविधान के या किसी नियमावली के किसी प्रावधान के स्पष्टीकरण की आवश्यकता समझी जाएगी, तो उसको एक याचिका के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इस प्रकार की याचिकाओं के निस्तारण की प्रक्रिया उक्त पैरा 5 के अनुरूप होगी। इन याचिकाओं को ऐसे ही समझा जाएगा, जैसे संविधान या नियम के किसी प्रावधान को चुनौती दी गई हो।
अनुच्छेद 28
पार्टी का विखंडन या विलयन
5 ऊर्ध्वाधर शासकीय स्तरों के अध्यक्षों, प्रथम और द्वितीय उपाध्यक्षों और साधारण सभा की मंजूरी के बाद पार्टी को किसी दूसरी पार्टी में विलय किया जा सकेगा। पार्टी की संपत्तियों के बंटवारे की प्रक्रिया भी नियमानुसार उक्त प्रक्रिया द्वारा ही चलाई जाएगी। किसी उपयुक्त अधिकृत व्यक्ति या कमेटी के माध्यम से किसी दूसरी पार्टी को अपने पार्टी में सम्मिलित किया जा सकता है। यदि वह पार्टी ऐसा करने का निर्णय करती है।
अनुच्छेद 29
संविधान का अनुवाद
पार्टी का संविधान यथासंभव अधिकतम भाषाओं में अनुवादित किया जाएगा। अनुवाद का प्रारूप केंद्रीय समिति द्वारा मंजूर किया जाएगा। केंद्रीय समिति मंजूरी का कार्य केंद्रीय न्यायिक परिषद की रिपोर्ट के आधार पर करेगी।
अध्याय 10
अनुच्छेद 30
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- पारिभाषिक शब्दावली
- ऊर्ध्वाधर इकाइयों की कार्यसूची
- सदस्यता शुल्क
- प्रकोष्ठों की सूची
- मोर्चों की सूची
- ऑपरेशनों की सूची
- समावेशी नीति के प्रावधान
- संविधान संशोधनों की सूची
- पार्टी के रजिस्टर
अनुच्छेद 31
फार्मों के प्रारूप
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- Form – 1 प्राथमिक सदस्यता आवेदन पत्र
- Form – 2 सक्रिय सदस्यता आवेदन पत्र
- Form – 3 वोटर काउंसलर के लिए आवेदन पत्र
- Form – 4 शून्य सदस्यता हेतु आवेदन पत्र
- Form – 5 अंतरिम पदाधिकारी बनने के लिए आवेदन पत्र
- Form – 6 पदाधिकारी बनने के लिए आवेदन पत्र
- Form – 7 संबद्धता के लिए आवेदन पत्र
अनुच्छेद 32
पार्टी के रजिस्टर
अभिलेखों को व्यवस्थित तरीके से रखने के उद्देश्य से पार्टी की केंद्रीय कमेटी कुछ रजिस्टरों को अपने कार्यालय में रखेगी और कुछ अन्य रजिस्टरों को रखने के लिए पार्टी की ऊर्ध्वाधर कमेटियों को अधिकृत करेगी। समय-समय पर रजिस्टरों के संबंध में विस्तृत जानकारी संविधान के इस अनुच्छेद में अंकित की जाएगी।
अनुच्छेद 33
संविधान में नए अनुच्छेदों, प्रावधानों, उप प्रावधानों के जोड़े जाने संबंधी उपबंध
संविधान संशोधन की प्रक्रिया द्वारा पार्टी के संविधान में जिन नए अनुच्छेदों, प्रावधानों, धाराओं, उप धाराओं को जोड़ा जाएगा, उनको संविधान की अनुसूची 8 में सूचीबद्ध किया जाएगा।
अनुसूची – एक
पारिभाषिक शब्दावली
संविधान में जिन विशिष्ट शब्दों का उपयोग किया गया है या प्रचलित शब्दों को विशेष अर्थों में उपयोग किया गया है, उनका विवरण इस प्रकार है-
- सक्रिय सदस्य – उसको कहा जाएगा, जो 5 लोगों को पार्टी का प्राथमिक सदस्यों बनाएगा।
- गठबंधन – यानी राजनीतिक दलों का साझा मंच, जिसका गठन साझे उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सभी दलों के समर्थकों की परा-राजनीतिक संयुक्त शांति पैदा करने के लिए किया जाएगा।
- पूंजीवाद – एक ऐसी प्रतिनिधि विचारधारा जिसमें यह माना जाता है कि किसी भी प्रकार, आर्थिक पूंजीवादी व्यक्ति अधिक से अधिक धन जमा करके वह उसके बच्चे या ऐसे व्यक्तियों का समूह ही उत्पादन के साधनों यथा जमीन, मशीन, समाज की बचत का धन, क्रय शक्ति, मजदूरों की शक्ति के स्वामित्व उपयोग और संचालित करने का और राज्य की मशीनरी संचालित करने का अधिकारी होता है। आर्थिक पूंजीवादी वह व्यक्ति होता है, जो राजनीतिक व्यवस्था में राज्य के साथ सभी नागरिकों का पीढ़ी दर पीढ़ी समान अंतर्संबंध मानता है किंतु अर्थव्यवस्था में सभी नागरिकों का पीढ़ी दर पीढ़ी श्रेणी संबंध मानता है। पूंजीवादी दो तरह के लोग होते हैं-समष्टि पूंजीवादी और व्यष्टी पूंजीवादी।
- चरित्र निर्माता – ऐसा व्यक्ति, जो यह महसूस करता है और इस मान्यता पर जीवित रहता है कि केवल व्यक्तियों का चरित्र निर्माण कर देने से समाज और राज व्यवस्था को सुधारा जा सकता है।
- साम्यवाद – एक ऐसी प्रतिनिधि विचारधारा, जिसमें यह मान्यता होती है कि उत्पादन के साधनों जैसे जमीन, मशीन, समाज की बचत का धन, क्रय शक्ति, मजदूरों की शक्ति और राज्य की मशीनरी के स्वामित्व, उपयोग और संचालन करने का अधिकार और समाज से सम्मान तथा विशेषाधिकार पाने का अधिकार समाज के सभी व्यक्तियों को सामूहिक रूप से है, चाहे व्यक्तियों की आर्थिक हैसियत कुछ भी क्यों न हो। ऐसी मान्यता और विचारधारा को पसंद करने वाले व्यक्ति को साम्यवादी कहा जाता है। साम्यवादी दो तरह के होते हैं-व्यष्टि साम्यवादी और समष्टि साम्यवादी।
- आर्थिक साम्यवादी – वह व्यक्ति, जो राजनीतिक व्यवस्था और आर्थिक अर्थव्यवस्था दोनों में राज्य के साथ सभी नागरिकों का पीढ़ी दर पीढ़ी श्रेणी के बजाय सामानंतर संबंध मानता है। यानी कि न तो वह व्यक्ति द्वारा अर्जित राजनीतिक पदों को उत्तराधिकार में पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित करने के पक्ष में होता है और न ही किसी व्यक्ति द्वारा अर्जित धन-संपत्ति को ही स्थानांतरित करने के पक्ष में होता है। इसके विपरीत आर्थिक पूंजीवादी व्यक्ति राजनीतिक पदों को तो उत्तराधिकार में स्थानांतरित करने के पक्ष में नहीं होता किंतु धन-संपत्ति को पीढ़ी दर पीढ़ी उत्तराधिकार में स्थानांतरित करने के पक्ष में होता है। क्योंकि उसकी मान्यता होती है कि राजनीतिक पद समाज की सामूहिक पैदावार होते हैं किंतु धन समाज की सामूहिक पैदावार न होकर उस की पैदावार होता है, जिसके खाते में होता है।
- ऊर्ध्वाधर समवर्ती – ऐसी मानसिकता, जो समाज के मंजिलेंदार घटकों व समुदायों में न्याय की भावना से ओतप्रोत होती है या किसी संगठन की मंजिलें दार इकाइयों के बीच न्याय की भावना से ओतप्रोत होती है।
- प्रराष्ट्रीय मामलों की भारतीय इकाई का निर्वाचन क्षेत्र – भारत में 3 पड़ोसी लोकसभा क्षेत्रों का साझा क्षेत्र। इसी को परिवार सभा या परिवार संसदीय क्षेत्र भी कहा जाता है। इसी को प्रराष्ट्रीय मामलों की साधारण सभा के एक सदस्य का निर्वाचन क्षेत्र भी कहा जाता है।
- वोटर काउंसलर परिषद – वोटर काउंसलरों का संगठन पार्टी के उन कार्यकर्ताओं का मंच, 20 सक्रिय सदस्यों को जोड़ चुके हैं और उनको लगातार सक्रिय बनाए रखते हों।
- देश (राष्ट्र राज्यों) का संघ – वे राष्ट्र राज्य, जो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मान्यता प्राप्त हों, जैसे भारत।
- क्रीमी लेयर – पार्टी की समावेशी नीति के तहत तय की गई सीमा रेखा। इस नीति के तहत उन लोगों को पहचाना जाएगा, जिनको समावेशी नीति के तहत मिलने वाले विशेष संरक्षण या आरक्षण का लाभ मिलेगा या नहीं मिलेगा। सीमांकन द्वारा जिनको समावेशी नीति का लाभ नहीं मिलेगा, उनको क्रीमी लेयर में आने वाले व्यक्ति या परिवार कहा जाएगा।
- सांस्कृतिक साम्यवादी – भविष्यनिष्ठ मानसिकता का वह व्यक्ति, जो सभी संस्कृतियों में मौजूद समानता के तत्वों को देखता है और उनका सम्मान करता है। साथ ही चाहता है कि विश्व भर के सभी व्यक्तियों की सांस्कृतिक मूल्य समान होने चाहिए, चाहे वह किसी भी संप्रदाय, भाषा, परंपरा, आदर्श, भौगोलिक क्षेत्र या किसी भी राष्ट्रीयता का व्यक्ति क्यों न हो।
- सांस्कृतिक वामपंथी – भविष्यनिष्ठ मानसिकता का वह व्यक्ति, जो नए सांस्कृतिक मूल्यों का निर्माण करना चाहता है और चाहता है कि उसका समाज नई सभ्यता, नई नैतिकता और नई आचार संहिता को अपनाए।
- सांस्कृतिक दक्षिणपंथी – यानी वह अतीतनिष्ठ मानसिकता का व्यक्ति, जो चाहता है कि अतीत की पीढ़ियों द्वारा अपनाये गये सांस्कृतिक मूल्यों, सामाजिक शासन के कानूनों, सभ्यता, आचार संहिता और नैतिकता को वर्तमान पीढ़ियां वापस अपनाएं।
- विकासक सदस्य – पार्टी की साधारण सभा के सदस्य, जो पार्टी को दिए गए आर्थिक अनुदान की मेरिट लिस्ट के आधार पर भर्ती किए जाते हैं।
- आर्थिक साम्यवादी – आर्थिक समानता पसंद व्यक्ति, जो इस मान्यता में विश्वास करता है कि हर व्यक्ति का आर्थिक उपभोग समान होना चाहिए। चाहे वह किसी भी स्तर का बुद्धिमान हो या किसी भी देश परंपरा का हो। आर्थिक साम्यवादी व्यक्ति पीढ़ी-दर-पीढ़ी राज्य के साथ संबंध समानांतर मानता है-अर्थव्यवस्था के मामलों में भी और राज व्यवस्था के मामलों में भी।
- आर्थिक आजादी आंदोलन – एक ‘गॉड’ नामक मंचों के मंच द्वारा मान्यता प्राप्त जन संगठन, जो वोटरशिप अधिकार के माध्यम से जनता के जन्मजात आर्थिक अधिकारों के लिए कार्य करता है।
- आर्थिक वामपंथी – भविष्यनिष्ठ मानसिकता का व्यक्ति, जो चाहता है कि उसके समाज की वर्तमान पीढ़ियां अर्थव्यवस्था के अतीत की व्यवस्था को स्वीकार करने की बजाय नए मूल्यों, नए कानूनों, समाज को शासित करने के नए संविधान व नई सभ्यता के आधार पर अर्थव्यवस्था विकसित हों। आर्थिक वामपंथी एक ऐसी अर्थव्यवस्था की अपेक्षा रखता है, जिसमें उत्पादन के साधन जटिल होंगे, विशेषज्ञता पूर्ण होंगे, उत्पादन अधिक से अधिक होगा और उत्पादन सभी लोगों के उपयोग के लिए खुला होगा।
- जिज्ञासु (समदर्शी) – एक न्याय प्रिय मानसिकता जो किसी संगठन के विभिन्न क्षैतिज अंगों / इकाइयों / निकायों के बीच या विभिन्न समुदायों और प्रतिनिधि क्षैतिज विचारों के बीच न्याय करने की भावना को आत्मसात करती है।
- आर्थिक आजादी आंदोलन परिसंघ , उन ग़ैर-राजनीतिक संस्थानों, संगठनों, ट्रस्टों, आंदोलनों और अभियानों का साझा मंच, जो मतदाताओं को वोटरशिप के माध्यम से आर्थिक स्वतंत्रता देने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं।
- मौलिक सदस्य- पार्टी के प्रारंभिक सदस्य और पार्टी के पदेन शून्य सदस्य; जिनके साथ पार्टी सम्बद्ध होगा।
- जेहनिक आधार – किसी व्यक्ति में उसके कुछ गुणसूत्रों के कारण उत्पन्न व्यवहार, अवलोकन, भावनाएं और विचार। पार्टी मानता है कि कुछ राजनीतिक प्रतिनिधि विचारों के ज़ेहनिक आधार हैं जो कि गुणसूत्रों की उपज है।
- समृद्धि और शांति पर वैश्विक सम्झौता (GAPP)-का अर्थ है अंतरराष्ट्रीय संधि का एक नाम जिसमें गठबनहन द्वारा मान्यता प्राप्त संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन का संकल्प शामिल है।
- राजनीतिक पार्टियों का वैश्विक संघ (GAPP)– का मतलब है कि पार्टी का प्रस्तावित नाम, जिसके द्वारा पार्टी की राष्ट्रीय स्तर के मामलों की भारतीय इकाई की कार्यसमिति के साथ संबद्ध होना चाहती हैं।
- विश्व नागरिक कोष – पार्टी के मित्र संगठनों के सामूहिक मंच का प्रस्तावित नाम, जो जनता से अनुदान और सशर्त ऋण प्राप्त करेगा, उन अनुदानों की रसीद/प्रमाण पत्र/आरडीआर नोट जारी करेगा, उन प्रमाणपत्रों का रिकॉर्ड रखेगा, और वोटरशिप संबंधी कानूनों की संसदीय स्वीकृति से जुड़ी गतिविधियों, वैश्विक स्तर पर कानून में बदलाव , वैश्विक नागरिकता और मुद्रा और राजनीति और राजनीति में सुधार से संबंधित पार्टी के अन्य उद्देश्यों पर होने वाले खर्च का लेखा-जोखा रखेगा।
- लोकतन्त्र वास्ते विश्व संघ (GOD) – राजनीतिक दलों, गैर-राजनीतिक, पैरा-राजनीतिक और परादेशिक संस्थानों, संगठनों, फर्मों और कंपनियों के साझा मंच का प्रस्तावित नाम; जिसके द्वारा पार्टी अपने दूरगामी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आम राजनीतिक और आर्थिक बल आहूत कर सकता है।
- हिंदू-दुनिया भर के कई संप्रदायों, धार्मिक समुदायों का समूह, जो सामाजिक मूल्य और कानून के बारे में प्राचीन किताबों, जिनका नाम स्मृति ग्रंथ, सूत्र ग्रंथ, वेद, उपनिषद है, आदि के रूप में नामित प्राचीन स्वयंसिद्ध पुस्तकों को मानते हैं।
- क्षैतिज समन्वयकारी परिषद- दो निकायों के क्षैतिज संघर्षों को हल करने के लिए पार्टी/संगठन की दो क्षैतिज इकाइयों/निकायों के बीच स्थित क्षैतिज प्रबंधन परिषद।
- समावेशी नीति- मतलब, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और चेतना के स्तर के आधार पर और सांस्कृतिक पहचान और भौगोलिक आधार के आधार पर समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए पार्टी की नीति।
- वतन स्तर के मामलों की भारतीय इकाई -भारत के घरेलू नागरिकों की उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पार्टी की एक इकाई, जिनके लिए भारत के पड़ोसी देशों के नागरिकों और सरकार के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
- प्रराष्ट्रीय स्तर के मामलों की भारतीय इकाई –पार्टी की एक इकाई , जो भारत के घरेलू नागरिकों की उन जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करती है, जिनके लिए पूर्वी देशों या पश्चिमी देशों के नागरिकों और देशों की सरकारों के सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।
- राष्ट्रीय स्तर के मामलों के लिए भारतीय इकाई – मतलब, भारत के घरेलू नागरिकों की उन जरूरतों को पूरा करने के लिए पार्टी की एक इकाई, जिसके लिए नागरिकों और दुनिया के सभी देशों की सरकारों के सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।
- वामपंथी-भविष्योन्मुख एक ऐसा व्यक्ति जो महसूस करता है कि समाज से बेहतर युग की ओर, अंधकारमय युग से लेकर प्रकाश के युग में, अविकसित से विकसित अवस्था में जा रहा है। वामपंथी लोगों के दो प्रकार हैं-सांस्कृतिक वामपंथी और आर्थिक वामपंथी।
- विधायक सदस्य– सदस्य, जो पार्टी में अधिकतम सदस्यों के नामांकन की योग्यता के आधार भर्ती हुए हैं।
- मैक्रो पूंजीवादी – आधारभूत संरचना को बढ़ावा देने वाली मानसिकता का व्यक्ति जो संपन्न लोगों के लिए वैज्ञानिक खोज, सड़क निर्माण, बिजली, रेलवे, नहर आदि में संचित धन का निवेश करने का समर्थक है।
- सदस्य- पार्टी संविधान द्वारा परिभाषित पार्टी के प्राथमिक और सक्रिय सदस्य, पार्टी के मौलिक सदस्य, मिशनरी सदस्य।
- माइक्रो पूंजीवादी –ऐसा व्यक्ति, जो सम्पन्न लोगों के लिए आधारभूत संरचना के स्थान पर जनता के लिए उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में संचित धन का निवेश करने का समर्थक है।
- मिशनरी सदस्य– पार्टी के गैर-राजनीतिक संगठन, ट्रस्ट और राजनीतिक दल जैसे मित्र संगठनों के प्राथमिक या समकक्ष सदस्य।
- राष्ट्र- पूरी दुनिया का वह राजनीतिक क्षेत्र, जिसके द्वारा पूरी दुनिया के सभी देशों के मानव समाज का एक वर्ग राष्ट्रवाद, स्नेह, भ्रातृत्व और वैश्विक परिवार/वसुधैव कुटुंब की प्राप्ति महसूस कर रहा है।
- नेशनल फाउंडेशन फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च (NAFER) – उस प्राधिकृत संस्थान का नाम, जो पार्टी द्वारा शिक्षण और प्रशिक्षण के लिए पार्टी के विभिन्न तकनीकी पदों की भर्ती के लिए अधिकृत है, जो पाठ्यक्रम तैयार करने, परीक्षा आयोजित करने और योग्यता का प्रमाण पत्र देने का काम करता है।
- पराराजनीतिक –आपसी समझ का वह स्तर जहां से विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच समानता को समझा जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप निष्पक्ष संबंध स्थापित किए जा सकते हैं और उन दलों और उनके पदाधिकारियों के बीच निष्पक्ष व्यवहार किया जा सकता है। एक परा-राजनीतिक व्यक्ति विभिन्न राजनीतिक दलों और उनके पदाधिकारियों की सामूहिक शक्ति उत्पन्न कर सकता है।
- प्रारंभिक सदस्य-प्रारंभिक सदस्य पार्टी के संविधान के अनुसार परिभाषित किए गए हैं।
- प्रांत- यानी राज्य– किसी भी देश के संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त प्रांतीय क्षेत्र।
- प्रतिनिधि विचार– विभिन्न मत, किसी व्यक्ति द्वारा राजव्यवस्था और आर्थिक प्रणाली से संबंधित; किसी भी सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त विचारक से संबंधित, व्यक्तियों के समूह से संबंधित समाज द्वारा या जन्मजात वैचारिक बिंदु और दृष्टिकोण;
- क्षेत्र- केंद्रीय समिति के कार्यों को सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्रीय कार्यसमिति द्वारा सीमांकित एक प्रांत या एक से अधिक प्रांत के क्षेत्र का हिस्सा।
- दक्षिणपंथी -अतीत की संस्कृति से प्यार करने वाला एक व्यक्ति जो महसूस करता है कि समाज कम परेशानियों से अधिक परेशानी की स्थिति में है, प्रकाश से अंधेरे की ओर जा रहा है, विकसित से अविकसित अवस्था में जा रहा है। दक्षिणपंथी लोगों के दो प्रकार हैं-सांस्कृतिक दशिंपंथी और आर्थिक दक्षिणपंथी।
- पराराष्ट्रीय – आपसी समझ का एक स्तर जहां विभिन्न देशों के बीच समानता देखी जा सकती है और परिणामस्वरूप निष्पक्ष संबंध स्थापित किए जा सकते हैं और उन देशों के बीच निष्पक्ष व्यवहार किया जा सकता है। एक परा-राष्ट्रीय व्यक्ति विभिन्न देशों के राजनीतिक दलों, संगठनों और नागरिकों से सामूहिक शक्ति उत्पन्न कर सकता है।
- क्षैतिज समन्वयक परिषद – दो ऊर्ध्वाधर निकायों के क्षैतिज संघर्षों को हल करने के लिए पार्टी संगठन के दो क्षैतिज स्तरों के बीच स्थित समन्वयक परिषदें।
- शक्ति का क्षैतिज पृथक्करण-‘शक्ति के घटक’ नामक विज्ञान और इंजीनियरिंग के ज्ञान द्वारा राज्य की शक्ति के पृथककरण सिद्धांत को सुधारने और ठीक करने का काम। समकालीन दुनिया में शक्ति के पृथककरण में केवल ऊर्ध्वाधर घटक को अपनाया जाता है, शक्ति का क्षैतिज घटक दुर्भाग्य से छूट जाता है। इसलिए राज्य शक्ति के पृथक्करण की पारंपरिक अवधारणा को ठीक करके, प्रांतों से राष्ट्र राज्य या देश स्तर तक समकालीन दो मंज़िला प्रणाली के बजाय प्रांतीय से वैश्विक स्तर तक पांच मंज़िला शासन प्रणाली की स्थापना।
- ग्राम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र- वतनी स्तर के मामलों के लिए भारतीय इकाई से संबंधित पार्टी की इकाई की आम सभा का निर्वाचन क्षेत्र। यह भारत में दो पड़ोसी लोकसभा संसदीय क्षेत्रों का क्षेत्र होगा, जैसा कि पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति द्वारा सीमांकित किया गया है। इसे हाउस ऑफ़ विलेज या ग्राम संसदीय निर्वाचन भी कहा जाता है।
- मतदाता- वयस्क नागरिक, जिनका नाम भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बनाई गई मतदाता सूची में दर्ज है। जो राज्य की विधायिका का गठन करने के लिए वोट करते हैं।
- वोटर कौंसिलर –पार्टी के संविधान के बारे में तकनीकी रूप से प्रशिक्षित वह व्यक्ति, जिसने पार्टी के 4 सक्रिय सदस्यों को पार्टी में भर्ती होने में मदद की है।
- मतदाता संसदीय निर्वाचन क्षेत्र– राष्ट्रीय स्तर के मामलों की भारतीय इकाई से संबंधित पार्टी की इकाई की साधारण सभा का निर्वाचन क्षेत्र। यह भारत में चार पड़ोसी लोकसभा संसदीय क्षेत्रों का क्षेत्र होगा, जैसा कि पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति द्वारा सीमांकित किया गया है। इसे मतदाताओं का निर्वाचन क्षेत्र या लोक सभा का निर्वाचन क्षेत्र या मतदाताओं की संसद का निर्वाचन क्षेत्र भी कहा जाता है।
- वोटरशिप – मतदाताओं की सामूहिक संपत्ति के सकल घरेलू किराए में उनके हिस्से के रूप में सरकार द्वारा भेजी गई मतदाताओं द्वारा नियमित रूप से प्राप्त नकद राशि।
- शून्य सदस्य- पार्टी के संविधान के अनुसार परिभाषित पार्टी के वे सदस्य; जो पार्टी के संविधान के कुछ प्रावधानों के प्रति उदासीन हैं, या अपनी सुविधानुसार पार्टी के साथ अनियमित सहयोग करते हैं, या पार्टी के शाब्दिक विरोधी हैं, लेकिन उनके नाम पार्टी के शून्य सदस्यता रजिस्टर में लिखे गए हैं।
- हेमी-नेशन – पूर्वी या पश्चिमी आधी दुनिया या गोलार्द्ध (hemisphere) का क्षेत्र है। हिन्दी में प्रराष्ट्र ।
- राष्ट्र- दुनिया के सभी देशों का या सम्पूर्ण पृथ्वी का राजनीतिक क्षेत्र। पूर्वी और पश्चिमी प्रराष्ट्र का संयुक्त क्षेत्र।
- वतन- पड़ोसी देशों के सामूहिक क्षेत्र का एक ब्लॉक या समूह है। अंग्रेजी में Homeland। हेमी-राष्ट्रों का घटक।
- द्वैताद्वैत (मोनो-द्वैतवादी) संप्रभुता का सिद्धांत- भारत के समकालीन राजनीतिक दार्शनिक श्री विश्वात्मा द्वारा प्रतिपादित संप्रभुता की अवधारणा।
- राजनीतिक और सामाजिक वित्तपोषण– राजनीति की अर्थव्यवस्था
अनुसूची – 2
पार्टी की विभिन्न क्षैतिज इकाइयों की कार्य सूची
- केंद्रीय कार्यसमिति की कार्य सूची
पार्टी की केन्द्रीय कार्य समिति 5 क्षैतिज कार्यसमितियाँ बनाने और निम्न कार्य करेगी –
- कार्यसमितियों में समन्वय
- कार्यसूची में बदलाव, कार्यों का जोड़ना एवं रद्द करना
- अधिकार, कर्तव्य और आदर्शों का निर्धारण
- पदाधिकारियों का आपसी स्थानांतरण
- किसी क्षैतिज समिति के आवेदन पत्र को स्वीकार करना, समिति में बदलाव करना या उसको रद्द करना।
- किसी एक निर्वाचन क्षेत्र, किसी प्रदेश या सभी प्रदेशों
- प्रादेशिक कार्यसमिति की कार्य सूची
- राजनीतिक सत्ता के विकेंद्रीकरण संबंधी विधियों का निर्माण और उनका कार्यान्वयन
- आर्थिक संसाधनों को भविष्य के लिए सुरक्षित रखना।
- चरित्र निर्माण के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन करना।
- बाजार को शक्तिशाली बनाना।
- परंपरागत जीवन मूल्यों का प्रचार प्रसार करने वाले प्रवचन कार्यों संतों और प्रवक्ताओं का सशक्तिकरण करना।
- जनसंख्या वृद्धि दर पर अंकुश लगाना।
- क्षेत्रीय संस्कृतियों की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकारों को वीटो पावर।
- देश स्तरीय कार्यसमिति की कार्य सूची
- देश के ब्लॉक के प्रबंधन की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करना।
- राज्य की सत्ता के ऊर्धवाधर पृथक्करण के लिए संस्थागत अध: संरचना विकसित करना।
- वोटर से अधिकार के माध्यम से देश की कुल एकत्रित कर राशि में सभी वोटरों को भागीदार बनाना।
- गावों/वार्डों की प्रबंध कमेटी के सदस्यों की निजी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरी करना, जिससे उनकी कार्य क्षमता बढ़ सके।
- वोटरशिप अधिकार को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए अपेक्षित सामाजिक व राजनीतिक ध्रुवीकरण, संसदीय और विधानसभा चुनावों पर आने वाले व्यय का प्रबंध करने के लिए समाज से जो कर्ज या वापसी योग्य अनुदान लिए जाएंगे, उनको वापस करने के लिए संसद से वित्त विधेयकों को पारित कराना। खास करके उन कर्ज़ों को और वापसी योग्य अनुदानों को विधेयकों द्वारा वापस कराना, जो वोटरशिप अधिकार दिलाने के उद्देश्य से उन संगठनों बैंकों संस्थाओं द्वारा लिए गए होंगे, जो पार्टी द्वारा कर्ज या वापसी योग्य अनुदान लेने के लिए अधिकृत हों। वापसी की ब्याज दर देश की केंद्रीय ब्याज दर से अधिक हो, जिससे कर्ज देना लोग पसंद करें और परिणामस्वरूप समाज के बहुसंख्यक लोग आर्थिक गुलामी से मुक्त हो सकें।
- वोटरशिप के कानून में इस बात का प्रावधान करना कि वोटरशिप रकम का 5{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609} वोटर मीडिया को सेवा शुल्क के रूप में प्राप्त हो सके। यह रकम केवल उन वोटर मीडिया को प्राप्त हो, जो पार्टी द्वारा अधिकृत संगठनों, राजनीतिक दलों, फर्मों और कंपनियों द्वारा मान्यता प्राप्त हो।
- लोकसभा चुनावों में न्यूनतम सीमा से अधिक वोट प्राप्त करने वाले प्रत्याशियों के लिए सामाजिक और राजनीतिक वित्तीय व्यवस्था का कानूनी प्रावधान करना।
- रेलगाड़ियों में केवल वोटर कार्ड के आधार पर बैठने वाली सीटों पर आरक्षण देकर वोटरों का कार्यक्षमता और आत्म सम्मान बढ़ाना और परिणाम स्वरूप सकल घरेलू उत्पाद बढ़ाना।
- व्यापार और तटकर पर सामान्य समझौता यानी गैट समझौते के दौरान तय किए गए सामाजिक मुद्दों को आगे बढ़ाना। गैट समझौते के कारण पैदा हुई और बढ़ी हुई समस्याओं के समाधान के लिए नई अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए काम करना। श्रमिकों, विश्व नागरिकों, परा-राष्ट्रीय संतो और राजनीतिज्ञों के विश्वव्यापी बेरोकटोक आवागमन सुनिश्चित करने के लिए राज व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय राज व्यवस्था के उदारीकरण के लिए अपेक्षित नई अंतर्राष्ट्रीय संधियों और नए कानूनों को बनाने के लिए काम करना।
- गरीबी रेखा के नीचे के उन लोगों को जीवन में कम से कम एक बार कम से कम 200 किलोमीटर की हवाई यात्रा की सुविधा मुफ्त देना, जिससे प्रत्येक वोटर में राष्ट्र के प्रति प्रेम पैदा हो सके।
- प्रभुसत्ता के द्वैताद्वैत सिद्धांत के अनुरूप राज्य के आकार और ढांचे की पुनर्रचना करना।
- अखिल भारतीय कमेटी की कार्य सूची
- भारत देश को इतना मजबूत देश बनाना कि दुनिया के सभी पिछड़े देश और अन्य सभी देशों के सभी नागरिक भारत को अपना वैश्विक अभिभावक मानने लगें।
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 38, 39 और 51 को लागू करने के लिए नए कानून बनाना।
- वोटरशिप अधिकार विधेयक के माध्यम से सभी लोगों के हाथों को रोजगार देने की बजाय सभी लोगों के दिमाग को रोजगार देने की नीति लागू करना।
- अरबपतियों के बच्चों को बिना परिश्रम और बिना कार्य किए अरबपति बनने से रोकने की नीति के तहत उन पर ऊंची दर से कर लगाना और उत्तराधिकार में प्राप्त होने वाली संपत्ति की सीलिंग करने के लिए कानूनी प्रावधान करना और गरीबी रेखा की तरह अमीरी रेखा भी बनाना, जिससे कोई भी व्यक्ति आर्थिक रूप से इतना ताकतवर न बनने पाए कि वह राजनीतिक चंदे के माध्यम से सत्ताधारी राजनीतिक दलों और मीडिया को अपना गुलाम बना सके।
- विदेशी कर्ज वापस करने, आर्थिक विषमता को नियंत्रित करने और देश की संपत्तियों से अधिक से अधिक उत्पादन लेने के लिए नए प्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए कानूनी प्रावधान करना।
- अनुसूचित और अन्य पिछड़े वर्गों को समावेशी नीति के तहत आरक्षण देना।
- सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में और शैक्षिक संस्थानों में, जो भी आरक्षण लागू हैं, उन सब में क्रीमी लेयर के कानूनी प्रावधान लागू करना।
- निजी क्षेत्र में भी अनुसूचित जातियों और जनजातियों तथा ओबीसी को उसी प्रकार आरक्षण देना, जिस प्रकार सरकारी क्षेत्र में इस वर्ग को आरक्षण प्राप्त है।
- कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका में निम्न आर्थिक वर्ग और मध्यम वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए इन वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में राज्य के उक्त तीनों ही घटकों को आरक्षण देना।
- पार्टी अध्यक्षों को प्राप्त व्हिप जारी करने का अधिकार समाप्त करना, जिससे पार्टी अध्यक्ष राजनीतिक चंदा देने वाले अरबपतियों की कठपुतली की तरह काम करने की बजाय वोटरों के हितों के लिए काम करने में सक्षम हो सकें।
- चिकित्सा के क्षेत्र में जिस प्रकार विशेषज्ञता प्रचलित है, उसी प्रकार राजनीति और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विशेषज्ञता विकसित करने के लिए कंपनी पंजीकरण अधिनियम और राजनीतिक दल पंजीकरण अधिनियम संशोधन करके पार्टियों और कंपनियों को एक ही राज्य, क्षेत्र और एक ही उत्पादन स्तर की राजनीतिक गतिविधियों तक सीमित करना।
- राजनीतिक पार्टियां समाज को तोड़ने का कार्य न कर पाएं, इसके लिए वोटरों को बहुदलीय सदस्यता का अधिकार देने के लिए कानूनी प्रावधान करना।
- दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए साझे शासन प्रशासन की स्थापना करना
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- देश के नागरिकों की परादेशिक जरूरतों को पूरी करने के लिए और देश को विदेशों के कुप्रभावों से बचाने के लिए चीन सहित नौ दक्षिण एशियाई देशों के परिक्षेत्र को एक वतन के रूप में विकसित करने के लिए पहले से मौजूद इस क्षेत्र की राष्ट्रीयता को कानूनी मान्यता देना तथा इस राष्ट्रीयता को सशक्त करना।
- दक्षिण एशियाई वतन के देशों का अंतरिम चुनाव आयोग, अंतरिम संसद, सरकार, न्यायालय और करेंसी नोट जारी करने वाला अन्तरिम केंद्रीय बैंक बनाना और इन सब को संबंधित देशों की सरकारों से संधियों के माध्यम से मंजूरी लेना।
- गरीबी के खात्मे, प्रगति को गतिशील बनाने और विश्व की शांति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से गरीबी और भागीदारी पर वैश्विक समझौता (गैप) के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि का प्रारूप तैयार करना और उस संधि को विश्व के सभी देशों से मंजूरी दिलाना
- अपने देश की सेना पर मंडराते खतरे को कम करने के लिए देश के नागरिकों को दूसरे देशों में धंधा-व्यवसाय करने का और दूसरे देशों के लोगों को जनप्रतिनिधि के रूप में चुनने का अधिकार दिलाना।
- स्वयं द्वारा घोषित पूरे विश्व के सभी देशों के वैश्विक वोटरों को पूरे विश्व का साझा शासक चुनने के लिए वोट का अधिकार दिलाना।
- गैप नाम की संधि को पूरे विश्व के देशों की सरकारों से मंजूरी दिलाकर संयुक्त राष्ट्र संघ को संयुक्त राष्ट्रीय सरकार का दर्जा दिलाना।
- आधे संसार के स्तर पर बनने के लिए प्रस्तावित परिवारों की सरकार यानी प्रराष्ट्रीय सरकार के सांसदों का चुनाव करने के लिए सभी परिवारों के मुखिया लोगों को वोट देने का अधिकार दिलाना।
- चौथाई विश्व के स्तर पर बनाने के लिए प्रस्तावित पड़ोसी देशों के परिसंघ यानी वतन की सरकार के सांसदों के चुनाव में सभी गावों/वार्डों के मुखिया लोगों को वोट देने का अधिकार दिलाना।
- देश का प्रधानमंत्री चुनने के लिए सांसदों के साथ-साथ देशभर के ब्लॉकों की प्रबंध समितियों को भी वोट देने का अधिकार दिलाना, जिससे राजनीतिक सत्ता का और अधिक विकेंद्रीकरण संभव हो सके।
- गैप नाम की अंतरराष्ट्रीय संधि को पूरे संसार के देशों की सरकारों द्वारा मान्यता दिलाना, जिससे द्विस्तरीय शासन की बजाय 5 स्तरीय शासन व्यवस्था कायम की जा सके।
- गैप संधि को मान्यता दिला कर सशर्त वतनी नागरिकता और सशर्त वैश्विक नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार लोगों को दिलाना।
- गैप संधि को मान्यता दिला कर दक्षिण एशियाई संसद और विश्व की साझा संसद के संविधान को मान्यता दिलाना।
- सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दुष्प्रचार और दुरुपयोग को देखते हुए और हिंसा और असहिष्णुता में विश्वास करने वाले समुदायों के दुर्भाग्यपूर्ण विकास को देखते हुए भारत में संभावित जातीय और सांप्रदायिक हिंसा रोकने तथा भारत के पड़ोसी देशों के साथ युद्ध में फंसने से बचाने के लिए काम करना।
- वतनी कार्यसमिति/वतनी मामलों की कार्यसमिति की कार्यसूची
- विनिमय से संबंधित नीतियां और कानून बनाना;
- परादेशिक इकाइयों और राष्ट्रीय इकाई के बीच समझौते संपन्न कराते रहना;
- वतनी क्षेत्र की नागरिकता संबंधी नियम बनाना और वतनी क्षेत्र के देशों के बीच आवागमन बेरोकटोक बनाने के लिए वीजा संबंधी नियमों का खात्मा करना।
- प्रराष्ट्रीय कार्यसमिति/प्रराष्ट्रीय स्तर के मामलों की कार्यसमिति की कार्यसूची
- पूर्वी प्रराष्ट्रीय कार्यसमिति की कार्य सूची
- आर्थिक लोकतंत्र और वितरण के न्याय की स्थापना करना, पोषण करना, सुरक्षा करना;
- प्रादेशिक संस्कृतियों में मौजूद सार्वत्रिक मूल्यों की सुरक्षा करना, समकालीन राजनीतिक आर्थिक जरूरतों के अनुरूप नए जीवन मूल्यों की रचना करना;
- प्रराष्ट्रीय नागरिकता के कानूनों का सृजन करना और प्रराष्ट्रीय क्षेत्र के सभी देशों के बीच आवागमन बेरोकटोक बनाने के लिए वीजा संबंधी नियमों को समाप्त करना।
- पश्चिमी प्रराष्ट्रीय कार्यसमिति की कार्यसूची
- विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का स्तर बनाए रखना और इसको बढ़ाते रहना।
- पूरे संसार में राजनीतिक लोकतंत्र का विस्तार करना।
- प्राकृतिक नियमों के अनुरूप सामाजिक मूल्यों का सृजन करना और पहले से प्रचलित विभिन्न समुदायों द्वारा अपनाए गए सामाजिक मूल्यों की सुरक्षा करना।
- राष्ट्रीय कार्यसमिति/राष्ट्रीय मामलों की कार्यसमिति की कार्यसूची
- सभी प्रकार की संपत्तियों टैक्स की राशि और उत्पादन के साधनों पर सीधे वोटरों को नियंत्रण और स्वामित्व देना, जिससे आर्थिक सत्ता का विकेंद्रीकरण संभव हो सके और आर्थिक विकेंद्रीकरण का पोषण संभव हो सके।
- लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाकर गरीबी का उन्मूलन करना।
- धर्मनिरपेक्ष शासन की सुरक्षा करना पोषण करना और विकास करना।
- प्रत्यक्ष करों की व्यवस्था का सृजन करना और उन्हें लागू करना।
- मुद्रा व्यवस्था को सोने से असंवृद्ध करना और उसको लागू करना।
- तकनीकी प्रतिस्पर्धा में उतरना।
- वोटरों के आत्मसम्मान और उनके राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की सुरक्षा करना, पोषण करना और बढ़ाना।
- राजनीतिक केंद्रीकरण और आर्थिक विकेंद्रीकरण संबंधी नियमों का सृजन करना और उनको लागू करना।
- वर्तमान पीढ़ी के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादन करना।
- समाज प्रबंधन के प्रभावशाली नियमों द्वारा विश्व समाज का प्रबंधन करना।
- समाज की मशीनरी को सशक्त करना।
- भविष्योंमुख सांस्कृतिक मूल्यों के प्रचारकों, संतो और प्रवक्ताओं का सशक्तिकरण करना।
- सामाजिक, आर्थिक या शैक्षिक हैसियत को बिना देखे जनसंख्या में सभी को आजीविका के लिए अपेक्षित संसाधन उपलब्ध करना।
- प्रभुसत्ता के अद्वैत सिद्धांत के अनुरूप राज्य के ढांचे का पुनर्समायोजन करना और उसके लिए कानूनी प्रावधान करना।
- वैश्विक नागरिकता के लिए और वीजा प्रावधानों के खात्मे के लिए अपेक्षित कानूनों का सृजन करना और उनको लागू करवाना।
- मानवाधिकारों विशेषकर आर्थिक मानवाधिकारों की सुरक्षा करना पोषण करना और बढ़ाना।
8. केंद्रीय कार्यसमिति की कार्य सूची
ऊर्ध्वाधर इकाइयों की कार्यसूची संबंधी नियम बनाना, उनके बीच के आपसी विवादों का निपटारा करना तथा इन नियमों को समन्वय परिषद द्वारा लागू कराना
अनुसूची 3
ऊर्ध्वाधर इकाइयों के कोष के बंटवारे संबंधी प्रावधान
- प्राथमिक सदस्यता संबंधी रकम – सभी मदों पर होने वाले व्यय को देखते हुए प्राथमिक सदस्यता शुल्क/न्यूनतम चंदा राशि निम्नवत होगी-
वित्तीय वर्ष शुल्क/न्यूनतम चंदे की राशि
वर्ष 2012-13 रु. 20/-
वर्ष 2013-14 से 2014-15 रु. 50/-
वर्ष 2015-16 से 2017-20 रु. 150/-
वर्ष 2020-21 से 2024-25 रु. 350/-
केंद्रीय कमेटी के पास प्राथमिक सदस्यता शुल्क/ न्यूनतम चंदे की राशि में संशोधन करने का अधिकार होगा
- सक्रिय सदस्यता शुल्क/न्यूनतम चंदा राशि की रकम
वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2017-18 के बीच सक्रिय सदस्यता शुल्क/सक्रिय सदस्यता के लिए न्यूनतम चंदा राशि इस प्रकार होगी
इकाई शुल्क/न्यूनतम चंदे की राशि
राष्ट्रीय मामलों की इकाई रु. 25/-
प्रराष्ट्रीय मामलों की इकाई रु. 50/-
वतनी मामलों की इकाई रु. 75/-
अखिल भारतीय इकाई रु. 100/-
केंद्रीय कमेटी के पास सक्रिय सदस्यता शुल्क/न्यूनतम चंदे की राशि में संशोधन करने का अधिकार होगा
- विविध ऊर्ध्वाधर इकाइयों में धनराशि के वितरण संबंधी प्रावधान
प्राथमिक सदस्यता शुल्क/प्राथमिक सदस्यता के लिए आवश्यक न्यूनतम चंदा या पार्टी कोष में प्राप्त चंदे की धनराशि में विविध ऊर्ध्वाधर इकाइयों का हिस्सा निम्नलिखित नियमानुसार होगा-
- क्षेत्रीय कार्यसमितियां, जो धन केंद्रीय समिति से या जिला समितियों से या सीधे प्राथमिक/ सक्रिय सदस्यों से प्राप्त करेंगे उसको निम्नलिखित नियमों के अनुसार वितरित करेंगी-
- निजी खाते में – 20{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- जिला इकाई को – 20{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- केंद्रीय इकाई को – 60{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- केंद्रीय समिति को केवल उसी राशि में से हिस्सा मिलेगा, जो राशि सदस्यों से प्राप्त होगी।
- केंद्रीय कमेटी क्षेत्रीय कमेटियों या सीधे सदस्यों से प्राप्त राशि का वितरण निम्नलिखित नियमों से करेगी-
- केन्द्रीय इकाई स्वयं को – 20{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- क्षेत्रीय इकाई को – 20{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- सदस्यों द्वारा स्वघोषित नागरिकता से संबन्धित ऊर्ध्वाधर स्तर की इकाई के खाते में – 60{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- केंद्रीय समेटी द्वारा प्राप्त राशि का वितरण ऊर्ध्वाधर कमेटियाँ निम्नलिखित नियमों द्वारा करेंगी-
- अपने निजी खाते में – 25{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- संबन्धित निर्वाचन क्षेत्रों की कमेटियों को-75{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- ऊर्ध्वाधर निर्वाचन क्षेत्रों की कमेटियाँ जो राशि संबन्धित ऊर्ध्वाधर /शासकीय इकाई से प्राप्त करेंगी, उनका विवरण निम्नलिखित नियमों के अनुसार होगा-
- अपने निजी खाते में – 25{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- संबन्धित एक्शन कमेटी के खाते में – 75{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- एक्शन स्तर की कमेटियाँ जो धन संबन्धित निर्वाचन क्षेत्र की कमेटी से प्राप्त करेंगी, उनका वीरान निम्नांकित नियमों के अनुसार होगा-
- अपने निजी खाते में – 25{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}
- मीडिया के खाते में – 75{26a51f968cadf2188e8beb9459bcb4b2eddc6f596e38d31e389347fb1527a609}